विकाश शुक्ला, उमरिया। मध्य भारत के टाइगर रिजर्वों में से सर्वाधिक बाघों के घनत्व वाले टाइगर रिजर्व बांधवगढ़ में पर्यटकों को आसानी से वनराज के दर्शन नहीं हो रहे हैं। विदित हो कि 124 से 126 बाघों की संख्या के कारण मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में बाँधवगढ़ की अहम भूमिका है लेकिन यहां इन दिनों सैलानियों के लिए बाघों का दीदार एक आस बनकर रह गई है। ख़बर है कि वर्तमान क्षेत्र संचालक के अनुभव विहीनता के कारण पर्यटन केंद्र पर सहजता से दिख जाने वाले बाघ पलायन कर गए हैं। जिसके कारण सैलानियों को बाघ के दीदार में कठिनाई जा रही है। जबकि जानकर पर्यटकों का मानना है कि पर्यटन क्षेत्र में पर्यटकों के खलल के कारण व सफारी कराने वाले वाहन चालक व गाइडों से उत्पन्न खलल पर प्रबंधन के सही निगरानी न होने के कारण बाघ अपना रहवासी क्षेत्र छोड़कर दूसरे क्षेत्रों में चले गए। पहले भी इसे लेकर प्रबन्धन को जानकारी दी गई थी, जिस पर मामला तूल पकड़ता देख प्रबन्धन ने कुछ गाइडों और चालकों पर सीमित समय के लिए पर्यटकों को सफारी कराने के लिये रोक लगा दिया था। सूत्रों की माने तो बाघों के दीदार न होने से सैलानियों में मायूसी है उनका कहना है कि इतने मंहगे टिकट उसके पश्चात भी दो सफारी के बाद बाघ न दिखने से व्यर्थ हो जाता है। इससे लोगों का मानना है कि यदि ऐसा ही रहा तो बाँधवगढ़ आने वाले समय में अपनी वरीयता क्रम का पहला अंक खो सकता है। जबकि भारी भरकम बजट के बीच सही प्रबंध न होने से भी क्षेत्र संचालक के कर्तव्यों पर प्रश्न चिन्ह उठ रहे हैं।
इस जोन में घटी बाघों की संख्या :
वैसे तो बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व का (जोन क्रमांक एक) जोन ताला जो कभी प्रीमियम जोन के रूप में जाना जाता था। साथ ही इसका प्रवेश शुल्क दोगुना हुआ करता था। यहां सैलानियों की मानें तो इस जोन में एक दो से अधिक बाघों का दीदार नहीं होता, वहीं (जोन क्रमांक दो) जोन मगधी के विगत दो-तीन वर्ष की अपेक्षा वर्तमान वर्ष की बाघ दीदार पंजी देखी जाए तो जोन क्रमांक 2 में भी महज दो से अधिक बाघों का दीदार पर्यटकों को नहीं हो रहा। जबकि इस दावे पर प्रबंधन का कहना है कि पर्यटन क्षेत्र में रूट प्रतिबंधित होने के कारण सभी पर्यटकों को बाघ नहीं दिख पाता था, जिस पर वर्तमान प्रबंधन के द्वारा जोन क्रमांक एक व दो के पर्यटन क्षेत्र के रूटों को फ्री कर दिया गया, लेकिन तब पर भी इन जोन में वनराज के दीदार नहीं हो रहे है।
कहां गए पर्यटन क्षेत्र के बाघ ?
बीटीआर में निरंतर आने वाले पर्यटक वर्ष 2017, 2018 और 2019(कोरोनाकाल के पहले) में पर्यटक बाघ दीदार का रजिस्टर देखा जाए तो उनके अनुसार बाघों की संख्या दिखने में सबसे अधिक थी किंतु कोरोनाकाल के बाद जो पर्यटन क्षेत्र पार्क भ्रमण खुला तो सैलानियों का बाघ दीदार परिणाम चिंतनीय व हताश कर देने वाला सामने आ रहा है। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि इस अवधिकाल में आख़िरकार बाघ अपने चिन्हित क्षेत्र को छोड़कर कहाँ पलायन कर गए।
चिंतित वन्य प्रेमियों ने उठाये सवाल :
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जहां कभी बाघों के दीदार की कहानियां पर्यटकों द्वारा लिखे जाने से पन्ने भर जाते थे, वहां आज बांधवगढ़ में पार्क भ्रमण करने वाले पर्यटक बाघ दीदार केवल रिसोर्ट में सपनों में देखते हैं। यदि गेट क्रमांक 1 व 2 के बाघ साइटिंग रजिस्टर को उठाकर देखा जाए तो मात्रा पिछले वर्ष के अपेक्षा बहुत कम होगी, जिस पर वन्य जीव प्रेमियों का कहना है कि पर्यटन क्षेत्र में पर्यटकों के खलल के कारण व प्रबंधन के सही निगरानी न होने के कारण बाघ अपना रहवासी क्षेत्र छोड़कर दूसरे क्षेत्रों में चले गए। वहीं वन्यजीव प्रेमियों का यह भी कहना है कि प्रबंधन यदि भारत सरकार व राष्ट्रीय प्राधिकरण विभाग के वन्यजीव विशेषज्ञों के द्वारा बनाए गए गाइडलाइन का वन्य जीव सुरक्षा दृष्टि के संबंध में नियमों का पालन सही रूप से करवाता तो पर्यटन क्षेत्रों के वन्य प्राणियों के विचरण और रहवास क्षेत्रों में किसी प्रकार का कोई खलल पैदा नहीं होता और पर्यटन क्षेत्र से बाघ व वन्य जीव अपना राहवास व क्षेत्र छोड़ने पर मजबूर नहीं होते।
दिशा निर्देशों को दिखा रहे ठेंगा :
सरकार वन्य जीव के जीवन यापन के प्रति कितना भी ठोस कानून भले ही बना ले, किन्तु बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के आला-अफसरों के लिए सभी कानून शिथिल है। भारत सरकार के बजट व पत्र को माने तो कई ऐसे दिशा निर्देश व बजट राशि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पर्यटन क्षेत्र में पर्यटकों द्वारा वन्य प्राणियों के विचरण रहवास क्षेत्र में पैदा हो रहे खलल के बचाव हेतु जारी किए गए हैं, लेकिन खबर है की इन राशियों की होली खेल ली गई। जबकि हाल में ही एनटीसीए द्वारा 2020/2021 में लग भग 74 लाख रुपए का बजट वन विभाग भोपाल को वन्य जीव सुरक्षा दृष्टि के लिए दिया गया, जो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बगीरा ऐप के लिए भी समलित है इसमें से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को छोड़कर प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में संचालन हो रहा है, लेकिन बीटीआर में यह राशि कम पड़ गई और उसे दूसरे अन्य कार्यों में लुटा दी गई। प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल द्वारा पहली किस्त 16.25 लाख रूपये बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को 9 कार्य हेतु आवंटित की गई, किंतु बांधवगढ़ पार्क प्रबंधन 9 कार्यों से हटकर उपरोक्त राशियों का उपयोग अपने फायदे के लिए अन्य जगहों पर कर लिया।
जांच से सामने आएंगे घोटाले :
खबर है कि बीटीआर में दी गई राशियों का प्रबन्धन ने ऐसे कार्यों में खर्च कर दिया जहां बंदरबांट आसानी से किया जा सके। वहीं जिम्मेदारों ने भी अपना स्वार्थ देखते हुए चांदी काटने के उद्देश्य से एनटीसीए द्वारा दी गई राशि बीटीआर प्रबंधन द्वारा खर्च किए गए। जबकि इससे सम्बंधित राशि के बिल वाउचर और निर्माण स्थलों की जांच कराई जाए तो उमरिया समान्य मंडल में हुए घोटाले से बड़े घोटाले पर से पर्दा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सामने आ सकता है, इससे कई अधिकारी सेवानिवृत्त से पहले निलंबित भी हो सकते हैं।