सीधी जिले में पिछले एक सप्ताह से राजनैतिक ड्रामा चल रहा है ।इस सम्पूर्ण घटनाक्रम में धरने पर बैठे पूर्व मंत्री जी पर प्रशासन ने fir दर्ज की ,जिसमे 144 धारा के उल्लंघन करने और पेंडेमिक गाइड लाइन का उल्लंघन करने के कारण मामला पंजीबद्ध किया गया ।
क्या जनता की मांग उठाना गलत ?
अब सवालयह है कि पूर्व मंत्री महोदय तो जनता को होने वाली परेशानियों और दवाओं की उपलब्धता टीके की उपलब्धता, आदि विषय को लेकर ही धरने पर बैठे ,मंत्री महोदय ने जोर देकर कहा कि चिलचिलाती धूप और गर्मी में मैं 4 घंटे धरना दिया ।
किसने कहा था साहब आप गाइडलाइन का उलंघन कर धरना दीजिये आप तो मंत्री रह चुके हैंआप अपनी मांग रखना ही चाहते थे तो गाइडलाइन का पालन करते हुए भी तो कर सकते थे ।आखिर संदेश क्या देना चाहते हैं ,जनाब ।
2जून को भी आपके द्वारा ज्ञापन देने के दौरान भी गाइड लाइन जो कोरोना महामारी के दौरान जारी हुई है का उल्लंघन किया गया जो वीडियो में साफ साफ दिखता है।मीडिया के सम्मुख आपने खुले आम प्रशासन को चुनौती भी दे डाली की हिम्मत है तो गिरफ्तार कर लें।और यही नही रुके आप लॉक डाउन खुलने पर आंदोलन की चेतावनी भी दे डाली ।
इसके मायने क्या निकाले जाय ,आप कानून से बड़े हैं क्या?
सम्पूर्ण पत्रकार वार्ता के दौरान आप कहते रहे कि सत्ता पक्ष के सांसद विधायक, आदि लोगो ने भी गाइडलाइन का उल्लंघन किया उन पर कार्यवाही क्यों नही की गई ।महाशय एक भी उदाहरण आप नही दे सकते कि सत्ता पक्ष के लोगों ने सड़क पर यू धरना दिया हो हां सीधी जिले में कुछ उदाहरण हैं किन्तु कार्यवाही तो उनपर भी होनी ही चाहिए क्योंकि जिम्मेदारी तो उनकी ज्यादा है जो सत्ता में हैं जैसी कार्यवाही आप पर हुई है महाशय वही कार्यवाही महोदय पर भी होने से प्रशासन की जो किरकिरी हुई है शायद उस पर कुछ पर्दा पड़ जाय।
सत्ता पक्ष के लोगों को पेंडेमिक के दौरान समस्त निगरानी करने और सम्पूर्ण व्यवस्थाओं को सही तरीक़े से उपलब्ध कराते रहने का कार्य दिया गया था। जो वो करते रहे ।आप भी विधायक हैं और पूर्व मंत्री आप भी व्यवस्था का जायजा लेने के लिए स्वतंत्र हैं किंतु महामारी के इस दौर में इस प्रकार सड़क पर धरना देना क्या उचित था ?
जब लॉक डाउन नही था तब आपने जनता की समस्या के समाधान के लिए कार्य क्यों नही किये ,आप शक्ति प्रदर्शन में लगे रहे ,आगे भी शायद आपकी रणनीति यही है । जिसका जिक्र आप ने पत्रकारों के सवालों के जवाब देते समय किया है ।
प्रशासन ने दोहरी मानसिकता के साथ कार्यवाही की इस बात की पुष्टि तो विभिन्न खबरों और सोशल मीडिया में आये वीडियो ने कर दी ।
लेकिन जिम्मेदारी मात्र एक कि नही सत्ता पक्ष को ज्यादा जिम्मेदार होना चाहिए इसके मायने ये नही की विपक्ष महामारी के दौर में सड़कों पर उतर कर व्यवस्था बिगाड़ने का कार्य करे पक्ष और विपक्ष दोनो को ही जिम्मेदार होना चाहिए ।