अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद् की राष्ट्रीय कार्यपरिषद की बैठक 10-11 जुलाई 2021 को आभासी (वर्चुअल) तौर पर आयोजित हुई, जिसमें पूरे भारत से 90 सदस्यगण ने भाग लिया. बैठक का प्रारम्भ 10 जुलाई 2021 को उन सदस्यगण को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ प्रारम्भ हुआ, जिनका covid -19 संक्रमण के चलते देहांत हो गया।
स्वागत उद्बोधन श्री विनायक दीक्षित, वरिष्ठ अभिभाषक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा दिया गया. तत्पश्चात श्री चुन्नीलाल अरोरा, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष द्वारा वर्ष 2020-21 के लेखा विवरण प्रस्तुत किये तथा सदस्यगण को परिषद् के नई दिल्ली में बनने वाले राष्ट्रीय कार्यालय की योजना के बारे में भी सूचित किया. प्रथम सत्र में श्री सत्य प्रकाश राय, राष्ट्रीय मंत्री द्वारा राज्य इकाइयों के पुनर्गठन तथा इस सम्बन्ध में भविष्य की योजना के बारे में चर्चा की. राष्ट्रीय महामंत्री श्री डी. भरत कुमार द्वारा अधिवक्ता परिषद् की 1992 में स्थापना से लेकर अभी तक की गौरवशाली यात्रा तथा समाज द्वारा एक संगठन के तौर पर समाज की परिषद् से अपेक्षाओं के बारे में अपने विचार रखे।
श्रीमती सुमन चौहान, राष्ट्रीय मंत्री द्वारा परिषद् द्वारा वर्ष 2025 हेतु नियत किये गए लक्ष्यों को प्राप्त करने के बारे में विचार रखे।
11 जुलाई 2021 को श्री आर. राजेंद्रन, राष्ट्रीय सचिव द्वारा पश्चिम बंगाल के वर्तमान परिदृश्य के परिप्रेक्ष्य में केंद्र-राज्य सम्बन्ध तथा शक्तियों के पृथक्कीकरण के सम्बन्ध में संवैधानिक प्रावधानों का मुद्दा उठाया गया. श्री अखिलेश व्यास, महामंत्री, पंजाब प्रान्त द्वारा सोशल मीडिया की भूमिका, विधिक प्रश्न तथा नवीन शासकीय नीति-निर्देशों के सम्बन्ध में विचार रखे।
राष्ट्रीय कार्यपरिषद को कार्यकारी अध्यक्ष श्री के. एस. मूर्ति द्वारा समापन सत्र में मार्गदर्शन दिया गया जिसमें उन्होंने संगठन की गुणवत्ता व विकास तथा पहुँच का विस्तार करने हेतु मार्ग प्रशस्त करने के सम्बन्ध में विचार रखे. राष्ट्रीय कार्यपरिषद द्वारा सर्वसम्मति से पांच संकल्प पारित किये गए जो इस प्रकार हैं- (1) राज्य न्यायिक सेवाओं में प्रवेश हेतु 3 वर्ष के अनुभव की अनिवार्यता को पुनः लाया जावे (2) राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के सम्बन्ध में माननीय सर्वोच्च न्यायलय द्वारा 2016 में पारित निर्णय की समीक्षा हो (3) बंगाल में विधि के शासन की पुनर्स्थापना हो तथा बंगाल में हिंसा के अपराधियों को उचित दंड मिले (4) विभिन्न राज्यों एवं केंद्र सरकार द्वारा स्थापित विभिन्न न्याय अधिकरणों/आयोगों/फोरम/ इत्यादि में समय सीमा में नियुक्तियां की जावें (5) भारतीय विधिज्ञ परिषद् द्वारा बार कॉउंसिल नियमों में प्रस्तावित संशोधनों को वापस लेने हेतु कहा जाये।
बैठक धन्यवाद प्रस्ताव एवं राष्ट्र गान के साथ संपन्न हुई।