सीधी! विश्व हिंदू परिषद बजरंगदल जिला सीधी द्वारा गुरुपूर्णिमा उत्सव का कार्यक्रम मणिकूट आश्रम पीठाधीश्वर श्री विशेश्वर दास जी महाराज के मार्गदर्शन,उमापति सिंह गहरवार जिलाउपाध्यक्ष की अध्यक्षता,श्रीराम सोनी सोहिल जिला सह संयोजक बजरंगदल,नगर अध्यक्ष शैलेंद्र सिंह के विशेष उपस्थित में सम्पन हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ महर्षि वेदव्यास के चित्र के समक्ष अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।संगठन के समस्त पदाधिकारीयो ने सभी संतों का श्रीफल एवं अंग वस्त्र भेट सम्मान किया।
महाराज जी ने उदबोधन में बताया कि गुरू पूर्णिमा उन सभी आध्यात्मिक और अकादमिक गुरूजनों को समर्पित परम्परा है जिन्होंने कर्म योग आधारित व्यक्तित्व विकास और प्रबुद्ध करने, बहुत कम अथवा बिना किसी मौद्रिक खर्चे के अपनी बुद्धिमता को साझा करने के लिए तैयार हों।
इसको भारत, नेपाल और भूटान में हिन्दू, जैन और बोद्ध धर्म के अनुयायी उत्सव के रूप में मनाते हैं। यह पर्व हिन्दू, बोद्ध और जैन अपने आध्यात्मिक शिक्षकों / अधिनायकों के सम्मान और उन्हें अपनी कृतज्ञता दिखाने के रूप में मनाया जाता है।
यह पर्व हिन्दू पंचांग के हिन्दू माह आषाढ़ की पूर्णिमा (जून-जुलाई) मनाया जाता है।इस उत्सव को महात्मा गांधी ने अपने आध्यात्मिक गुरू श्रीमद राजचन्द्र सम्मान देने के लिए पुनर्जीवित किया।आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं।
इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
जिलाउपाध्यक्ष ने कहा आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त शक्ति मिलती है।जिला संयोजक ने बताया कि शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक।
गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है। अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को ‘गुरु’ कहा जाता है।नगर अध्यक्ष ने कहा है कि मनुष्य की अज्ञानता रूपी अंधकार को प्रकाश रूपी ज्ञान को लाने का कार्य गुरु करता है इसलिए गुरु देवतुल्य है।
कार्यक्रम में गगन अवधिया,डॉ रामचंद्र तिवारी,अशोक तिवारी,अजीता द्विवेदी, संध्या मिश्रा, राजेन्द्र शर्मा,शैलेंद्र सिंह,राजू पांडेय,माखन मिश्रा,रोहित राठौर,शेखर भारती, राकेश कुशवाहा,विवेक चौरसिया, रविराय बहादुर सिंह,सुनील गिरी,निहाल सिंह,अमन श्रीवास्तव,सौरभ केशरी,आदर्श चौहान,हरि मिश्र,प्रितेन्द्र गौतम,शिवम गुप्ता समेत सैकड़ों कार्यकर्ता एवं श्रद्धालु उपस्थित रहें।उक्त जानकारी गगन अवधिया जिला सह प्रचार प्रसार प्रमुख द्वारा दी गई।