विकाश शुक्ला/उमरिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पार्क सफारी वाहनों के मालिकों द्वारा नया खेल किया जा रहा है। इस कारनामे ने टाइगर रिजर्व के अंदर हुए खेल से समूचे पार्क प्रबन्धन के जिम्मेदार अधिकारियों पर प्रश्नचिन्ह अंकित कर दिए। तो वहीं वाहन मालिकों के रसूख का अंदेशा भी इसी कारनामे से लगाया जा सकता है, की पर्यटन गतिविधियों में वाहनों के मापदंडों को कैसे दरकिनार किया गया है। मजे की बात तो ये है, कि इन सब कारनामों मे प्रबन्धन की लचर कार्यप्रणाली कहीं न कहीं पर्यटकों से लूट और अपने ही शासन से धोखाधड़ी मामले में सहभागिता औए षड्यंत्र की ओर इशारा कर रही है। जिस तरह से वाहनों के तय क्षमता की मांग के बावजूद उसे न लगाकर उसी स्थान पर कम क्षमता के वाहनों का पंजीयन कर दौड़ाया जा रहा है, इस पर पूंजीपतियों का रसूख और जिम्मेदार अधिकारियों की आपसी तालमेल दिखाई दे रही है।
भार क्षमता में हो रहा खेला :
बीटीआर में पर्यटकों को जंगल सफारी के लिए जिन वाहनों का उपयोग किया जा रहा है, उसमें एक बड़ा झोल होने का मामला प्रकाश में आया है। जानकारी अनुसार चार बाए चार के टूरिस्ट वाहन क्षमता की जगह छः धन एक क्षमता के वाहनों का उपयोग टूरिस्टों को जंगल सफारी में किया जा रहा है। उक्त जिन वाहनों का उपयोग जंगल सफारी में किया जा रहा है, वह परिवहन विभाग में तय क्षमता से कम अर्थात छः धन एक की भार क्षमता में पंजीकृत है, लेकिन प्रबन्धन के नाक नीचे वाहन आठ यात्रियों के हिसाब से दौड़ रहा है।
यह कह रहा आदेश :
जिस तरह से बीटीआर में नियम कायदे औधेदारों के आगे घुटने टेक देते हैं, उसमें उनकी सहभागिता पर भी शंका प्रतीत होती है। दरअसल यदि कार्यालय मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) मध्य प्रदेश का पत्र क्रमांक/पर्यटन/6249 भोपाल दिनांक 5/09/19 का अवलोकन किया जाए, तो कंडिका (1) में स्पष्ट लेख है, कि पर्यटन हेतु पंजीयन किये जाने वाले वाहन की न्यूनतम बैठक क्षमता आरटीओ पंजीयन अनुसार आठ यात्रियों की हो, अर्थात 8 यात्रियों से कम यात्रियों के वाहनों का उपयोग नहीं हो सकेगा। साथ ही अन्य दिशानिर्देश उल्लेख हैं। किंतु बीटीआर में यह आदेश रद्दी के टोकरी में होकर मूंह चिढ़ा रहा है।
पर्यटकों को लूट रहे वाहन स्वामी! :
जिस तरह से प्रधान मुख्य संरक्षक के आदेशों की धज्जियां उड़ाई गई, और गुमराह कर जमीनी अधिकारियों के संग मिलकर वाहन स्वामियों ने नियम विरुद्ध गुमराह कर पर्यटक वाहनों का संचालन किया, वह धोखाधड़ी की श्रेणी में तो है, साथ ही महंगे टिकट के बाद पर्यटकों से भी लूट है। जिसकी जांच कर कार्यवाही होनी चाहिए। विदित हो कि छः धन एक यात्री वाहनों का उतना ही भुगतान लिया जाता है, जितना कि 8 यात्रियों के भार क्षमता वाले टूरिस्ट वाहनों का दाम तय है।
दुर्घटनाओं की बढ़ी संभावना :
जानकरों की माने तो जिस तरह से भार क्षमता में खेल कर वाहनों के संचालन का मामला प्रकाश में आया है, इसमें अनहोनी की आशंका बनी रहती है। वहीं यदि किसी तरह की अनहोनी होती भी है, तो पर्यटकों को बीमा का लाभ भी उतने लोगों को मिलेगा, जितने क्षमता की सवारी वाहन है, ऐसे में पर्यटकों से भी धोखाधड़ी की जा रही है।