सीधी!
विहिप-बजरंगदल के राष्ट्रीय संयोजक के आह्वाहन पर देश भर में विजयादशमी के दिन अधिक से अधिक हिन्दू परिवार में शस्त्र पूजन हो। इसी आह्वाहन पर बजरंगदल जिला सीधी के जिला सह संयोजक अटल मिश्रा ने भी बजरंगदल के कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि अधिक से अधिक परिवारों को विजयादशमी के पर्व का जनजागरण करते हुए शस्त्र पूजन के लिए प्रेरित करें।
जिसका परिणाम स्वरूप सैकड़ों परिवारो में शस्त्र पूजन का कार्यक्रम आयोजित हुआ।जिला सह संयोजक ने विजयादशमी के महत्व को बताते हुए कहा की दशहरा का पर्व असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। हिंदू धर्म में दशहरा के पर्व को विशेष माना गया है। दशहरा यानि विजय दशमी का पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी की तिथि को मनाया जाता है।
दशहरा का पर्व अवगुणों को त्याग कर श्रेष्ठ गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इसीलिए इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है।दशहरा महाकाव्य रामायण में लंका के राजा रावण पर भगवान राम की विजय की याद दिलाता है। रावण को भगवान राम ने हराया था, और अपनी पत्नी सीता को रावण की कैद से बचाया गया था।
दशहरा शब्द संस्कृत के दो शब्दों से बना है। ‘दशा’, जो रावण के दस सिरों का प्रतिनिधित्व करती है, और ‘हारा’ जिसका अर्थ है ‘हारना’। इस प्रकार, दशहरा का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।दशहरा यानि विजय दशमी के पर्व लेकर माना जाता है कि इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने अहंकारी लंकापति रावण का वध किया था। रावण के अत्याचार और अंहकार से मुक्ति दिलाने के लिए ही भगवान विष्णु ने राम के रूप में अवतार लिया था।
भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर पृथ्वी को रावण के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी। रावण पर विजय प्राप्त करने की खुशी में ही दशहरा का पर्व मनाया जाता है। वहीं एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था।अटल मिश्रा ने आगे कहा की दो प्रकार के संहारक होते हैं,अस्त्र और शस्त्र।’अस्त्र’ उसे कहते थे, जो किसी मंत्र या किसी यंत्र द्वारा संचालित होते थे। मंत्र और यंत्र द्वारा फेंके जाने वाले अस्त्र बहुत ही भयानक होते थे। इनसे चारों तरफ हाहाकार मच जाता था। जैसे वर्तमान में यंत्र से फेंके जाने वाले अस्त्र तोप होती है। मंत्र से जैसे ब्रह्मास्त्र, पाशुपतास्त्र, पर्जन्यास्त्र आदि।
शस्त्र हाथों से चलाए जाने के कारण इन्हें शस्त्र कहते हैं। शस्त्र दो प्रकार के होते थे यंत्र शस्त्र और हस्त शस्त्र। यंत्र शस्त्र के अंतर्गत शक्ति, तोमर, पाश, बाण सायक, शण, तीर, परिघ, भिन्दिपाल, नाराच आदि होते थे। हस्त शस्त्र के अंतर्गत ऋष्टि, गदा, चक्र, वज्र, त्रिशूल, असि, खंजर, खप्पर, खड्ग, चन्द्रहास, फरसा, मुशल, परशु, कुण्टा, शंकु, पट्टिश, वशि, तलवार, बरछा, बरछी, कुल्हाड़ा, चाकू, भुशुण्डी आदि। उक्त सभी से युद्ध लड़ा जाता था।
उक्त अभियान में जिला गौरक्षा प्रमुख सतीश द्विवेदी,जिला मिलन प्रमुख विवेक चौरसिया,जिला सह मिलन प्रमुख अशोक गुप्ता,जिला विद्यार्थी प्रमुख दीपक द्विवेदी, जिला सुरक्षा प्रमुख गिरीश सिंह,जिला बलोपसना माखन मिश्रा समेत विश्व हिन्दू परिषद बजरंगदल के सैकड़ो कार्यकर्ता सहभागी बने।उक्त जानकारी गगन अवधिया द्वारा दी गई।