विकाश शुक्ला/उमरिया। जिले में पहले एक स्वास्थ्य कर्मचारी का रिश्वत लेने का ऑडियो वायरल किया जाता है, उसके बाद उसे कलेक्टर उमरिया के पास गुमराह करते हुए पुराने ऑडियो के भेजकर निलम्बित करा दिया गया। यही नहीं रिश्वत मांग का ऑडियो रिकॉर्डिंग भले ही पुराना हो, लेकिन इसे वायरल करने में नया गेम बबलू ने कर दिया, ऐसी चर्चाएं जिला चिकित्सालय के दफ्तरों में गूंज रही हैं। लोग कहते भी नहीं, चूक रहे कि त्रिपाठी ने बॉलिंग तो मिड विकेट लेने के लिए फेंकी, लेकिन नो बॉल हो जाने के कारण सहायक वर्ग दो नॉट आउट हो गए। हालांकि सूत्रों की माने तो भले ही सहायक वर्ग 2 नॉट आउट हो गए, लेकिन उन्हें पवेलियन वापस जाना ही पड़ेगा, अर्थात अब अन्य कार्यों का जिम्मा ही सौंपा जाएगा। वहीं सीएमएचओ ने भी जाँच प्रतिवेदन सौंपने में समय को सदुपयोग किया।
पहले से ही निलम्बित स्टे पर चल रहे बाबू :
ऑडियो प्राप्त होने के बाद कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने सीएमएचओ कार्यालय में कार्य सम्भाल रहे सहायक वर्ग 2 कौशल साकेत को निलंबित कर दिया, और जांच करने और प्रतिवेदन 7 दिवस के अंदर प्रस्तुत करने सीएमएचओ को निर्देशित कर दिया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी आर के मेहरा ने जांच प्रतिवेदन के माध्यम से अवगत कराया, कि रिश्वत मांगने के ऑडियो रिकॉर्डिंग वर्ष 2015 की है, जिसमें महिला की आवाज श्रीमती कमलेश बाई की है, जिसकी शिकायत पर संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य सेवायें रीवा संभाग रीवा के आदेश क्र./ शिकायत/2014-15/251 दिनांक 28.02.2015 द्वारा कौशल साकेत को निलंबित किया गया था।
बैक फुट पर डीएम :
जिस मामले में कलेक्टर ने निलम्बित किया था, वह मामला लगभग 6 वर्ष पूराना है, जिस पर उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा याचिका क्रमांक 3162/2015 में दिनांक 09.03.2015 को निलंबन आदेश में स्थगन दिया गया है। जिसके बाद जिला कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने कार्यालय का आदेश क्र. 674, दिनांक 18.10.2021 तत्काल प्रभाव से निरस्त करते हुए कौशल बाबू को बहाल कर दिया।
कुर्सी चल रहा खेल :
खबर है कि सीएमएचओ कार्यालय में जो कारनामे इन दिनों चल रहे हैं, उस कारनामे के पीछे का मास्टरमाइंड त्रिपाठी है, जिसकी कुर्सी भ्रष्टाचार की नदी में इतनी उफनाई की कलेक्टर ने उसे पहले ही निलम्बित कर रखा है, बाद में जिस कुर्सी का जिम्मा कौशल साकेत को सौंपा गया, उसे छीनने का षड्यंत्र त्रिपाठी ने किया, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए।
दीमक की भांति खोद रहे डेहरी :
जिला चिकितसालय में जिस किसी को मौका मिला, उसने दीमक की तरह जड़ खोदा। यही नहीं करोड़ों की अकूत सम्पत्तियों के मालिक भी बने, इस बात की पुष्टि एक सामान्य संविदा कर्मचारी के करोड़ों रुपये के गबन के मामले ने की।
ग़ौरतलब है कि जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरे य न सुधरे, किन्तु स्वास्थ्य कर्मियों की हालत और चेहरे की चमक जरूर सुधर रही है। जिम्मेदार डीएम को गुमराह कर मलाईदार कुर्सी हथियाने हर तरह का दांव पेंच किया जा रहा है, जबकि सूत्रों की माने तो कौशल साकेत को विधानसभा और आयुष्मान कार्ड जैसे कार्यों तक सीमित रखने की योजना बनाई जा रही है, जहां अन्य कर्मचारियों का मानना है, की यदि जिला कलेक्टर इस तरह का निर्णय लेते हैं, तो यह बेलगाम स्वास्थ्य सेवाओं में एक लगाम कसने की ओर सार्थक कदम होगा, जबकि मुख्य लेखापाल का जिम्मा वीरेन्द्र त्रिपाठी को भी न दिया जाए।