सीधी
सीधी परिवहन कार्यालय में इन दिनों गंदगी का आलम है ।चारों तरफ सिर्फ गंदगी दिखाई देती है । कहने को तो परिवहन कार्यालय को राज्य की कमाई का केंद्र माना जाता है ।
यहाँ शासन को तो फायदा होता ही है साथ ही यहाँ कार्यरत कर्मचारियों को भी काफी फायदा होता है ।तभी तो बरसो से एक ही जगह टिके हुए हैं ।सरकार की गाइड लाइन के अनुसार लंबे समय तक एक ही जगह पदस्थ कर्मचारियों को अन्यत्र स्थानांतरित करने का विधान है लेकिन यहां यह लागू होता नही दिखता ।
इतनी अथाह सुविधाओं के बाद भी कार्यालय की गंदगी कार्यालय में पदस्थ कर्मचारियों की कहानी बता ही देती है उन्हें खुद “गन्दे” होने से फुरसत मिले तभी तो उन्हें कार्यालय परिसर की गंदगी दिखाई देगी।
विगत 3 वर्षों से परिवहन कार्यालय अपने निजी भवन में स्थानांतरित हो चुका है और यहां कई सुविधाएं दी गयी हैं जिससे यहाँ लाइसेन्स बनवाने नवीनीकरण करने या अन्य कार्यों से आने वाले आवेदको को दिक्कतों का सामना न करना पड़े ,लेकिन इन सुविधाओं का लाभ मात्र कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी ही उठाते हैं ।
देश के यशस्वी प्रधानमंत्री ने खुले में शौच मुक्ति का अभियान सम्पूर्ण देश मे चलाया था किंतु उसका पालन इस कार्यालय में होता नही दिखता ।
सम्पूर्ण परिसर में खासकर कार्यालय के बाउंड्री वाल के आस पास उगी हुई अनैतिक झाड़िया अपनी उचाइयां छूने में कार्यालय के अनैतिक बाबुओं को भी पीछे छोड़ती दिखती हैं ।इन्ही बाउंड्रीवाल के बाहर शराब की बोतलें और मुर्गे आदि की हड्डी अपनी कुछ अलग ही कहानी बताते है।
प्रवेशद्वार के बाई तरफ बहता पानी और उसमें जमी काई अपनी कहानी बताती है की हम उसी प्रकार इस परिसर में जमे हैं और जमे रहेंगे जैसे यहां के लिपिक जमे हुए हैं बरसो से ।
आम जनता के पीने हेतु लगाया गया वाटर प्यूरीफायर भी स्वच्छता के उच्चतम मानदंडों का पालन करती हुई सहज ही दिख जाती है ।
आखिर कौन करेगा उद्धार शायद नितिन गडकरी जी या उनके जैसे किसी मुख्यमंत्री या मंत्री को ही आकर बड़ी ही विनम्रता से यह सब कार्य करवाना पड़े ।खैर अगर केंद्रीय परिवहन मंत्री को आना ही पड़ा तो शायद बाहर की और अंदर की दोनों जगह की गंदगी भी साफ हो जाय । क्योंकि जितनी गंदगी बाहर है उससे ज्यादा तो कार्यालय के अंदर कार्यरत कर्मचारियों में भारी मात्रा में भरी है ।
लेकिन यह सब होगा कब इसकी ही प्रतीक्षा है कोई तो आएगा !!!!!!!!