भोपालः मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव पर रोक लग गई है, सरकार के अध्यादेश वापस लेने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव स्थगित करने का आदेश जारी कर दिया है। मुख्य बात यह है कि पंचायत चुनाव के पहले और दूसरे चरण के नामांकन की प्रकिया शुरु हो गई थी, ऐसे समय में जिन लोगों ने नामांकन फॉर्म जमा कर दिए थे, उन्हें अब इस बात की चिंता है कि उनकी जमानत राशि का क्या होगा? जिस पर निर्वाचन आयोग ने भी स्थिति साफ कर दी है।
वापस मिलेगी पूरी राशि
पंचायत चुनाव स्थगित होने के बाद निर्वाचन आयोग के सचिव बीएस जामोद ने कहा कि ”पंचायत चुनाव में जिन प्रत्याशियों ने नामांकन फॉर्म के साथ सिक्योरिटी डिपॉजिट किया था, उन्हें परेशान होने की जरुरत नहीं है, क्योंकि जिस प्रत्याशी ने जहां नामांकन फॉर्म भरा था, वहीं से निक्षेप राशि वापस कीजाएगी।
इसके निर्देश राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को जारी कर दिए गए हैं। यानि पंच, सरपंच, जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य जिस भी चुनाव के लिए नामांकन जमा करने के साथ जमानत राशि जमा की गई है, वह पूरी राशि प्रत्याशी को वापस की जाएगी।
सरकार पंचायतों के संचालन की व्यवस्था करेगी
पंचायतों के संचालन की व्यवस्था को लेकर बीएस जामोद ने कहा कि ”पंचायत चुनाव का जो आधार अध्यादेश था वह सरकार ने वापस ले लिया था, इसके बाद पंचायत चुनाव कराना आधारहीन हो गया था।इस लिहाज से विधि विशेषज्ञों से चर्चा करने के बाद निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव निरस्त करने का फैसला लिया है।
वहीं उन्होंने बताया कि पंचायतों के संचालन, पंचायतों में कामकाज और सरकारी योजनाएं ना रुके इसकी व्यवस्था सरकार करेगी।
बता दें कि 6 जनवरी को पहले चरण का मतदान होना था, पहले और दूसरे चरण के लिए नाम वापसी के बाद प्रचार का दौर चल रहा था। लेकिन मतदान से दस दिन पहले ही चुनाव रद्द हो गए। दूसरे चरण का चुनाव 28 जनवरी को होना था, जबकि तीसरे चरण की चुनाव प्रक्रिया 30 दिसंबर से शुरु होनी थी।
सरकार ने पहले ही वापस ले लिया था अध्यादेश
सरकार ने पहले ही पंचायत राज एवं स्वराज (संशोधन) अध्यादेश वापस ले लिया था। उसके बाद से ही पंचायत चुनाव स्थगित होने की चर्चा शुरू हो गई थी, राज्यपाल ने भी इस पर मुहर लगा दी थी, जिसके बाद अब राज्य निर्वाचन आयोग ने भी चुनाव पर रोक लगा दी है।
ओबीसी आरक्षण के साथ हो पंचायत चुनावः बीजेपी
वहीं इस मामले मे मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि पंचायत चुनाव में ओबीसी वर्ग को आरक्षण मिले इसके लिए सरकार लगातार काम कर रही है, सरकार के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पंचायत चुनाव को लेकर पुनर्विचार याचिका भी लगाई गई है। ओबीसी आरक्षण के साथ पंचायत चुनाव हो इसलिए सुप्रीम कोर्ट से 4 महीने का समय मांगा गया है। राज्य सरकार की तरफ से दायर की गई याचिका में 4 महीने का वक्त मांगा गया है। समय मिलने से पिछड़ा वर्ग आयोग ओबीसी की आर्थिक और सामाजिक स्थिति की रिपोर्ट तैयार कर लेगी। इसलिए 4 महीने का वक्त कोर्ट से मांगा गया है। ताकि पंचायत चुनाव पूरी तरह से ओबीसी आरक्षण के साथ हो।