नेशनल फ्रंटियर, उमरिया। जिले से गुजरने वाले नेशनल हाईवे 43 में चौदह घण्टे से लगभग 5 किलोमीटर का लंबा जाम सड़क निर्माण कर रही ठेका कम्पनी टीबीसीएल के लापरवाही के कारण लग गया। वहीं टीबीसीएल कंपनी के लापरवाही की वजह से लगने वाले सड़क जाम में कई लोग जान आफत में फंसाये रात भर गाड़ियों में बैठे रहे, जबकि बे-मौसम बरसात के साथ तेज प्राकृतिक बिजली चमक और बादल के गड़गड़ाहटों ने मुसाफिरों को सख्ते में डाल दिया था। आलम यह है कि इस जाम के पीछे जितना दोषी ठेकेदार और कम्पनी है, उतने ही सवाल जिले के जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों पर भी उठ रहे हैं।
यह है मामला :
दरअसल बता दें कि मौसम विभाग के पूर्वानुमान अनुसार शहडोल संभाग में बारिश की संभावनाएं जताई गई थीं, जहां बीते रात से उमरिया जिले में बारिश जारी है। इसी बारिश की वजह से उमरिया जिले के पाली जनपद अंतर्गत घुनघुटी मोर्चा बाबा फाटक से तक़रीबन 50 मीटर पहले बीते शनिवार को नेशनल हाईवे में रात्रि 11:00 बजे से मिट्टी गीली होने के चलते कई गाड़ियां फंस गई और रोड पर लंबा जाम लग गया। खबर लिखे जाने तक सुबह कई भारी भरकम वाहनों के साथ मुसाफ़िरों के वाहन भी इस जाम में फंसे रहे और सड़कों पर भारी भरकम गाड़ियों का काफ़िला थमता चला गया, इस काफिले के जमावड़े के डिस्टेंस का अंदेशा 5 किलोमीटर का जताया जा रहा है।
जान पर बनी मुसीबत :
मध्यप्रदेश शासन द्वारा जल संरक्षण के ट्रेनिंग को लेकर के उमरिया जिले की ग्राम पंचायतों से अनूपपुर जिले के राजेंद्र ग्राम के लिए गए हुए थे, उक्त वे भी ट्रेनिंग से वापस लौटते हुए के साथ ही कई अन्य मुसाफिरों सहित लोगों की सवारी बसें और वाहन जाम में फंस गए। मुसाफिरों ने कई घण्टे रात भर के लंबे इंतजार करने के बाद सुबह पैदल चलने का सिलसिला शुरू कर दिया। जाम में फंसे श्यामदीन सिंह, मनोज सेन व राम प्रसाद जयसवाल ने बताया कि रात 9 किलोमीटर के लंबे जाम में रात भर फंसे रहे हैं, अभी भी जाम लगा हुआ है, इसलिए अब पैदल ही जा रहे हैं, ताकि आगे से कोई गाड़ियां मिल जाएं तो घर पहुंचा जा सके। श्यामदीन सिंह का कहना है कि सड़क में इतना लंबा जाम लगने से ठेका कम्पनी की इतनी बड़ी लापरवाही प्रतीत हो रही है।
अधिकारी भी चिर निद्रा में लीन :
विदित हो कि जिले से गुजरने वाली नेशनल हाईवे 43 सड़क का निर्माण का कार्य उमरिया से शहडोल तक के लिए लगभग 6 वर्षों से जारी है, लेकिन अभी तक सड़क पूर्ण रूप से नहीं बन सकी। ऐसे में मुसाफिरों को कई तरह की समस्याओं सहित जान तक गंवाना पड़ रहा है, लेकिन सड़क निर्माण करने वाली तिरुपति बिल्डकॉन प्रायवेट लिमिटेड के द्वारा कछुए से भी धीरे चाल में किया जा रहा है, लेकिन अधिकारी चिर निद्रा में लीन हैं। उन्हें कम्पनी की लापरवाही प्रतीत नहीं हो रही। निर्माणाधीन जगह पर न तो साइन बोर्ड लगाया गया और न ही किसी तरह के निर्माणाधीन नियमों का पालन। मनमर्जी तौर पर कंपनी कछुए से भी धीमी चाल में चल रही है।