बीते बुधवार को आयोजित किसान आंदोलन में अप्रत्यासित भीड़ को देखकर कांग्रेस नेता कार्यक्रम को सफल तो मान रहे है लेकिन उक्त आंदोलन में आये किसानो को यह समझाने और बताने में नाकाम रहे की यह आंदोलन किस लिए था। कार्यक्रम में किसानो से ज्यादा ट्रेक्टर थे यह कहना अतिशयोक्ति नहीं की यह किसान आंदोलन नहीं ट्रेक्टर आंदोलन था।
उपस्थित व्यक्तियों में अधिकतर ऐसे लोग थे जिनका किसानी से दूर दूर तक सरोकार नहीं, किसानो की संख्या बहुत कम थी ,जो किसान थे उन्हें यह नहीं मालूम था की आंदोलन किसलिए था, कोई अपनी व्यक्तिगत समस्या का निराकरण करने आया था, तो कोई नेताओं का भाषण सुनने। यहाँ तक की कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को भी किसान बिल के सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं थी।
एकजुट हुए नेता
किसान आंदोलन के बहाने ही सही सीधी कांग्रेस के नेताओं में एकजुटता देखने को मिली ,काफी अरसे बाद सीधी के दोनों नेता एक साथ मंच साझा करते दिखे ,अब देखना होगा की यह एक जुटता आखिर किस अंजाम तक पहुँचती है।
इस आंदोलन ने जहा सीधी कांग्रेस में नवीन ऊर्जा का संचार किया है और युवा कांग्रेस नेताओ में जोश भर दिया है लेकिन यही एकता आगे बनी रहे इसका सारा दारोमदार सीधी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं पर ही है।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह राहुल भैया और सिहावल विधायक पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल के बीच का मन मुटाव सीधी कांग्रेस में सबको विदित है ।जो इस आंदोलन में नहीं दिखा यह उचित बात थी।
इन दिग्गजों के आपसी मतभेदों ने कांग्रेस पार्टी को सीधी की राजनीती में हाशिये पर खड़ा कर दिया था । अब अगर ये दोनों दिग्गज नेता आपसी मतभेदों को भूल कर एकजुट होकर कार्य करते हैं तो यह भाजपा के लिए बहुत बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।