नेशनल फ्रंटियर, उमरिया। राजनैतिक परिदृश्य से भले ही भाजपा को रणनीति बनाने में बड़ी पार्टी कही जाए, किन्तु नगरीय निकाय के इलेक्शन में उमरिया जिले के वार्ड 6 में भारतीय जनता पार्टी का समीकरण हल नहीं हो पा रहा है। शायद भाजपा जिस फार्मूले से वार्ड 6 को जीतने का भ्रम पाले हुए है, यहां लगाए जा रहे फ़ार्मूले का गलत उत्तर मिल रहा है। खासकर सबसे बड़ा समीकरण बिगाड़ने में बागियों का ज़्यादा रुझान सामने आ रहे हैं, जो भाजपा के विपक्षी दल कांग्रेस के लिए जीत की राह को आसान कर रही है। दो दलों के मध्य चुनावी जंग में भाजपा को 3 निर्दलीय उम्मीदवारों से जूझना पड़ रहा है, उसके बाद ही कांग्रेस का भी सामना करना है, जबकि इसके विपरीत कांग्रेस को जितने प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं, वे जीत की राह को भाजपा के मत को बांटकर आसान कर दिए हैं। राजनैतिक मंथन में चाय पर चर्चा करते हुए आम लोग कयास ये लगा रहे हैं, की भाजपा में बागियों का असंतोष और कमजोर प्रत्याशी पर दांव खेलना कांग्रेस को बढ़त दिला रहा है। मजे की बात तो ये है, कि यह वार्ड भाजपा के लिए हमेशा से जीत का सपना रहा है।
भाजपा के दो बागी हुए निर्दलीय :
इस वार्ड से कांग्रेस ने राजनैतिक घराने की बहू रश्मि सिंह पर चुनावी दांव खेला है, जहां जनमत के रुझान अनुसार ये दांव भाजपा के दो बागी हुए निर्दलीय प्रत्याशियों के कारण जीत की डगर को और आसान कर दिया है। अतएव भाजपा ने पिछले चुनाव में जिस प्रत्याशी गुड्डी बाई कचेर पर दांव खेला था, उसे कांग्रेस के प्रत्याशी ने सैकड़ों मतों से पटखनी दी थी, इस बार के चुनाव में पुनः हारे हुए प्रत्याशी पर भाजपा ने सामान्य वार्ड होते हुए भी दांव खेला है, जिस पर मुकाबला अपने ही दो अन्य बागियों से करना पड़ रहा है। जबकि एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में हैं, जिसे लेकर कयास लगाए जा रहे हैं, कि ये कुछ सवर्ण मतों को अपने खाते में जमा कराने में कामयाब हो सकते हैं, जो कि लगभग भाजपा का ही जनमत होगा। वार्ड छः से तीन निर्दलीय मैदान में हैं, जो जनमत की चर्चा अनुसार अधिकत्तम भाजपा प्रत्याशी के मतों को ही नुकसान पहुंचा रहा है।
ज़ीरो से करना पड़ेगा आरंभ :
यही नहीं वार्ड छः के आंकड़े में जहां तक़रीबन दोहरे शतक के मतों के बाद कांग्रेस अपने जनमत को जुटाने में लगी हुई है, वहीं भाजपा को जनमत के लिए आरंभ शून्य से करना पड़ रहा है, जबकि इसी में तीन निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी रण में बिगुल फूंक रहे हैं। खास बात ये है, की दोनों दलों के सूत्रों के अनुसार कांग्रेस इस वार्ड में कुछ भितरघातियों से सचेत होकर चल रही है, जबकि भाजपा के शीर्ष नेता ने इस वार्ड को जीतने का दावा भी कर लिया है।
आंकड़ों का ऐसा बन रहा समीकरण :
इस वार्ड के परिसीमन नक्शे पर नजर घुमाई जाए, तो यह नगर पालिका के सामने स्थित वार्ड फजिलगंज का दक्षिणी भाग शांतिमार्ग और फजिलगंज का उत्तरी भाग को मिलाकर एक घेरे में बांधती हैं, इन दो भागों में विभाजित वार्ड के अंतर्गत 1276 मतदाता निवास करते हैं। जो कि दो भागों (वार्ड 6 भाग 1 व भाग 2) में विभाजित है। पिछले चुनाव के अपेक्षा इस बार 80 प्रतिशत मतदान होने के आसार प्रतीत हो रहे हैं, जिसमें 25 से 30 प्रतिशत मत कांग्रेस के लिए सुरक्षित आंकड़े प्रदर्शित कर रहे हैं, जो कि जनचर्चा और कुछ गुप्त वार्तालाप के अनुसार निकलकर सामने आए हैं। ऐसे में 50 से 55 फीसदी आंकड़ों को पाने के खेल में कांग्रेस जुटी है, जबकि 80 फीसदी आंकड़ों में भाजपा प्रत्याशी को एड़ी चोंटी लगाना पड़ रहा है, उस पर बागी प्रत्याशी बतौर निर्दलीय मैदान में सैकड़ों मतदाताओं को अपने ओर समेटे हैं, जिसमें एक बड़ी मुसीबत भाजपा के लिए दिखाई दे रही है। लेकिन वार्ड छः के लिए भाजपा की उदासीनता कहें या जीत का भ्रम उसे यहां संघर्ष करने के लिए बाधक बन रहा है।