प्रकृति के साथ खिलवाड़ विकास के नाम पर होने जा रहा था जिस पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है ।
बताते चलें कि विगत दिनों नेशनल फ्रंटियर ने ओम्कारेश्वर में होने जा रहे 2600 करोड़ के मेगा प्रोजेक्ट के बारे में खबर चलाई थी ।
उक्त प्रोजेक्ट में ओम्कारेश्वर पर्वत पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के तहत आदि शंकराचार्य जी की मूर्ति स्थापना की जानी थी और इस पर्वतीय क्षेत्र को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाना था ।
इस प्रोजेक्ट में सबसे बड़ी विडंबना यह थी कि ओम्कारेश्वर पर्वत जिसकी अपनी एक मान्यता है इसकी प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था विकास के नाम पर अंधाधुंध पेड़ों की कटाई और इस धर्म क्षेत्र के पुरातन स्वरूप को बिगाड़ा जा रहा था ।
इसके खिलाफ भारत हित रक्षा अभियान समिति के कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था ।भारत हित रक्षा अभियान के कार्यकर्ता शंकराचार्य की प्रतिमा का विरोध तो नही कर रहे थे अपितु धर्म क्षेत्र में विकास के नाम पर हो रहे अवैध निर्माण और पर्यावरण के साथ हो रहे खेल के खिलाफ थे ।जिसके लिए प्रदेश भर में जन जागरण अभियान हस्ताक्षर अभियान और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन आदि प्रयास किये गए ।इसी तारतम्य में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में जनहित याचिका भी लगाई गई थी जिसमे माननीय उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए आगामी आदेश तक कार्य मे रोक लगा दी गयी है।हित रक्षा अभियान के साथ स्थानीय संत समाज और आम जनता का समर्थन अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
अंतरिम आदेश,,
अपने अंतरिम आदेश में मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ और न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगल पीठ ने प्रमुख सचिव, संस्कृति कार्य विभाग, उप संचालक आर्कियोलॉजी स्कल्पचर एंड म्यूजियम विभाग ,कलेक्टर खंडवा सहित ,sdo dfo को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 23 अगस्त को होनी है तब तक समस्त निर्माण कार्य मे रोक लगाई गई है।
याचिका कर्ता हित रक्षा अभियान समिति इंदौर की तरफ से अधिवक्ता श्री DK त्रिपाठी ने दलील प्रस्तुत की जिसमे ओम्कारेश्वर क्षेत्र खसरा नंबर 2-3तथा 9 में 35 हे. भूमि को संरक्षित घोषित किया गया जिसके संबंध में वर्ष2005 में प्रदेश सरकार ने अधिसूचना भी जारी की थी।