प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान माफियाओं को 10 फीट नीचे जमीन में गाड़ने की बात करते हैं वहीं बीते दिवस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलों के कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं लेकिन यह कार्रवाई धरातल में नजर नहीं आती है धरातल में सिर्फ आश्वासन और आदेश तक ही पूरी कार्रवाई सीमित रह जाती है ऐसा ही मामला मझौली जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत नदहा से आया है जहां भू माफियाओं ने मध्यप्रदेश शासन की जमीन को बंदोबस्त के दौरान फर्जी पट्टा तथा नक्शा बनवाकर करोड़ों की जमीन कौड़ियों के दाम पर बेच दिए हैं वहीं बची हुई जमीन भी बेचने की तैयारी चल रही है। जहां ग्रामीणों ने खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया है।
*पटवारी ने दिखाई थी दरियादिली*
बंदोबस्त के दौरान हुकुमचंद नामक पटवारी भू माफियाओं के घर पर रहता था तथा वहीं से कार्यालय संचालित करता था ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पटवारी साहब को घी बहुत पसंद थी जहां माफियाओं के द्वारा घी खिला कर मझौली टिकरी मार्ग पर नदहा मेन रोड के किनारे स्थित मध्यप्रदेश शासन की जमीन आराजी नंबर 43 सत्यनारायण गुप्ता के घर से लेकर नदहा पुल तक था। लेकिन पटवारी ने दरियादिली दिखाते हुए उक्त जमीन का एक हिस्सा छोड़कर तीन हिस्सा भू माफियाओं का कब्जा लिख दिया और तो और नक्शा भी बकायदे दर्शा दिया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि शंभू प्रसाद गुप्ता, सीता प्रसाद गुप्ता पिता शंभू प्रसाद गुप्ता की जमीन 60 डिसमिल आराजी नंबर 333 थी। बाकी शेष जमीन आराजी नंबर 332 प्राथमिक पाठशाला नदहा की जमीन थीं तथा मेन रोड के किनारे आराजी नंबर 43 की जमीन भी मध्यप्रदेश शासन की थी। लेकिन पटवारी ने मिलीभगत करते हुए मध्यप्रदेश शासन की जमीन को अवैध पट्टा तथा नक्शा बनाकर 333 नंबर में कन्वर्ट कर दिया नतीजा आज यह है शंभू प्रसाद गुप्ता सीता प्रसाद गुप्ता वगैरह की जमीन 60 डिसमिल से बढ़कर एक एकड़ से ज्यादा हो गई है। वही मध्य प्रदेश शासन के हिस्से की कुछ जमीन 2 व्यापारी वर्ग को बेची भी गई है।
*स्कूल की जमीन में भी अवैध कब्जा*
ग्रामीणों ने बताया कि उक्त माफियाओं ने उक्त शासकीय जमीन को तो फर्जी दस्तावेज बनाकर बेचने का खेल शुरू कर ही दिया है लेकिन प्राथमिक पाठशाला में नदहा की जमीन को भी पिछले हिस्से में अवैध कब्जा किया हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि प्राथमिक पाठशाला नदहा की जमीन 1 एकड़ 33 डिसमिल थी। लेकिन आज 60 डिसमिल के आसपास बची हुई है बाकी माफियाओं ने कब्जा कर लिया है। ग्रामीणों के द्वारा बताया गया कि बंदोबस्त के दौरान हुकुमचंद नामक पटवारी भू माफिया के घर पर रहता था इसी दरमियान माफियाओं ने मिलीभगत कर सभी जमीनों को फर्जी दस्तावेज के सहारे हड़प लिया है। बताया गया कि 1977 तथा 1992-94 तथा 1996 के नक्शे खसरे निकालने पर शासकीय की जमीन का फर्जी दस्तावेज के सहारे अवैध कब्जा तथा बिक्री करने वाले इस गिरोह का बड़ा पर्दाफाश होगा वही आराजी नंबर 334 नदी है लेकिन नदी के भी कुछ भाग 333 नंबर बनाया जा चुका है बीते दिवस अपर कलेक्टर में जांच कर अवैध कब्जा बनाना तथा शासकीय जमीन को खरीदी बिक्री करने को जांच करता था यफ़आईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे लेकिन अभी तक उक्त आदेश का पालन नहीं हुआ है। पूरा मामला सामने आते ही भू माफियाओं के द्वारा सीधी से कुछ गुंडे बुलाकर शासकीय जमीन पर घर बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है लेकिन प्रशासन अभी गहरी नींद पर सो रहा है।
मुझे इसकी जानकारी प्राप्त हुई है मैं इसकी जांच कर रहा हूं तथा जांच उपरांत दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
रवींद्र चौधरी
कलेक्टर सीधी