नेशनल फ्रंटियर, उमरिया। जिले में आदिवासियों की भूमि खरीदी-बिक्री का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। यही नहीं उक्त मामलों में कलेक्टरों की कार्य प्रणाली सवालों के घेरे में है। कई जगहों पर आदिवासियों के नाम पर भूमि खरीदी-बिक्री कर इमारतें और कमर्शियल उपयोग में ली गई, तो कई जगहों पर गैर आदिवासियों को ही आदिवासी की भूमि का सौदा कर दिया गया है। उमरिया जिले में आदिवासियों की भूमि की खरीदी-बिक्री का मुद्दा विधानसभा में भी उठाया गया। विधायक पीसी शर्मा ने विधानसभा सत्र के दौरान 23 दिसंबर को उमरिया जिले में 2018-19 में 82 दिन के कार्यकाल में तत्कालीन कलेक्टर अमरपाल सिंह के द्वारा क्रय-विक्रय के लिए दी गई आदिवासीयों की भूमि के अनुमति का मुद्दा उठाया।
82 दिन रहे कलेक्टर, ने दी अनुमति :
विधानसभा सत्र के दौरान 23 दिसंबर को ध्यान आकर्षण प्रश्न उठाते हुए, विधायक पी सी शर्मा ने कहा है, कि 2018-19 में तत्कालीन उमरिया कलेक्टर अमर पाल सिंह के द्वारा कार्यकाल के दौरान आदिवासियों की भूमि का सौदा किया है। इसमें 27 दिसंबर 2018 से 18 मार्च 2019 तक के 82 दिनों के कार्यकाल के दौरान जिन आदिवासियों की भूमि खरीदी-बिक्री की गई है, उसमें भ्रष्टाचार की शिकायतें हैं, जिससे भूमि स्वामियों में आक्रोश है। विधानसभा में मुद्दा उठने के बाद राजस्व मामलों में खलबली मच गई, वहीं सूत्रों की माने तो अधिकारी अपने स्तर पर जांच पड़ताल शुरू कर दिए हैं।
चुनाव से जुड़ा नाता! :
ख़बर है, कि तत्कालीन कलेक्टर ने चुनाव के पूर्व कुछ दिन के भीतर कई भूमि के लिए अनुमति दी थी, जिसमें कई आदिवासी परिवारों की भूमि शामिल थी। इस मुद्दे को चुनाव से भी जोड़ा गया था। सूत्रों के मुताबिक़ 2018-19 में भूमि खरीदी-बिक्री के कई ऐसे प्रकरणों में अनुमतियां दी गई थी, जो कई दिनों से लंबित थे। इसके अलावा आदिवासियों के भूमि खरीदी-बिक्री के भी मामले थे।