नेशनल फ्रंटियर, उमरिया। रविवार को जिले में उस समय लोगों की आंखें नम हो गईं, जिस समय प्रसिद्ध चित्रकार के निधन की ख़बर लोगों तक पहुंची। मिली जानकारी अनुसार जिले के मशहूर चित्रकार आशीष स्वामी गत दिवस कोरोना संक्रमित हो गए थे, जिसके बाद उन्हें जिला चिकित्सालय उमरिया के कोविड वार्ड में आइसोलेटेड किया गया था, किन्तु कोविड ने उन्हें अपने आगोश में समाहित कर लिया और वे आज अलविदा कह गए। प्राप्त जानकारी अनुसार कला गुरु आशीष स्वामी ने जिला चिकित्सालय के कोविड वार्ड में शाम 7 बजे अंतिम सांसें ली। जिसके बाद से आग की तरह उनके निधन के समाचार फैलने के बाद सुनने वाले स्तब्ध रह गए और लोगों की आंखें नम हो उठीं। बताया गया कि उनका ऑक्सीजन लेवल नॉर्मल हो गया था, लेकिन क्रिएटिनिन के लेवल बढ़े होने के कारण किडनी में समस्या हो गई। जिस वजह से उनका निधन हो गया।
जोधईया के गुरु थे आशीष :
जिले की लगभग 83 वर्षीय अनपढ़ आदिवासी चित्रकार जिसने देश-विदेश में अपनी पहचान चित्रकला के दम पर बनाई, उसके गुरु आशीष स्वामी थे जिन्होंने जन गण तश्वीर खाना में कई आदिवासियों के भविष्य की बेहतरी की नींव रखी और उनको चित्रकारी सीखा कर उनके भविष्य को संवारने का अथक प्रयास किया उसी में जोधईया बाई बैगा को पेंसिल पकड़ाकर चित्रकारी की दुनिया में उस मुक़ाम तक पहुंचाया, जिस मुक़ाम को शायद जोधईया सपने में भी नहीं देखीं होंगी, लेकिन उनसे कम उम्र के कला गुरु का यूं छोड़कर चले जाना न सिर्फ जोधईया बाई के लिए अपूरणीय क्षति है बल्कि जिले और कई आम इंसानों के अंदर एक चित्रकार को तराशने वाले कि अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती।
दिल्ली में हासिल किया उच्च शिक्षा :
आशीष स्वामी शांतिनिकेतन से फाइन आर्ट में डिग्री करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली गए। दिल्ली में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने मुंबई का रुख किया और मुंबई में कई वर्षों तक चित्रकारी किया लेकिन मन न लगने के बाद वे पुनः कुछ नया करने की चाह लिए अपने क्षेत्र में वापस लौट आए और जिले के लोढ़ा गांव में उन्होंने अपना स्टूडियो बनाया और वहां पर बैगा समाज के लोगों के अंदर की प्रतिभा को तराश कर उन्हें चित्रकारी का अवसर दिया। साथ ही जोधईया बाई, झूलन बाई जैसे कई चित्रकारों की खोज करके उनके भविष्य को संवारा और एक स्वतंत्र पहचान दिलाने में कामयाब हुए ।