नेशनल फ्रंटियर, उमरिया। जिले के नौरोजाबाद वन परिक्षेत्र के सजनिया सर्किल अंतर्गत बघवार बीट से वन अमले द्वारा बेशक़ीमती सागौन लकड़ी की सिल्लियां बरामद की गई। इस कार्यवाही से तो बेस्किमती लकड़ी को जप्त कर लिया गया, लेकिन न जाने कितने पेड़ इस पर कुर्बान हुए होंगे। आलम यह है, की यदि समय रहते इन पेड़ों को बचाया गया होता, तो वन विभाग के लिए यह कार्यवाई काबिल-ए-तारीफ़ होती। वन परिक्षेत्र नौरोजाबाद द्वारा की गई कार्यवाही ने विभाग के कारनामों की कलई खोल दी है, की वह कितना उदासीन है। “सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली” वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए, रेंजर द्वारा लाखों रुपये के मुरुम खनन कराकर 17 नग सिल्लियां पकड़कर जो डैमेज कंट्रोल किया जा रहा है, वह सवालों के घेरे में हैं।
यह किया विभाग ने :
वन विभाग को 10 – 11 जनवरी की दरमियानी रात कुछ लोगों द्वारा पड़ोसी जिला डिंडौरी सागौन की सिल्लियां ओमनी वाहन में लोड कर ले जाने की सूचना दी गई, जिसके बाद वन अमले द्वारा ओमनी वाहन MP51BB1072 मे लोड 17 नग सागौन की सिल्लियों सहित दो आरोपीयों को गिरफ्तार किया गया। वन विभाग द्वारा गिरफ्तार किए गए दो आरोपी किशोरी लाल साहू और चंद्रमणी साहू निवासी बरगांव जिला डिडौंरी बताए गए।
किसकी शह पर तस्करी..?:
आख़िरकार जिस तरह से कभी सागौन की तस्करी, तो कभी हजारों ट्रक अवैध मुरुम के खनन जैसे मामले सुर्खियां बटोर रही हैं। ऐसे में क्षेत्र के जिम्मेदार डिप्टी, रेंजर और एसडीओ भी सवालों के कटघरे में खड़े हैं, की यह तस्करी और अवैध उत्खनन किसके इशारे और संरक्षण में फलफूल रहा है। जहां एक ओर तक़रीबन लाखों रुपये का डीजल उड़नदस्ता वाहन में महज़ इसलिए खप रहा है, की जंगल से कटते हुए अवैध पेड़ों की रक्षा की जा सके, किन्तु दूसरी ओर अवैध लकड़ियों की तस्करी की छुटपुट कार्यवाही इस बात का प्रमाण हैं, की वन परिक्षेत्र नौरोजाबाद के अंतर्गत पदस्थ डिप्टी, रेंजर और एसडीओ जंगल कितना महफ़ूज रख रहे हैं, जबकि कई हजारों का डीजल गस्ती वाहन के नाम पर फूंका जा रहा है।
विवादों में घिरे रेंजर :
डेढ़ वर्ष पहले उमरिया वन मंडल के नौरोजाबाद रेंज में तालाब के नाम पर हजारों ट्रक मुरम खोदकर बेच दी गई थी। लेकिन बमुश्किल इस मामले में नौरोजाबाद रेंज में पदस्थ रेंजर पप्पू वास्केल के विरुद्ध अब जाकर विभागीय जांच शुरू हुई है। रेंजर को नोटिस दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक नौरोजाबाद वन परिक्षेत्र का अधिकांश दायरा डिंडौरी जिले की सीमा क्षेत्र से सटा हुआ है, जहां से अधिक मात्रा में सागौन लकड़ी की तस्करी जोरों पर है। उक्त आरोप भी रेंजर के दामन पर दाग लगा रहे हैं।
पर्दा डालने की कार्यवाई !:
रेंजर और दल ने 17 नग सागौन के सिल्लियों की जिस तरह से खेप पकड़कर तश्वीर खिंचाने में दिलचस्पी दिखाते हुए, अपनी पीठ थपथपाने में जुटा गया, यह पूर्व में किये गए मुरुम खनन के काले कारनामों पर पर्दा डालने की एक क़वायद कहने में जरा भी गलत नहीं होगा। यदि यही दिलचस्पी धरातल और पुख्ता गस्ती में दिखाई गई होती, तो जंगल से कट रहे पेड़ों पर अंकुश लग सकता। और तस्करों के हाथों से दी जाने वाली कई पेड़ों की जान को बचाया जा सकता। सूत्रों के मुताबिक़ उमरिया वन मण्डल अंर्तगत लकड़ी के अवैध तस्करी का सिलसिला जोरों पर है।
ग़ौरतलब है कि जिले के चंदिया और नौरोजाबाद क्षेत्र के जंगलों से तश्कर कई गुना सागौन और लकड़ी की अवैध कटाई के रूप में समाप्त कर चुके हैं। लेकिन महज गिनती के लकड़ियों की सिल्लियां पकड़कर विभाग अपने दामन में लगे धब्बों को साफ करने की कोशिशें करने में गुरेज नहीं करता। जिसे लेकर वन विभाग के ऊपर कई बड़े प्रश्नचिन्ह अंकित हो रहे हैं।