विकाश शुक्ला/उमरिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक के बाद एक बाघों के मौत का सिलसिला दिन ब दिन प्रकाश में आ रहा है, लेकिन यहां क्षेत्र संचालक बदलने के बावजूद भी स्थितियों में कोई सुधार नहीं हो रहा। आज फिर बीटीआर के परासी बीट अंतर्गत नर बाघ का शव बरामद हुआ, लेकिन प्रशासन ने जानकारी देने के बजाय अपने मोबाइल नम्बरों को सम्पर्क क्षेत्र से बाहर रखना ही ठीक समझा। जिस तरह से कुछ वर्षों से बाघों की मौत की ख़बर निकलकर आ रही है, उसे रोक पाने में पार्क प्रबंधन नाकाम साबित हो रहा है, जिससे वन्यजीवों के रखवालों की कार्य प्रणाली भी संदिग्धता की ओर इशारे कर रही है। सूत्रों की माने तो पेट्रोलिंग और कमजोर सूचना तंत्र बाघों के मौत की बड़ी वजह साबित हो रही है। जो बाघ पर्यटन के नाम पर राजस्व दिला रहे हैं, उन बाघों की मौत ने उनके सुरक्षा और व्यवस्था पर खर्च की जाने वाले राशि के आर्थिक भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है।
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के धमोखर वन परिक्षेत्र के परासी बीट में नर बाघ का शव बरामद हुआ। खबर लिखे जाने तक बाघ की मौत के कारणों की जानकारी अधिकारियों से सम्पर्क न होने की वजह से नहीं हो सकी। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार नर बाघ की मौत लगभग 20 घण्टे से ऊपर की बताई जा रही है, जिसका शव विच्छेदन और अंतिम संस्कार पार्क प्रबंधन लीपापोती करने के फेर में कराने की जुगत में किया गया।
गौरतलब है कि जिस तरह से धमोखर वन परिक्षेत्र के परासी बीट अंतर्गत नर बाघ का शव संदिग्ध परिस्थितियों में बरामद हुआ, उससे क्षेत्रीय अधिकारियों के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं, जबकि सूत्रों की माने तो जिनके कंधों पर जिम्मेदारी सौंपी गई, उन्हें स्थानांतरित होकर आए नए अधिकारी को अनुभवी और योग्य बताया जा रहा है, लेकिन बाघों की मौत न रोक पाना उनकी अनुभव विहीनता प्रदर्शित कर रही है। आधे से ज्यादा मौत को पार्क प्रशासन सुर्खियों से छिपाने का भरसक प्रयास करता है, जबकि मामला तूल पकड़ने पर उसे टेरिटोरियल फाइटिंग का रूप देकर अपना डैमेज कंट्रोल करने की जुगत जमा देता है, जो कि प्रबन्धन द्वारा पूर्व में भी किया गया। हालांकि अभी फ़िलहाल खबर लिखे जाने तक बीटीआर के जिम्मेदार अधिकारियों से नेटवर्कीय त्रुटि के कारण सम्पर्क नहीं हो सका। किन्तु देर शाम तक वन अमले द्वारा भी किसी तरह की जानकारी साझा नहीं की गई थी।