नेशनल फ्रंटियर, उमरिया। बाघों का साम्राज्य बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान बाघों की घनी आबादी, प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ अब एक नए मेहमान के लिए पहचान बनाने की ओर चल पड़ा है। प्रबंधन के बताए अनुसार यहाँ एक नए मेहमान बारहसिंगा (हिरण की एक प्रजाति) को बसाने की कवायद जोरों पर हैं। बाघों के गढ़ यानी बांधवगढ़ के लिए नया साल खुशखबरी लेकर आया है। जहां वन्यजीव प्रेमियों को अब यहां टाइगर की चहलकदमी के साथ बारहसिंगा की अटखेलियां भी मनमोंह लेंगी।
कान्हा से आएंगे बारहसिंगा:
दरअसल बारहसिंगा को लेकर एक योजना बनाई गई, जिसका प्रस्ताव भेजने के बाद भारत सरकार से इसकी मंजूरी मिली। प्रबंधन ने बारहसिंघा के पुनर्स्थापित के लिए मंजूरी के बाद सम्पूर्ण तकनीकी स्वीकृति के बाद इस पर कार्ययोजना शुरु कर दिया। फरवरी के अंत तक मे कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से बारहसिंघा को लाकर बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में रखा जाएगा। वहीं बारहसिंघा के घनत्व में इज़ाफ़ा होने के बाद इन्हें स्वतंत्र विचरण के लिए भी जंगल में छोड़ा जाएगा।
50 हेक्टेयर में होगा संस्थापन :
बांधवगढ टाइगर रिजर्व के मगधी जोन में कान्हा से लाये जाने वाले बारहसिंगा हिरणों के नर-मादा झुंड को बसाया जाएगा। इनके संस्थापन के लिए मग्धी जोन में 50 हेक्टेयर का बाड़ा बनाने का कार्य बीटीआर अमला कर रहा है, जो कि लगभग तैयार भी कर लिया गया है। अफसरों का कहना है, कि फरवरी माह में बारहसिंघा की पहली खेप लाई जाएगी, जिसमें 50 नर-मादा बारहसिंगा का झुंड होगा। इसके पश्चात 25-25 के दो अन्य खेप प्रत्येक वर्षों में लाकर बसाया जाएगा। जिसके लिए वन्य जीव विशेषज्ञों के साथ मिलकर वन विभाग ने व्यापक तैयारी की है। प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसे आगे विस्तार दिया जाएगा। वहीं टाइगर रिजर्व आने वाले सैलानियों के लिए भी लगातार सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं।
इन्होंने कहा –
अभी बाड़ा बनाने पर कार्य किया जा रहा है, 50 हेक्टेयर में बाड़े का निर्माण होगा। फ़िलहाल पचास बारहसिंगा के नर और मादा का झुंड पहली खेप में लाया जाएगा।
लवित भारती, उपसंचालक, बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व