सीधी
विश्व हिन्दू परिषद-बजरंगदल केंद्र टोली में लिए गये निर्णनय अनुसार देशभर में सुभाषचन्द्र बोस की जयंती के अवसर पर कोविड नियमों का पालन करते सूर्यनमस्कार का कार्यक्रम करने की योजना बनाई गई थी।उसी निमित्त सीधी जिले के कुल 16 स्थानों में कार्यक्रम आयोजित किये गए।
प्रखण्ड सीधी नगर का कार्यक्रम स्थानीय छत्रसाल स्टेडियम सीधी में विहिप जिलाउपाध्यक्ष उमापति सिंह की अध्यक्षता एवं जिला सह मंत्री राजकुमार पाण्डेय,बजरंगदल जिला संयोजक श्रीराम सोनी सोहिल,जिला मिलन प्रमुख विवेक चौरसिया,अनिल मिश्रा नगर मंत्री के विशेष उपस्थित में सम्पन हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ सुभाषचन्द्र बोस के प्रतिमा माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया।मुख्य वक्ता ने अपने उदबोधन में कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल हैं जिनसे आज के दौर का युवा वर्ग प्रेरणा लेता है।
सरकार ने नेताजी को जन्मदिन को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की है। सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा, जय हिन्द जैस नारों से आजादी की लड़ाई को नई ऊर्जा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज 126वीं जयंती है।नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा, बंगाल डिविजन के कटक में हुआ था। बोस के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था।
जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। प्रभावती और जानकीनाथ बोस की कुल मिलाकर 14 संतानें थी, जिसमें 6 बेटियां और 8 बेटे थे। सुभाष चंद्र उनकी 9वीं संतान और 5वें बेटे थे। नेताजी की प्रारंभिक पढ़ाई कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल में हुई। इसके बाद उनकी शिक्षा कोलकाता के प्रेजीडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से हुई।
इसके बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा (इंडियन सिविल सर्विस) की तैयारी के लिए उनके माता-पिता ने बोस को इंग्लैंड के केंब्रिज विश्वविद्यालय भेज दिया।1920 में उन्होंने इंग्लैंड में सिविल सर्विस परीक्षा पास की लेकिन भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने जॉब छोड़ दी थी। सिविल सर्विस छोड़ने के बाद वह देश के अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए।
जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना से वह काफी विचलित थे।कांग्रेस में महात्मा गांधी उदार दल का नेतृत्व करते थे, तो वहीं सुभाष चंद्र बोस जोशीले क्रांतिकारी दल के प्रिय थे। इसलिए नेताजी गांधी जी के विचार से सहमत नहीं थे। 1921 से 1941 के दौरान वो पूर्ण स्वराज के लिए कई बार जेल भी गए थे। उनका मानना था कि अहिंसा के जरिए स्वतंत्रता नहीं पाई जा सकती। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने सोवियत संघ, नाजी जर्मनी, जापान जैसे देशों की यात्रा की और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सहयोग मांगा।
उन्होंने आजाद हिंद रेडियो स्टेशन जर्मनी में शुरू किया और पूर्वी एशिया में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया। सुभाष चंद्र बोस मानते थे कि भगवत गीता उनके लिए प्रेरणा का मुख्य जरिया थी।उक्त कार्यक्रम में संदीप श्रीवास्तव,अमन श्रीवास्तव,प्रीतेन्द्र गौतम समेत समस्त कार्यकर्ता सम्लित हुये।उक्त कार्यक्रम की जानकारी गगन अवधिया जिला सह प्रचार प्रसार प्रमुख द्वारा दी गई।