विकाश शुक्ला/उमरिया। वन्यप्राणियों के अस्तित्व को लेकर भले ही केन्द्र से लेकर राज्य तक सरकार और वन्यप्रेमी चिंतित दिखाई दे रहे हों, लेकिन बीटीआर के जंगलों में रक्षक ही भक्षक बन बैठे हुए हैं। बांधवगढ में वन्यप्राणी को शिकारियों के अलावा वहां के रक्षकों से भी खतरा हो चला है। बीते दिनों पहले मिले एक कंकाल ने टाइगर रिजर्व के प्रबंधन के ऊपर आरोपों और शिकार संदिग्धता की ओर सवाल खडे कर दिए हैं। और उक्त मामले को क्षेत्र संचालक के इशारे पर दफ्न करने की बख़ूबी कोशिशें की गई। और आपने पुराने रवैये के लिए मशहूर प्रबन्धन ने हर सम्भव प्रयास किया कि मामले की भनक किसी को न लगे लेकिन सच ज़्यादा देर तक छिपाया नहीं जा सकता वह भी जब मामला वन्यजीवों के अस्तित्व को लेकर के हो। यही नहीं जो कंकाल मिला उसके बाद से प्रबंधन ने उसे लीपापोती करने की कवायद की और अपने को बचाने एक व्यक्ति को हिरासत में लेते हुए कार्यवाही कर दी गई। इससे प्रबंधन ने भले ही अपने को पाक साफ करने की कोशिशें की हों, लेकिन बीटीआर में वन्यजीवों के साथ क्या हो रहा है इस ओर भी कई सवाल खडे हो रहे हैं।
यह है मामला :-
दरअसल बांधवगढ टाइगर रिजर्व के मानपुर बफर क्षेत्र ग्राम मरई कला में बीते 28 मई को श्रमिक धिरेन्द्र चतुर्वेदी के द्वारा पार्क प्रबंधन को सूचना दी गई कि ग्राम मरई के निवासी रामचरण के घर में वन्यप्राणी के अवैध अवशेष रखे हुए हैं, जिसे सुन प्रबंधन हरकत में आया और मौके पर पहुंच गया। इसके साथ ही धीरेन्द्र चतुर्वेदी रामचरण के घर में रखे भूंसे में अवशेष (हड्डियां) निकाल लिया, जिसके बाद रामचरण के घरवालों के कहने पर प्रबंधन ने जब आगे की कार्यवाही की तो बीटीआर के वनजीवों के सुरक्षा और शिकारियो की चैकसी के बनाए गए कैम्प के स्टोर रूम से शेष अवशेष (हड्डियां) बरामद हुई।
डाॅग स्काॅड ने किया पर्दाफाश :-
जिस तरह से रक्षकों के भक्षक बनने के प्रमाण मिले उस पर गौर किया जाए तो बीते कई बाघों के हुए मौत को लेकर भी शंकाएं उठने लगी हैं। सूत्रों की माने तो आपसी गठजोड न बन पाने के कारण उक्त मामले का भंडा फोड हुआ है। जानकारी अनुसार जब प्रबंधन रामचरण के घर से अवशेष (हड्डियां) बरामद किया तो उसके परिजनों ने आरोप लगाए कि यह सब प्रबंधन के अधिकारी और कर्मचारियों के मिली भगत में हुआ है, जिसे लेकर प्रबंधन ने इसे पहले सिरे से नकार दिया। लेकिन परिजनों के द्वारा बताई गई बातों को संतुष्ट करने के लिए जब डाॅग स्क्वाॅड बुलाकर छानबीन शुरू किया तो पार्क प्रबंधन के नीचे से जमीं खिसक गई। अथार्त स्नाइफर डाॅग ने हड्डियों के स्मेल को पहचान कर उसके असली ठिकाने पर अपने पांव जमा दिए जिसके बाद मामले का पर्दाफाश हो गया और डिप्टी सहित अन्य कर्मियो पर दाग लगे।
कैम्प से खुला राज :-
डाॅग स्क्वाॅड छानबीन करते हुए वनजीवों के सुरक्षा और शिकारियो की चैकसी के लिए बनाए गए बिजौरी चैकी के पास बने कैम्प में जा घुसा जहां कैम्प में ताला लगा हुआ था, जिसे डिप्टी द्वारा खोलने में आनाकानी की जाने लगी, जांच अधिकारियों द्वारा कडी मस्क्कत के साथ ही ताला खुलवाया गया तो कमरे से कंकाल बरामद हुआ तब अधिकारीयों द्वारा प्रबंधन के लापारवाही को छिपाने गरीब रामचरण के उपर कार्यवाही कर मामले से पलडा झाड लिया गया। वहीं चर्चाएं हैं कि अधिकारीयो को छोड गरीब पर कार्यवाही प्रबंधन पर भी सवाल खडे करती हैं।
जिम्मेदारों पर नहीं आंच :-
बिजौरी चौकी के पास बने कैम्प का जिम्मा जिन अधिकारियों को दिया गया था उनके कैम्प से इस तरह की वन्यजीव के अवशेष मिलने के बाद कोई कार्यवाही नहीं करना इस ओर इशारा कर रहा है कि पूरे मामले में बडे और जिम्मेदार अधिकारियों की भी मिली भगत है। आलम यह है कि जिस तरह से जंगल के अंदर इस तरह से जिम्मेदारों के सह पर खेल चल रहा है उसमें और भी बहुत से कारनामों की बू आने लगी हैं। जबकि चचाएं यहां तक जा पहुंची है कि कही बाघों सहित अन्य वन्यप्राणियों के मौत से लेकर तस्कर जैसे अवैध कारोबार इनके ही सह पर तो नहीं फल फूल रहा है।
इनका कहना है :-
1. मामले की जांच डीएफओ कर रहे हैं।
मुकेश अहिरवार, वन परिक्षेत्राधिकारी, मानपुर बफर
2. मामला में न्यायालय में जा चुका है, उपरोक्त मामले में कुछ कहना गलत होगा। – मोहित सूद, प्रभारी उप वन संचालक, बीटीआर