नेशनल फ्रंटियर
उमरिया। विश्व स्तर पर 25 टाइगर रिजर्वों में टाॅप रैंक की श्रेणी हासिल करने वाला बांधवगढ टाइगर रिजर्व वैसे तो अपने छवि का मोहताज नहीं है किन्तु टाइगर रिजर्व में बैठे नियम और कायदों की भेंट चढाने वाले उदासीन अधिकारियों के मनमर्जी के आगे स्थानीय और योग्य लोगों को रोजगार के लिए दर दर भटकना पड रहा है। हाल ही में हुए जी वन श्रेणी के गाइड पदोन्नति में विभाग और प्रशिक्षण देने वाली संस्था ने आपसी मिलीभगत कर अपने चहेते चुनिंदा लोगों की गाइड के जी वन श्रेणी में पदोन्नति कर दिया, जबकि बाकी लोगों को भटकने पर मजबूर कर दिया गया। इससे असंतुष्ट गाइडों ने अपनी जायज अधिकारों के लिए मांग पत्र दिया है। वहीं गाइड संघ के तत्कालीन अध्यक्ष के चुप्पी के कारण उनसे नाराज दिखे। गाइडों की माने तो तत्कालीन अध्यक्ष के चुप्पी का कारण उनके व उनके सगे संबंधियों का जी 1 श्रेणी में चयन होना है, जिसके चलते उन्होंने इसका विरोध नहीं किया, लेकिन तत्कालीन अध्यक्ष ने राजनीति का फार्मूला नंबर वन अपनाते हुए केवल इतना जरूर किया कि अपना नाम जी1 की श्रेणी से हटाकर श्रेणी2 में रहने का हवाला दिया।
यह हुआ कारनामा :
दरअसल बीटीआर में पार्क भ्रमण में पर्यटकों की सुविधा के लिए गाइडों की भर्ती की जाती है, जिसमें मध्यप्रदेश वन विभाग द्वारा पारित राज्य पत्र दिनांक 29 अक्टूबर 2018 में गाइडों के दो श्रेणीयों का निर्धारण किया गया है, पहली श्रेणी जी 1 और दूसरी श्रेणी जी 2 है। वहीं जी 1 के भर्ती में प्रबंधन और प्रशिक्षण देने वाली प्रायवेट संस्था ने मिलीभगत कर अपने चहेते 4 लोगों को भर्ती कर दिया बाकी लगभग 24-26 लोगों को जी वन के श्रेणी से बाहर रख दिया।
यह कहते हैं नियम :
यदि जी 1 श्रेणी के भर्ती के लिए देखा जाए तो मध्यप्रदेश वन विभाग द्वारा पारित राज्यपत्र दिनांक 29 अक्टूबर 2018 में गाइडों के दो श्रेणीयों का निर्धारण किया गया है, जिसमें पहली श्रेणी जी 1 व दूसरी श्रेणी जी2 है। इसमें जी1 के लिए निर्धारण शर्त क्षमता है कि जो गाइड कक्षा 12 वीं या समकक्ष के साथ ही वन्य जीवों के बारे में समान्य जानकारी व अंग्रेजी भाषा का सामान्य ज्ञान रखता हो इसी के साथ ही 3 वर्षों से पर्यटक भ्रमण कराने का कार्य टाइगर रिजर्व में कर रहा हो उन गाइडों को जी1 श्रेणी में चयनित किया जाएगा। लेकिन इस प्रक्रिया में बैठने वाले जिम्मेदार अधिकारी ने गाइड अध्यक्ष व उनके चहेते चुनिंदा गाइडों के रसूख के कारण लगभग 24-26 लोगों को जी1 श्रेणी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
प्रशिक्षण से असंतुष्ट गाइड :
खबर है कि प्रबंधन द्वारा गाइड प्रशिक्षण में पानी की तरह पैसा बहाया जाता है जिसमें अयोग्य और ना समझ लोगों से प्रशिक्षण गाइडों को दिलाया जाता है जिसका कोई लाभ गाइडों को नहीं मिलता। असंतुष्टी जाहिर करते हुए गाइडों का कहना है कि प्रायवेट संस्था जिनको वन एवं वन्यजीवों के साथ ही स्थानीय प्राकृतिक के बारे में और न ही वन्य प्राणीयों के रहन-सहन के बारे में कोई जानकारी होती उन लोगों को बुलाकर प्रशिक्षण दिलाया जाता है जबकि यदि यही प्रशिक्षण वन एवं वन्य विशेषज्ञों व विभागीय वरिष्ठ अधिकारी दें तो ज्यादा असरकारी रहेगा।
कंपनी के चहेते 4 लोग हुए भर्ती :
गाइडों का कहना है कि विगत वर्ष पूणे की प्रायवेट संस्था ट्रेवल एजेंसी के मालिक सुशील चिकने द्वारा प्रशिक्षण दिया गया था, जिसमें संस्था के मालिक के पक्ष में 4 गाइडों की चापलूसी ने उनकी सेवा की जिसका फल उन्हें मिला और महज 4 गाइडों को जी1 की श्रेणी में चयन किया गया, जबकि अन्य योग्य लोगों को इस श्रेणी के गाइड में भर्ती का लाभ नहीं मिला, जिसके संबंध में गाइडों के द्वारा क्षेत्र संचालक के यहां अवैद्य चयन के संबंध में अपील भी की गई है।