नेशनल फ्रंटियर, उमरिया। एक बार निलंबित हो चुके सहायक लिपिक को कलेक्टर ने पुनः निलंबित कर दिया। मामला उमरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा है, जहां लापरवाही और भ्रष्टाचार तो आम हो चुका है। एक बार पुनः कार्य में लापरवाही को लेकर कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने वीरेंद्र कुमार त्रिपाठी सहायक वर्ग – 2 मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय को कार्य के प्रति लापरवाही, उदासीनता बरतनें पर तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में निलंबित किये गए बाबू को जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय नियत किया गया है।
रिश्वत का मामला निलंबन में निपटा! :
अजुब मिश्रा प्रो0 ओम इंजीनियर सर्विसेस शांतिकुंज इनकम टैक्स कालोनी के पास शाहपुर जिला भोपाल द्वारा 30 दिसंबर 2021 को आवेदन प्रस्तुत कर बताया गया कि ई-टेण्डर के माध्यम से आक्सीजन सिलेण्डर का कार्य उन्हें आवंटित हुआ था। वीरेंद्र कुमार त्रिपाठी लिपिक कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी उमरिया द्वारा कार्य आदेश न करने एवं टेण्डर न खोलनें का दबाव बनाकर धोखाधड़ी करते हुए दो लाख 50 हजार रूपये नगद एवं 23 सितंबर को अपने खातें में पचास हजार रूपये लिया गया। वहीं लिपिक द्वारा दबाव बनाने के लिए आक्सीजन सिलेण्डर का भरा ट्रक तीन दिन तक स्टोर के सामनें खड़ा रखा और माल रिसीव नही किया जा रहा था। वहीं उक्त मामले की जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा आर के मेहरा को दी गई। लेकिन सीएमएचओ के समझाईस के बाद भी, लिपिक त्रिपाठी द्वारा पैसा वापस करने से मना कर दिया गया और आज दिनांक तक पैसा वापस नही किया गया। जिसे लेकर कलेक्टर ने वीरेंद्र त्रिपाठी को निलंबित कर दिया। लिहाजा मामला रिश्वत से जुड़ा होने के बाद भी बाबू को महज निलंबित ही किया गया, जबकि ऐसे भृष्टाचारियों को बर्खास्त कर देना चाहिए।
पहले भी हो चुका निलम्बन!:
वीरेंद्र कुमार त्रिपाठी सहायक वर्ग – 2 कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी उमरिया को पूर्व में भी निलम्बित किया जा चुका है। सूत्र बताते हैं कि उसके बाद उसे पुनः सीएमएचओ कार्यालय का जिम्मा दे दिया गया था, जहां वे बहुत से कार्य अनऑफिशियल निपटाते थे। वहीं एक बार पुनः पदीय कर्तव्यों के प्रति लापरवाही, उदासीनता व स्वेच्छाचारिता के साथ ही बाबू ने पैसे लेने का गंदा खेल खेला, जिसके बाद जानकारी कलेक्टर को लगी और उनके द्वारा निलम्बित कर दिया गया। ऐसे में सवाल तो खड़े होते हैं, की जब निलंबित होने के बाद भी आचरण में सुधार नहीं हुआ, तो पुनः निलम्बित करने के बजाय सेवा समाप्ति करना ज्यादा असरकारी होता। नाम न छापने की शर्त पर कुछ स्वास्थ्य कर्मियों की मांगें हैं, की ऐसे बाबूओं की बर्खास्तगी होनी चाहिए, ताकि भृष्टाचार के मामले में कमी आए और उच्च अधिकारियों के प्रति भय अधीनस्थ कर्मचारियों में निर्मित हो। नहीं तो इस तरह के कर्मचारियों के कार्यप्रणाली से अधिकारियों सहित विभाग पर बदनुमा दाग लगता है।