लक्षण पता चलते ही तुरंत करें ये 5 काम
कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दरमियान बच्चों के घातक वायरस से संक्रमित होने के कई मामले सामने आए थे। यह बच्चों में हल्के लक्षणों के साथ शुरू होता है ,अगर इसे गंभीरता से नहीं लिया जाता है तो यह गंभीर परिणाम देता है।
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा गयी है ।
बताया जा रहा है कि इसमें सबसे अधिक बच्चे प्रभावित हो सकते हैं ।
ऐसे में यह आवश्यक है कि माता-पिता बच्चों में कोरोना के लक्षणों से परिचित हों और तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें।
बच्चों में होंने वाले कोरोना के लक्षण
* बुखार
* खांसी
* साँस लेने में तकलीफ़
* जुकाम के लक्षण जैसे गले में खराश, कंजेशन या नाक बहना
* ठंड लगना
* मांसपेशियों में दर्द
* सरदर्द
*8 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों में स्वाद या गंध की कमी
* मतली या उलटी
* दस्त
*थकान
सूजन भी है कोरोना का लक्षण
यहां तक कि पूरे शरीर में सूजन एक प्रमुख चिंता का विषय बनी हुई है।
कभी-कभी वायरस से संक्रमित होने के कई सप्ताह बाद भी यह लक्षण दिखाई दे सकता है। इसे बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) कहा जाता है।
डॉक्टर अभी भी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ये लक्षण कोरोना वायरस महामारी से कैसे संबंधित हैं।
मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम के लक्षण
* बुखार
* पेट दर्द
*उल्टी या दस्त
* गर्दन में दर्द
* लाल आँखें
*बहुत थकान महसूस होना
*लाल, फटे होंठ
* सूजे हुए हाथ या पैर
* सूजी हुई ग्रंथियां (लिम्फ नोड्स)
लक्षण महसूस होने पर क्या करें
यदि आपका बच्चा एमआईएस-सी से पीड़ित है, तो उसे सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द या दबाव, होंठ या चेहरे का नीला पड़ना या सोने में परेशानी हो सकती है। ऐसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और बच्चे को अस्पताल ले जाना चाहिए।
यह देखा गया है कि वे बच्चे अस्पताल की देखभाल से ठीक हो जाते हैं, कभी-कभी आईसीयू में प्रवेश करना पड़ सकता है।
बच्चे की स्थिति को देखकर और उसकी जांच करने के बाद, डॉक्टर तय करेगा कि इसके बारे में क्या करना चाहिए।
बच्चे में लक्षण होने पर अन्य सदस्यों को कैसे सुरक्षित रखें?
यह आवश्यक है कि परिवार के सभी सदस्य अपनी परीक्षण रिपोर्ट आने तक घर पर रहें। सुनिश्चित करें कि घर के लोग और पालतू जानवर जितना संभव हो सके आपके बच्चे से दूर हैं।
सुनिश्चित करें कि परिवार में केवल एक ही व्यक्ति बच्चे की देखभाल करे। यदि संक्रमित बच्चा दो साल से ऊपर का है तो उसे कम से कम उस समय के लिए मास्क पहनाना चाहिए, जब देखभाल करने वाला कमरे में हो।
बच्चे को लंबे समय तक अकेला न छोड़ें अपना मास्क लगाएं। यदि बीमार बच्चा उसी वॉशरूम का उपयोग कर रहा है, तो बाथरूम का उपयोग करने के बाद उसे कीटाणुनाशक से पोंछ दें। परिवार के अन्य सदस्यों को नियमित अंतराल पर अपने हाथों को साफ करना चाहिए।
हालांकि, परिवारवालों को घबराना नहीं है। कोविड -19 के टीके अब 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए उपलब्ध हैं।हालांकि बच्चेचमें रिकवरी रेट काफी अधिक है फिर भी सावधानी रखनी पड़ेगी।
यहाँ तक शिशुओं के लिए खुराक का भी परीक्षण किया जा रहा है। पात्र होते ही सभी को टीका लगवाना चाहिए।
साथ ही स्वयं जागरूक रह कर मास्क का उपयोग करें सावधानी रखें ज्यादा जरूरत होने पर ही घर से निकले और मास्क सेनेटाइजर से नियमित हाथ धोते रहें।
सावधानी ही बचाव है