सीधी
जी हां यह प्रश्न उठाना इसलिए जरूरी है क्योंकि कोरोना के प्रारंभ में जिस प्रकार ताला बंदी की गई थी और जिस प्रकार की व्यवस्थाएं की गई थी वह तो समझ आती हैं ।उस समय कोरोना नया था उसकी भयावहता का अंदाजा विदेशों में होरही मौतों और तबाही से आंका जा रहा था ।फिर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ जगह जगह कोरेंटइन सेंटर का निर्माण हुआ कई सारी व्यवस्थाएं हुई ,सामाजिक संस्थाओं ने भी दिल खोल कर दान भी दिया और जो होंसकता था सामाजिक सक्षम लोगों ने मदद भी की ।
फिर तालाबंदी खुली और ऐसी खुली की अब कोरोना है ही नही ऐसा माना जाने लगा ,साहबान भी बेफिक्र होकर अपने अपने रोजी रोटी में लग गए व्यापारी अपने व्यापार में नौकरीपेशा अपनी नौकरी में ,जनता का क्या है जनाब वह भी सब की देख देखी सामान्य सी हो चली धीरे धीरे ,2020 बीत गया 2021 कुछ उम्मीदें लाया बाजार में रौनक लौट ही रही थी कि अचानक से चुनावी क्षेत्रों को छोड़ कर पहले महाराष्ट्र में कहर प्रारम्भ हुआ जो धीरे धीरे सम्पूर्ण देश मे पाव पसारने लगा ,लेकिन अभी भी वहाँ नही पहुच पाया जहां चुनाव थे ,खैर
इस बीच वैक्सीन भी आ गयी लगा अब इस महामारी को जड़ से मिटाकर ही दम लेंगे ,फोन की कॉलर ट्यून भी बदल गयी अब दो गज दूरी नही वैक्सीन कारगर है जरूर लगवाएं ,ऐसा चालू हुआ वैक्सिनेशन भी प्रारम्भ हो चुका था ,गरीब मजदूर जो सुदूर औद्योगिक इकाइयों में काम करते थे और मजबूरी में प्रथम कोरोना आक्रमण में पैदल किसी प्रकार घर आये थे वापस काम की तलाश में अभी पहुचे हि थे कि पुनः एक बार फिर इस कोरोना रूपी रोना आ गया आने अगले पड़ाव को लेकर ।
अब क्या करें ???इस बार कोरोना ने कुछ विकराल रूप भी धारण किया है लेकिन अभी तक चुनावी क्षेत्रों में नही पहुच है चुनाव परिणाम के आस में है कब परिणाम आये और कब मैं अपने रूप का और विस्तार कर सकूं ।
आज सीधी में 10 दिवसीय लॉक डाउन का पहला दिन था ,एक बार सीधी जिले में यातायात की कमान सम्हालने वाले वीर योद्धा जिन्होंने प्रथम कोरोना आक्रमण के दौरान सीधी वासियों को घर मे बैठे रहने और लॉक डाउन का पालन करवाने में महती भूमिका निभाई थी फिर से एक्सन में दिखाई दिए दल बल के साथ ।
किन्तु जनता की भीड़ थमने का नाम नही ले रही थी जनाब के सक्ती करने पर जनता ने अपना रास्ता बदल दिया लेकिन जनता तो जनता है कहाँ मानने वाली आती गयी किसी ने कुछ दवाइयाँ जेब मे डाल रखी थीं ।
कोई अपनी ड्यूटी में जा रहा था ,कोई सुदूर की यात्रा करके अपने घर शकुशल पहुचना चाह रहा था ।हाल फिलहाल पहला दिन तो मिला जुला रहा ,आगे प्रसाशन सख्ती तो जरूर बरते गा।
किन्तु अब मास्क और सेनेटाइजर ही सुरक्षा का एक मात्र सहारा है ।लेकिन सर्जिकल मास्क लगा कर या डिजाइनर मास्क लगा कर इस खतरनाक हो चुके कोरोना से हम सब मिलकर भी लड़ पाएंगे????
कपड़े का मास्क जो सम्मानीय लोग बाँट रहे और जो आम जनता लगा कर निकल रही ये कोरोना को नही रोक पा रहा यह रिसर्च से साबित हो चुका है ,सरकार के पास इतना फंड भी नही की पूर्व की भांति कंटेन्मेंट जोन बना पाएया n95 मास्क का वितरण कर पाए ,सरकार तो कोरोना संक्रमित होकर स्वस्थ जोचुके लोगों को भी n95 उपलब्ध नही करा पा रही , फिर भी आम नागरिक शांति से इस गंभीर विषय को नजरअंदाज करते हुए अनावश्यक रूप से प्रशासन और खुद के लिए खतरा बढ़ा रहा है ।
जनता को यह समझना होगा कि आपकी सुरक्षा आपके हांथ है कोई भी बचाने हर समय उपस्थितनही रह सकता ।विचार आपको करना है ।
दूरी बना कर स्वस्थ रहिये स्वयं भी औरों को भी स्वस्थ रहने का मंत्र दीजिये