राजेश शर्मा का विशेष आलेख
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा महिला सुरक्षा को केंद्र बिंदु में लाने का स्तुत प्रयास किया जा रहा है, जो वाकई प्रशंसनीय है। पहले बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान, फिर लाडली लक्ष्मी और अब जागरूकता अभियान सम्मान, इसकी शुभंकर गुड्डी को बनाया गया है।
जब परिवार में बालिका जन्म लेती है तो कहा जाता है लक्ष्मी आई है, गुड़िया आई है।
लेकिन यह दुर्भाग्य ही है कि समाज में पुरुष प्रधानता का भाव कम होने का नाम ही नहीं ले रहा। यही प्रमुख चिंता का विषय है कि नारी देश में अपने आप को असुरक्षित महसूस करती नज़र आती है।
सबसे पहले समाज को महिलाओं, किशोरियों और कम उम्र की बालिकाओं के प्रति अपना नजरिया बदलना होगा। नारी मात्र में निर्भयता का भाव जागृत करना होगा।
सम्मान अभियान के उद्देश्य महिलाओं एवं बच्चों को सुरक्षा के लिए जागरूक करना , आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्तियों को हतोत्साहित करना, महिला एवं बच्चों की सुरक्षा में समाज की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना (कुछ कहो , कुछ करो, समझदारी से)।
गुड्डी शुभंकर एक सोलह वर्षीय बालिका है जो सामाजिक रूप से जागरूक,सजग एवं सचेत है। उसे सही और गलत की पहचान है। वह किसी के बहकावे में नहीं आती है गुड्डी का पात्र इस आशय से विकसित किया गया है कि हर चौदह से अठारह वर्ष की बालिका उस पात्र से अपनी तुलना कर सके। गुड्डी सुरक्षा संबंधी सतर्कता, सशक्तता एवं समझदारी का आदर्श प्रतिमान स्थापित करती किशोरी का प्रतिनिधित्व करते हुए अन्य बालिकाओं के लिए प्रेरणास्रोत रहेगी।
और आखिर में एक और अतिमहत्त्वपूर्ण बात महिलाओं, किशोरियों एवं बालिकाओं के लिए ..
इनका परिधान इनकी वेशभूषा शालीन और मर्यादित हो। इसका पालन करके भारतीय संस्कृति तो रक्षित रहेगी ही और काफी हद तक महिलाएँ भी सुरक्षित रहेंगी।