विकाश शुक्ला/उमरिया। जिले में पर्यावरण संरक्षण व वातावरण शुद्ध रखने के लिए वन मण्डल सामान्य के द्वारा वृक्षारोपण का कार्य कराया जा रहा है, लेकिन इस वृक्षारोपण में पहले से ही नियम को ताक में रखकर कार्य हो रहा है। जिस जगह पौधे रोपने हैं, उस जगह जंगल विभाग को तक़रीबन दो माह पहले गर्मी के समय गढ्ढे कराने होते हैं, किन्तु इन सब नियम को ताक में रखकर रेंजर अपने क्षेत्र में फावड़े से तुरंत गड्ढे कराकर वृक्षारोपण करवा रहे हैं। जिन कंधों पर वृक्षों को संवारने की जिम्मेदारी दी गई है, उन कंधों को शायद स्वयं नहीं पता कि वृक्षारोपण कैसे कराने हैं। जानकारी लेने पर जवाब देने से पलड़ा झाड़ते हुए, रेंजर ने कार्यालय आकर जानकारी लेने का निमंत्रण सौंप दिया, और तो और जवाब देने से बचने के लिए बात को घुमाकर उल्टे सवाल पूंछने लगे। खैर जिस जगह पर वृक्षारोपण का कार्य कराया जा रहा है, मजदूरों द्वारा तुरन्त वहां पर गढ्ढे करते हुए, पौधों को रोपित किया जा रहा है।
यह कारनामा कर रहा विभाग :
दरअसल सामान्य वन मण्डल अंतर्गत आने वाले महरोई बीड के आरएफ क्रमांक 661 में वृक्षारोपण किया जा रहा है। वृक्षारोपण के लिए जिस जगह को चिन्हाकित किया गया था, वहां पर मानसून शुरू होने से पहले मृदा कार्य और गड्ढे नहीं खोदे गए। जबकि जानकारों की माने तो वृक्षारोपण से तक़रीबन महीने भर पहले गड्ढे कराकर बारिश आने तक के लिए छोड़ दिये जाते हैं। लेकिन यहां उदासीन बैठा विभाग और रेंजर की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में हैं, जहां बगैर मृदा कार्य कराए ही, पौधा पहुंचने के बाद उक्त स्थान पर तुरन्त गड्ढे खोदकर पौधा लगाए जा रहे हैं। इस दुर्दशा के कारण जिस उद्देश्य से वृक्षारोपण किया।जा रहा है, वह तो पूरा न हो सकेगा, साथ ही अंदेशा जताया जा रहा है कि इससे सरकारी खजाने का भी नुकसान होगा।
इसलिए करते हैं पहले से गड्ढे :
गड्ढे की खुदाई मार्च-अप्रैल में कर लेंने से पौधा सूखने की गुंजाइश बिल्कुल कम हो जाती है। पौधे को भरपूर पोषक तत्व भी मिलता है। पर्यावरण से सबंधित जानकारों की माने तो, तुरंत गड्ढा खोद कर पौध लगाने से एक तो पौधे की अपेक्षित प्रगति नहीं हो पाती। साथ ही जड़ें नीचे तक नहीं जा पाती हैं, पौधे को पोषक तत्वों की खुराक नहीं मिल पाती, इससे पत्तियां जलने लगती हैं, और तो और पौधा गोमोसिस बीमारी की चपेट में आ जाता है और धीरे-धीरे पौधा सूख जाता है। जबकि पौधा रोपने से पहले गड्ढे करके कुछ समय के लिए छोड़ने से उक्त स्थान के जो जीवाणु होते हैं, वे नष्ट हो जाते हैं और इससे पौधे के जड़ को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।
अपने को जानकार मानते हैं!रेंजर:
जिस तरह से वन विभाग की लापरवाही सामने आई है, उसे लेकर वनपाल योगेश गुप्ता से जानकारी ली गई। श्री गुप्ता का कहना था, कि आपको प्रोजेक्ट के बारे में क्या जानकारी है, कल को आप कहेंगे कि पौधे भी छोटे लगाए जा रहे हैं। जो भी जानकारी चाहिए आप कार्यालय में आइए। मजे की बात तो ये है, की अनुभवविहीता के कारण अपने अनुभव होने का दावा स्वयं के मुख कर रहे रेंजर ये मानने की बजाय की वृक्षारोपण का तरीका सही नहीं है। उक्त मामले में वनपाल का मानना है, कि उन्हें वृक्षारोपण के तरीके मालूम हैं, शायद इसी वजह से वन विभाग इनके सहारे नई तरकीब सुझा कर वृक्षारोपण कर रहा हैं। जबकि पड़ोसी जिले के जयसिंहनगर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत कराए जा रहे वृक्षारोपण के मामले में अप्रैल और मई के महीने में 1 फिट के गड्ढे 1 फिट व्यास के माप से खुदवाकर छोड़ दिये गए थे। लेकिन उमरिया जिले के वन मण्डल सामान्य के द्वारा कराए जा रहे वृक्षारोपण में तुरंत ही गड्ढे किये जा रहे हैं। जबकि पौधे भी बगैर गड्ढे किये ले जाकर रख लिए गए। नाम न छापने की शर्त पर विभाग के कर्मी ने बताया कि उक्त वृक्षारोपण का पैमाना भी गलत है, और तरीका भी। लेकिन जिम्मेदारी संभाल रहे साहब अपने को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं, उनसे कुछ कहने पर वे उसे नकार देते हैं। ऐसे में कहा जा सकता है, कि उनमें अभी अनुभव की कमी है।
लगा रहे पलीता :
जिस तरह से वृक्षारोपण का कार्य हो रहा है, उनमें पेड़ों का भविष्य अन्धकार की ओर प्रतीत हो रहा है। एक ओर सरकार वृक्षों को बचाने और पर्यावरण संरक्षण की ओर कदम बढ़ा रही है, लेकिन इस तरह के जिम्मेदार सरकार के सपनों पर कुठाराघात कर रहे हैं। लोगों की आकांक्षा है, की बड़े औधे पर बैठे जिम्मेदार अधिकारी इस तरह कि कार्य प्रणाली पर ध्यान दें।
इनका कहना है –
आपने स्थान पर जाकर देखा है, आप ही बता दीजिए कैसे कराना है, आप प्रोजेक्ट के बारे में क्या जानते हैं। कार्यालय आकर जानकारी ले लीजिए।
– योगेश गुप्ता, वनपाल, वन मण्डल उमरिया