विकाश शुक्ला/उमरिया। बाघों के लिए विख्यात नगरी बांधवगढ़ अब अधिकारियों के दीक्षा स्थली के लिए भी अग्रसर है, जो कि प्रदेश के आठ डीएफओ और तीन टाइगर रिज़र्व के क्षेत्र संचालक कों के लिए बांधवगढ़ किसी द्रोणाचार्य से कम नहीं होगा। दरअसल दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन बाघों की धरा में हो रहा है, जिसमें हाथी प्रभावित जिलों के डीएफओ समेत अन्य अमला पहुंच रहा है। छह व सात दिसंबर को इन्हें देश के जाने माने हाथी विशेषज्ञ अपने अनुभव के आधार पर नियंत्रण व बचाव के तरीके बताएंगे। साथ ही एक संयुक्त रिपोर्ट तैयार कर, हाथियों से हो रहे नुकसान व बचाव के आवश्यक पहलू सरकार के समक्ष पेश किए जाएंगे।ताकि पर्यावरणीय तरीके से इनसे निपटने ठोस कारगर नीति बनाकर काम हो सके। माना यह भी जा रहा है, कि इसका असर यह होगा कि जंगल के आसपास आबादी क्षेत्र में हो रही इंसानी मौतों व संपत्ति का नुकसान घटेगा, वहीं इंसान व जानवरों में द्वंद की परिस्थितियां खत्म होंगी।
बीटीआर में जंगली हाथियों का मौजूद बड़ा कुनबा :
विदित हो कि वर्तमान में बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व क्षेत्र की मुख्यत: चार रेंज में 42 हाथी मौजूद हैं। वर्ष 2018 में उड़ीसा छत्तीसगढ़ से इन जंगली हाथियों का बांधवगढ़ प्रवास हुआ था। तब से इनकी संख्या तक़रीबन 32-33 थी, बीते 3 वर्षों में इनका कुनबा बढ़कर 42 हो गया है।मसलन वर्तमान में पूरे मध्यप्रदेश में सर्वाधिक जंगली हाथी यहीं बांधवगढ़ में हैं। लिहाज़ा बीते सालों के दौरान यहां केवल दो इंसानी जानें गईं, साथ ही एक उत्पाती हाथी का रेस्क्यू भी किया गया। इसलिए यह राष्ट्रीय कार्यशाला बीटीआर में कराई जा रही है।
प्रबंधन तरीके से अनभिज्ञ अमला सीखेगा गुर:
अब इनका कुनबा बढऩे के साथ ही ये कान्हा, सीधी टाईगर रिजर्व समेत प्रदेश के आठ जिलों में सक्रिय हैं। चूंकि काफी दशकों पूर्व ही मध्यप्रदेश के जंगलों से हाथियों का दल पलायन कर चुका है। इसलिए ज्यादातर वन अमला इनके प्रबंधन के तरीके से अनभिज्ञ है। साथ ही सरकार के पास नुकसान की राहत राशि भी नाममात्र की है, इससे प्रभावित ग्रामीणों में वन विभाग व वन्यजीवों के विरुद्ध में आक्रोश रहता है। आखिरी बार साल 2019 मेें हाथी प्रबंधन की कार्यशाला हुई थी। लिहाजा दो वर्षों बाद हाथियों के बढ़ते कुनबे और हो रहे नुकसानों को आंकते हुए, आगामी छह व सात दिसंबर को दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कराया जा रहा है।
इनकी होगी मौजूदगी :
दो दिवसीय कार्यशाला में मुख्य रूप से देश के विभिन्न प्रदेश में हाथी प्रबंधन के उपायों पर चर्चा होगी। इसमे मध्यप्रदेश वन विभाग वाइल्ड लाइफ प्रधान मुख्य संरक्षक स्वयं उपस्थित रहेंगे। साथ ही पश्चिम बंगाल से विशेषज्ञ पहुंचेंगे। इसी तरह वन्यप्राणी बोर्ड के सदस्य, वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट के सदस्य,वल्र्ड वाइल्ड लाइफ फण्ड के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। इनके अलावा हाथी प्रभावित प्रदेश के आठ जिलों के डीएफओ तथा टाईगर रिजर्व में बांधवगढ़ के अलावा संजय दुबरी टाइगर रिज़र्व (सीधी), कान्हा राष्ट्रीय उद्यान (मण्डला) के सीसीएफ उपस्थित रहेंगे। इसमे सेवानिवृत्त अफसरों के साथ शहडोल सीसीएफ के आने की भी संभावनाएं जताई जा रही हैं।
सरकार को प्रस्तुत करेंगे रिपोर्ट :
बांधवगढ़ में होने जा रहे कार्यशाला का उद्देश्य वन अमले को प्रशिक्षण करने के साथ ही संवेदनशील मुद्दे पर ठोस कार्ययोजना तैयार करना है। यही कारण है, विशेषज्ञ व शीर्ष वन अफसर मैदानी अमले से इस पर चर्चा करेंगे। खासकर किस तरह मूवमेंट दौरान उनका व्यवहार होता है। बचाव के दौरान चुनौतियां, नुकसानी सहित अन्य बिंदु शामिल होंगे। बकायदा सभी वन मण्डल अधिकारियों से बात होगी, फिर उन्हें जंगल में हाथियों को नियंत्रित कर समस्या, निदान व उपचार बताया जाएगा।
इनका कहना है –
पूरे भारत से अलग अलग विशेषज्ञ आ रहे हैं। मुख्य उद्देश्य हाथियों के द्वारा जो नुकसान होता है, उसे रोकने पर होगा। लोगों से बाते करेंगे, और हाथी प्रबंधन कैसे करें इस पर चर्चाएं होंगी।
– बीएस अन्नीनेरी, क्षेत्र संचालक बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व