वर्तमान में जहाँ एक तरफ मा बाप अंग्रेजियत की तरफ अपने बच्चों को धकेल रहे हैं वही कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी संस्कृति और संस्कृत भाषा को सहेजने का बीड़ा उठाया है।
आज कल हर माता पिता अपने बच्चों को सिर्फ अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पढ़ाने के बारे में सोचते है भले ही वे स्वयं हिंदी माध्यम में पढ़े हो।घर पर स्थानीयभाषा का इस्तेमाल होता हो लेकिन बच्चा तो अंग्रेजी माध्यम में ही पढ़ना चाहिए फिर चाहे वह विद्यालय नाम मात्र को ही अंग्रेजी माध्यम का हो ।
इसी भागम भाग के बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने ने अपनी देववाणी संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए कमर कस रखी है ।
ऐसा ही एक परिवार है जो इन दिनों सुर्खियों में है ,इस परिवार के बेटों ने जमीन की रजिस्ट्री संस्कृत भाषा मे करा कर सुर्खियों का कारण बन गए ।सतना जिले के रैगाव निवासी पांडेय परिवार के तीन भाइयों ने जमीन की रजिस्ट्री संस्कृत भाषा मे करा कर पूरे प्रदेश में ख्याति प्राप्त कर ली है ।
दिलीप पांडेय जो पेशे से शिक्षक हैं उनका संस्कृत प्रेम अजब का है ।संस्कृत से आचार्य की पढ़ाई कर चुके दिलीप पांडेय आस पास के संस्कृत भाषा प्रेमी जनों और विद्यार्थियों को मुफ्त में संस्कृत भाषा पढ़ाते हैं ।उनके दो भाई प्रदीप और पंकज पांडेय भी उनके इस कार्य मे सदा ही सहयोगी रहते है साथ ही घर पर बातें भी संस्कृत में होती हैं ।
सर्विस प्रोवाइडर रूपेश द्विवेदी ने बताया कि आम तौर पर रजिस्ट्री लिखने में 1 घंटे का समय लगता है और पोर्टल में दो भाषाएं हैंहिंदी और अंग्रेजी साधारणतः लोग हिंदी में ही रजिस्ट्री करवाते हैं किंतु संस्कृत से लिखने में 6 घंटे का समय लगा। दिलीप पाण्डे और उनके दोनों भाइयों ने सर्विस प्रोवाइडर से आग्रह किया कि हमे संस्कृत भाषा मे भी पंजीयन करना है जिसमे काफी मसक्कत करनी पड़ी ।खास बात यह रही कि सर्विस प्रोवाइडर श्री द्विवेदी ने संस्कृत भाषा के प्रेम को समझा और बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के उक्त रजिस्ट्रेशन किया रजिस्ट्री लिखने का कार्य 22 मार्च को और पंजीयन का कार्य 23 मार्च को किया गया ।
बताते चलें कि दीलीप पांडे संस्कृत भारती नामक संस्था के विभाग संयोजक भी हैं ।संस्कृत के प्रति उनके प्रेम और जज्बे को कोटि कोटि नमन ।