आनन्द अकेला की रिपोर्ट
सीधी। सीधी जिले के जो छात्र यूक्रेन में फंसे रहे उसमें वेदिका केशरी पिता मुकेश गुप्ता टाईल्स व्यापारी अमहा मोहल्ला जिनकी उम्र 18 वर्ष है। वो पश्चिमी क्षेत्र की उजरोट यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की प्रथम वर्ष की छात्रा है। उनके साथ श्रेजल गुप्ता पिता स्व. संतोष कुमार गुप्ता बीमा अभिकर्ता कोटहा भी इसी यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र है। आलोक सिंह पिता राज कुमार बघेल हांटायूरी में बोगोमोलेट्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस के चौथे वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं। बातचीत में सभी छात्रों ने बताया कि हालात बेहद चिंताजनक थे।
छात्रा वेदिका केशरी ने अपनी जुबानी बताया कि उन्हें अपने यूनिवर्सिटी के व्हाट्सएप्प ग्रुप के द्वारा 24 फरबरी को ही अलर्ट जारी कर दिया था। 25 तारीख को भारतीय दूतावास का नम्बर प्राप्त हो गया था।
उन्होंने जो लिस्ट जारी की उसमें वो दूसरी लिस्ट में थी। यूक्रेन के बार्डर से भारतीय एयरपोर्ट तक के लिए फ़्लाइट का टिकट भारतीय सरकार द्वारा किया गया था। तथा यूनिवर्सिटी से बार्डर तक के लिए प्राईवेट वाहन का इस्तेमाल किया जिसके लिए 50 डालर यानी 4500 रुपए देने पड़े।
भारत सरकार के ऊपर यह प्रश्न चिन्ह भी कहीं न कहीं उभरता नजर आ रहा है कि आखिर में क्यों इतनी मात्रा में छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन जैसे छोटे देश मे क्यों जा रहे हैं क्या भारत सरकार को मेडिकल पढ़ाई में उदासीनता रखना जायज है? या कहीं न कहीं हमारे पास मेडिकल की पढ़ाई से संबंधित पर्याप्त ऑप्शन नहीं है!
आखिर में कैसे सुधरेगा भविष्य यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्रों का क्या केंद्र को फ़ौरन मेडिकल ग्रेजुएट लाइसेंसिएट रेगुलेसन एक्ट में बदलाव करने की आवश्यकता है ?
बच्चों के वतन वापसी पर घरों पर हर्सोल्लास का माहौल बना हुआ है। विशेष रूप से श्री बाबूलाल गुप्ता (फूफा जी), सत्यप्रकाश (मामा जी), वर्तिका केशरी (छोटी बहन), सुनीत गुप्ता(मम्मी), माखन लाल (बब्बा जी) हरिओम केशरी, आलोक केशरी (आयकर सलाहकार), एस आई टी कॉलेज दीपक गुप्ता , भोला प्रसाद गुप्ता , कृष्ण शरण शुक्ला , महेश मोहिते ज्वेलर्स, सुभाष सिंह बघेल, राजेन्द्र मोटर्स, विनय वर्मा, प्रशांत जायसवाल, मोनू गुप्ता, गुलाब केसरवानी सोनवर्षा, प्रमोद गुप्ता मड़वास, नीलेश गुप्ता सहित सैकड़ों परिजनों ने बेटी के वतन वापसी प्रसन्नता जाहिर करते हुए बधाई-शुभकामनाएं दी हैं।