द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग की एक अपनी पहचान है। कहा जाता है की
ॐकारेश्वर का निर्माण नर्मदा नदी से स्वतः ही हुआ है। यह नदी भारत की पवित्रतम नदियों में से एक है
जिस ओंकार शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ, वेद का पाठ इसके उच्चारण किए बिना नहीं होता है। इस ओंकार का भौतिक विग्रह ओंकार क्षेत्र है। इसमें 68 तीर्थ हैं। यहाँ 33 कोटि देवता परिवार सहित निवास करते हैं तथा 2 ज्योतिस्वरूप लिंगों सहित 108 प्रभावशाली शिवलिंग हैं। मध्यप्रदेश में देश के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं। एक उज्जैन में महाकाल के रूप में और दूसरा ओंकारेश्वर में ओम्कारेश्वर- ममलेश्वर के रूप में विराजमान हैं।
विकास के नाम पर धर्म स्थल से छेड़छाड़
किन्तु विकास के नाम पर और धर्मस्थल के उन्नति के लिए एक परियोजना प्रारम्भ की गयी है जिसके तहत ओमकार पर्वत पर आदि शंकराचार्य की मूर्ति की स्थापना की जानी है। लेकिन इस मूर्ति स्थापना का विरोध कई साधु संतों और सामाजिक संगठनो ने प्रारम्भ किया है। असल में यहाँ आदि शंकराचार्य की मूर्ति का विरोध नहीं अपितु धर्मस्थल को पर्यटक केंद्र बना ने का विरोध किया जा रहा है।
शासन जहाँ एक और पर्यावरण संरक्षण की बात पर बल देती है वहीँ दूसरी तरफ विकास के नाम पर एक पौराणिक धर्मस्थल के स्वरुप को और वाहन विद्यमान वृक्षों को नस्ट किया जा रहा है।
संतसमाज और सामाजिक संगठनों का विरोध
विरोध कर रहे संगठनो और संत समाज का कहना है की निश्चित ही आदि शंकराचार्य हिन्दू समाज के लिए पूजनीय हैं उनकी मूर्ति की स्थापना भी होनी चाहिए ये प्रदेश सर कार का बहुत ही उचित कदम है किन्तु मूर्ति की स्थापना का जो स्थान चयन किया गया है वह गलत और अनुचित है। ॐ पर्वत की अपनी एक पौराणिक मान्यता है हिन्दू समाज के लिए यह एक तीर्थ स्थल है जिसके स्वरुप के साथ प्रदेश सरकार खिलवाड़ न करे। पूज्य शंकराचार्य की मूर्ति की स्थापना नर्मदा घाट में कही भी की जा सकती है तो फिर ॐ पर्वत पर ही क्यों। ऐसा किये जाने से उस पवित्र पर्वत की नैसर्गिक छवि प्रभावित होगी।
प्रदेश के कई स्थानों में चला हस्ताक्षर अभियान
13 मार्च २०२२को साधु संत और भारत हितरक्षा अभियान के कार्यकर्ताओं का एक समूह ने ओमकार पर्वत को बचाने हेतु एक आह्वान किया था जिसके फलस्वरूप १५ मार्च से इंदौर सहित प्रदेश के कई जिलों में एक हस्ताक्षर अभियान चलाया गया जो प्रधान मंत्री के नाम सम्बोधित था जिसमे ५००००.०० से अधिक लोगों के हस्ताक्षर थे।
साथ ही भारत हितरक्षा अभियान का एक प्रतिनिधि मंडल मध्यप्रदेश के संस्कृति मंत्री से मिलकर अपना ज्ञापन सौपा। १० मई को लगभग १५० कारकर्ताओं ने इंदौर कमिश्नर कार्यालय पहुंच कर ५००००.०० हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन परधानमंत्री के नाम सौपा। इसके पश्चात तीन दिवसीय धरना प्रदर्शन भी इंदौर में किया गया।
१२मईको अलग अलग स्थानों से तीन पदयात्राएं ओम्कारेश्वर हेतु निकली गयी जिसमे गांव गांव सम्पर्क किया गया यह पद यात्रा १६ मई को ओम्कारेश्वर में संपन्न हुयी। इसके पश्चात १७ मई से ओम्कारेश्वर में धरना प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया गया किन्तु इन कार्यकर्ताओं के मनोबल को प्रदेश सरकारतोड़ नहीं पायी १२ जून से पर्वत क्षेत्र में हो रहे उत्खनन और वृक्षों के विनास के विरोध में ये कार्यकर्ता और संतजन चिपको आंदोलन कर रहे हैं।
भाजपा सरकार का दोहरा चरित्र
इन सबका एक मात्र उद्देश्य ओमकार पर्वत जिसका निर्माण ही माँ नर्मदा के कारन हुआ और इस पर्वत के कण कण में भगवन शिव और वृक्षों में मां पार्वती का वासहै को किसी भी कीमत पर बचाये रखना है धर्म क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र बनने से रोकना है जिस से हमारी संस्कृति की रक्षा हो सके। किन्तु प्रदेश की भाजपा सरकार अभी तक इन मुद्दों पर अमल नहीं कर सकीहै जो उसे करना चाहिए। इस मामले में निश्चय ही केंद्र सरकार को हस्तक्षेप कर सभी प्रकार के निर्माण कार्य को तुरंत रोकना होगा अन्यथा यह धर्म क्षेत्र भोग क्षेत्र बन जायेगा।