सीधी में कहने को तो सात दिन का सम्पूर्ण लॉक डाउन किया गया है। को’रोना की चेन तोड़ने के लिए किया गया यह प्रयास तब सफल होता नही दिखता जब जिला चिकित्सालय में पदस्थ और निजी चिकित्सालय चला रहे चिकित्सक ,को’विड के लक्षणों के बाद भी को”विड की जांच किये बगैर, टायफाईड बता कर मरीजों का इलाज कर रहे हैं ।
हाल ही में ऐसे कई मरीज जो को”विड के लक्षणों से युक्त थे का इलाज इसी प्रकार निजी पैथालॉजी में जांच करा कर टायफाईड बताया गया । इन चिकित्सको में सर्वाधिक जिला चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सको ने ऐसा किया है जबकि जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने कई बार निजी चिकित्सालयों और निजी चिकित्सक को सूचना दी है कि को”’विड के लक्षण दिखने पर सर्वप्रथम मरीज का को”विड टेस्ट करें उसके बाद ही चिकित्सा प्रारम्भ करें।
किन्तु इन चिकित्सकों को जिला स्वास्थ्य अधिकारी बी एल मिश्रा के आदेश की कोई परवाह नही ।
व्यक्तिगत रूप से अपने आवास पर मरीजों को देखने वाले चिकित्सक के यहां अगर प्रशासन सही ढंग से पड़ताल करे तो स्थिति सामने आएगी तभी इस ताला बंदी (लॉक डाउन )का असर देखने को मिलेगा ।
सीधी शहर से सटे ग्राम के एक मरीज को निजी चिकित्सालय ने सिटी स्कैन के बाद फेफड़े का इंफेक्शन तो बताया किन्तु कोविड है या नही इसकी जांच नही की गई।
यद्यपि सिटी स्कैन में यह पता चल जाता है लेकिन जरा सोचिए वह मरीज इस बात से निश्चिन्त है कि उसे को”रोना नही है, यह अच्छा है उसके लिए क्योंकि उनके हृदय में भय नही रहेगा क्युकी को”’रोना भय का पर्याय बन चुका है और इसी भय के कारण कभी कभी स्थिति असामान्य भी हो जाती है ।
किन्तु वह को”विड लक्षणों वाला है ।इस पर वह लोगो से मिलता जुलता भी है क्योंकि लॉक डाउन शहरों में लोगो को मिलने से रोक रहा है गांवों में नही,गांवों में कहा कहाँ दौड़ाएंगे दरोगा जी को , ऐसे कई मरीजों के उदाहरण हैं। स्वास्थ विभाग की फजीहत पहले से ही है ।सुविधाओं का अकाल है प्रयास तो किये जा रहे हैं जो नाकाफी है सूत्रों से यह बजी ज्ञात हुआ है कि 3फेज के मरीज भी चिंहित किये गए हैं किंतु इसे हम मात्र अफवाह ही मा न रहे हैं स्थिति कितनी भयावह है अभी इस बात का अंदाज नही ।
अगर उन मरीजों को कुछ होता है ,तो इसका जिम्मेदार कौन होगा ?
क्या इस प्रकार ताला बन्दी कर प्रशासन को”रोना की चैन तोड़ पाएगा??? जिला प्रशासन जब तक सारे प्राइवेट चिकित्सक को सख़्ती से निर्देश नही देगी तब तक कुछ भी होने वाला नही है ।शासन का यही प्रयास है कि को”’विड के लक्षणों वाले हर व्यक्ति की को”विड जांच तो होनी ही चाहिए । किन्तु ऐसा हो नही रहा खून की जांच करा दी निजी पैथालॉजी में कमिसन बन गया बस ,रिपोर्ट में टायफाइड बता दिया जबकि टायफाईड के लक्षण और को,,रोना के लक्षण समान हैं फिर लापरवाही किसलिए ।
इसके लिए जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए ।