प्रदेश के मुखिया ने हाल ही में शराब निति में परिवर्तन किया है जिसमे शराब की लाइसेंसी दुकानों के साथ चलने वाले अहाता को बंद करने का फैसला किया है और तर्क दिया है की दुकान में अब पीने नहीं मिलेगा घर में मेरी बहने पीने नहीं देंगी । लेकिन क्या सच में ऐसा होगा ?
गन्दा है मगर धंधा है
बिलकुल मामा की मंशा तो सही है लेकिन क्या इस आदेश को अमली जामा पहनाया जायेगा ,क्युकी प्रदेश भर में संचालित शराब की दुकाने चाहे वे देशी ठेके हों या विदेशी इनके संचालक इतने पहुंचे हुए फ़कीर हैं की उन्होंने इस आदेश का तोड़ तो आदेश निकलने के पहले ही निकल लिया था।
प्रदेश भर में लाइसेंसी दुकानों से ज्यादा शराब की बिक्री अवैध पैकारी में होती आ रही है। ये अवैध पैकारी गली मोहल्ले ढाबे हर जगह मौजूद है। बात करें सीधी जिले की तो सीधी के हर गली मोहल्ले में तो कमोबेश यही हाल है, जहाँ महज कुछ ज्यादा पैसे देने पर आपकी पसंदीदा ब्रांड की शराब बड़ी आसानी से मिल ही जाती है और किसी का डर भी नहीं होता।
बाय पास स्थित लगभग सभी ढाबों में खुले आम प्रशानिक मिली भगत से अवैध अहाता संचालित हैं। इस पर रोक लगती नहीं दिखती। शिकायतें होने पर जानकारी पहले ही सम्बंधित ढाबा संचालक को दे दी जाती है और मॉल गायब कर दिया जाता है।
प्रशाशन गंभीर नहीं
अब बात यहाँ आती है की जब प्रशाशन ही नहीं चाहता की ये अवैध पैकारी बंद हो तो आखिर मामा के आदेश का पालन कौन कराएगा ?
सर्व विदित है की ये शराब कारोबारी राजनेताओं के चुनावी खर्चों को भी मैनेज करते हैं ऐसे में खजाने का मुँह कौन बंद करना चाहेगा ? क्युकी पजिरी तो सभी जगह बांटती है कहीं ज्यादा कहीं कम !