आनंद अकेला की विशेष रिपोर्ट
सीधी। व्यापारियों द्वारा भारत बंद किए जाने का असर जिले में भी देखने मिला। कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के 26 फरवरी को भारत बंद के आह्वान पर सभी बड़े और छोटे व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। जिला मुख्यालय का मुख्य बाजार पूरी तरह बंद रहा। इसके साथ ही कस्बाई इलाकों में भी दुकानें बंद रहीं। इस बंद में आवश्यक वस्तुओं को दूर रखा गया था, लिहाजा दवाई, पेट्रोल, फल-सब्जी और डेयरी की दुकानें खुली रहीं।
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) और अन्य व्यापारियों द्वारा जीएसटी के कुछ प्रावधानों के विरोध में सीधी में किये गए बन्द का व्यापक असर देखने को मिला। हालांकि यह स्वैच्छिक रहा, लेकिन इसका असर जिले के पुराने बाजारों के साथ खास तौर पर थोक किराना व्यापार पर नजर आया। पालिका बाजार, लालता चौक, गांधी चौराहा, हॉस्पिटल चौक और गल्ला मंडी में सुबह से ही बंद का असर दिखाई दिया। यहां सभी व्यापारियों ने अपनी दुकानें नहीं खोलीं। कैट के जिलाध्यक्ष कमल कामदार ने बताया कि हम चाहते हैं कि जीएसटी के कुछ प्रावधानों में बदलाव हो। यह बंद पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा। व्यापारी न तो सड़कों पर आए और न ही उन्होंने कारोबार किया। जिले के सभी व्यापारिक संगठनों का हमें सहयोग भी मिला। हमारा विरोध पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा। आगे की रणनीति दिल्ली के आने वाले निर्देश के अनुसार बनेगी।
ये है व्यापारियों की मांग
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के जिलाध्यक्ष कमल कामदार ने बताया कि आयकर की धारा 281बी और सीजीएसटी की धारा 83 (3) में फर्जी बिल, गैर-मौजूद विक्रेता, सर्कुलर ट्रेडिंग आदि के कारण कर चोरी के मामलों में कर अधिकारी को बैंक खाते और संपत्ति को जब्त करने का अधिकार दे दिया है। ऐसे में वह संपत्ति और बैंक खातों को भी जब्त कर सकता है।
इसकी मार सबसे ज्यादा ईमानदार व्यापारियों पर पड़ेगी। फर्जी बिलों या गैर कानूनी काम कर रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, लेकिन इस कानून का इस्तेमाल उन करोड़ों व्यापारियों के खिलाफ भी किया जा सकता है, जो ईमानदारी से अपना व्यापार कर रहे हैं। साथ ही कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लेकर व्यापारियों में जागरूकता होनी चाहिए। व्यापारिक संगठित होकर अपने खिलाफ होने वाली आवाज को बुलंद करेंगे। फूड सेफ्टी एक्ट में व्यापारियों के खिलाफ ऐसे बहुत सारे नियम हैं, जिसे हल करना बहुत आवश्यक है।
वहीं पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह मुन्नू ने कहा कि जीएसटी को लेकर राज्य सरकारें अपने निहित स्वार्थों के प्रति ज्यादा चिंतित हैं और उन्हें कर प्रणाली के सरलीकरण की कोई चिंता नहीं है। व्यापारी अपने व्यवसाय की बजाय जीएसटी में दिनभर जुटे रहते हैं, यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए विपरीत स्थिति है। जीएसटी के वर्तमान स्वरूप पर लिए सिरे से विचार करने की जरूरत है।
इस दौरान विनय सिंह वीनू, राम गोपाल गुप्ता, सन्तोष जयसवाल, अश्वगंधा लाल गुप्ता, सतीश गुप्ता, रिंकू गुप्ता, दिलीप सितानी, अमित जयसवाल, हीरा भाई, अविनाश वाधवानी ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।