जैसा कि सर्व विदित है शुक्रवार शाम 6 बजे से सोमवार प्रातः6 बजे तक का लोक डाउन किया गया है शहर में इस दौरान कोरोना से बचाव कैसे होगा यह बात किसी ने पूछी है प्रशाशन से ।
पूछ भी नही सकते वरना डराया जाएगा धमकाया जाएगा ,आखिर इस निर्णय में तुक निकलना हो तो कोई निकाल कर बताये।
वैक्सीन है लग भी रही है स्वास्थ कर्मचारियों ने कोई कसर नही छोड़ी है दिन रात लगे हुए हैं फिर ऐसा तुगलकी फरमान वो भी देखा देखी ???? आखिर साबित क्या करना है सोमवार से शुक्रवार फिर वही ढर्रा क्या उखाड़ लोगे जनाब ,?????यतो आपकी वैक्सीन खराब या अपने लगने नही दी जब टीका है तो किस बात का भय ,
काम ही करना है तो जागरूकता के करिये वहाँ कड़ाई करिये जहाँ जरूरत है , अवैध शराब, अवैध रेत निकासी अवैध मादक पदार्थ इनमे रोकथाम नही है बस आम जनमानस को भय दिखाना है तो फरमान जारी करो बंद इस बीच क्या क्या गुल खिलेंगे आम जनता न जानने पाए ,!!!
बढिया है जनाब आपके खिलाफ कोई न बोले आप करलो मनमानी,ऐसा तो हो नही सकता ,
बड़े दुकानदार प्रतिष्ठान खोले रहेंगे छोटे वाले झापड़ के डर से बंद कर लें?????
आदेश में है आवश्यक चीजों की दुकानें बंद नही होंगी !!
शराब किस कटेगरी में आती है आदरणीय ???
जब सारी दुकाने आपके लोगो ने लाऊड स्पीकर लगा के बंद कराई तो शराब की दुकानें क्या जीवन दायनी की श्रेणी में आती हैं???? वो बन्द क्यों नही ।
समस्या लोक डाउन करना नही समस्या नकल करना है ।जिले की वास्तविकता से दूर प्रशाशन की घोर लापरवाही मात्र नकल करना दूसरे जिले की यह है समस्या?????
न्यायालय ने तो गेट भी बंद कर दिए???? जैसे हर व्यक्ति जज साहब के पास पहुच ही रहा है वहाँ तो कोरोना के पहले से दो गज से ज्यादा का अंतर होता ही है ,किसको जबरदस्ती मिलने की इजाजत है लेकिन नही सारे गेट बंद ,आखिर क्यों क्या लोगसीधे जज साहब से मिलने जाते हैं।उस पर निरीह उन अधिवक्ताओं का क्या जो सिर्फ वकालत पेशे से जीवन यापन करते हैं वो सड़कों पर दुकान लगाएं??????₹
ऐसे ही अन्य कई क्षेत्र हैं जहाँ आपसी संपर्क की जगह ही नही फिर भी लोक डाउन के निर्णय से नुकसान आम जनता के साथ ऐसे बेरोजगारों का भी होता है ,हा उन रोजगार प्राप्त युवाओ को रोकने के आदि कोई नही जो इस महामारी के दौर में भी अपनी रॉब दिखाते नही थकते ,क्या यही है सुशाशन।?????????
आज दिनांक9/04को यही देखने को मिला एक वर्ष बीत गए यादे ताजा हुई उस वर्ष तो यह सब मजाक लगता था लेकिन वर्ष भर की विभीषिका के बाद पुनः मात्र शाशन की अदूरदर्शिता के कारण यह दंश पुनः उन मासूमो को झेलना पड़ेगा ????