विकाश शुक्ला/उमरिया। बाघों की बगिया में तकरीबन तीन वर्ष पहले हुई हाथियों के हनक से काफ़ी मुश्किलें बढ़ी थी, जो वर्तमान में भी चिंता का सबब बने हुए हैं। छत्तीसगढ़ से आए जंगली हाथियों की फौज को बांधवगढ़ का हैबिटेट इतना भाया की वे वापिस अपने घर न जाकर, यहीं बांधवगढ़ के जंगलों में अपना नया ठीकाना बना लिया, जहां वन्य प्रेमियों सहित जानकरों ने इन जंगली हाथियों को लेकर कुछ तरक़ीब सुझाने का अथक प्रयास किया, और यहां एलीफैंट सेंचुरी तक बनाने की मंशा जाहिर की, लेकिन ये प्रबंधन के लिए एक कड़ी चुनौती थी। इन हाथियों के झुंड में से कई हाथी ने पार्क के सीमावर्ती गांवों में जाकर फसलों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही किसानों को भी मौत के घाट उतारा है। अब इन्हीं जंगली हाथियों को लेकर पार्क प्रबंधन नई पहल करने जा रहा है, जिसमें से एक जंगली हाथी को टाइगर रिजर्व में कार्य हेतु प्रशिक्षित किया जाएगा।
खितौली क्षेत्र मे हुआ हाथी का रेस्क्यू :
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में पहली बार के खितौली वन परिक्षेत्र में एक जंगली हाथी का रेस्क्यू किया गया। जो विगत काफी समय से पार्क एवं आसपास के गांव में जन धन को नुकसान पहुचा रहा था, शुक्रवार बाधवगढ़ टाईगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा सफलता पूर्वक पकड़ लिया गया, विगत कुछ समय से ये हाथी पार्क एवं आस पास के क्षेत्रों मे विशेष रूप से ताला, पतौर , पनपथा, खितौली के गढ़पुरी गांव में घर तोड़ना, खेतो की फसल नष्ट करना, आदि के द्वारा काफी उत्पात मचा रहा था, जिस वजह से आस पास के जनमानस में इस हाथी के प्रति विरोध एवं भय का माहौल था।
उत्पाती हाथी का हुआ रेस्क्यू :
हाथी हाथी के द्वारा पार्क के पेट्रोलिंग कैम्प, सोलर पैनल, को भी अत्यधिक नुकसान पहुचाया गया था। शुक्रवार की सुबह हाथी के होने की सूचना खितौली के पूर्व बगदरी बीट में पता चला, जिस पर वरिष्ठ अधिकारियो को सूचित किया गया एवं टीम बना कर रवाना की गई, और लगभग 20 वर्षीय नर हाथी को पकड लिया गया।
5 हाथी दल और 78 कर्मचारीयों की भूमिका :
रेस्क्यू मे बाधवगढ़ टाईगर रिजर्व के 5 विभागीय हाथी, महावत तथा कुल 78 अधिकारी-कर्मचारियों ने भाग लिया। पकडें गये जंगली हाथी के स्वास्थ का परीक्षण डॉ नितिन गुप्ता द्वारा किया गया, और हाथी पूर्ण रूप से स्वस्थ है, तथा अभी इस हाथी को कुछ समय तक सतत निगरानी में रखा जाएगा और जल्द ही दूसरे टाईगर रिजर्व स्थानांतरित कर दिया जाएगा।