आनन्द अकेला की विशेष रिपोर्ट
भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकारी विभागों में होने वाले ट्रांसफर पर लगा प्रतिबंध एक अप्रैल से एक महीने के लिए हटने जा रहा है। ये तबादले नई तबादला नीति 2021 के तहत होंगे, जो तैयार हो चुकी है और अगले कुछ दिन में कैबिनेट के समक्ष आएगी। नीति में दो अहम बदलाव किए गए हैं। पहला- जिन अधिकारियों, शिक्षकों अथवा कर्मचारियों के ट्रांसफर मार्च 2020 से मार्च 2021 के बीच हुए हैं, जिले के प्रभारी मंत्री दोबारा उनके तबादले सीधे नहीं कर पाएंगे।
ऐसा प्रकरण सामने आने पर ट्रांसफर की फाइल मंजूरी करने के लिए सीएम कार्डिनेशन (मुख्यमंत्री समन्वय) तक जाएगी। मुख्यमंत्री की स्वीकृति के बाद ही उनका तबादला होगा। दूसरा- किसी क्लास वन ऑफिसर का तबादला यदि जानबूझकर किया जाता है तो वह उसकी शिकायत मुख्य सचिव से लेकर मुख्यमंत्री तक कर सकेगा।
यहीं उसका निराकरण होगा। अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों पर यह नीति लागू नहीं होगी। सोमवार को मुख्यमंत्री नई नीति पर चर्चा कर सकते हैं। पिछली कांग्रेस सरकार में 5 जून 2019 से 5 जुलाई 2019 तक तबादलों पर से प्रतिबंध हटाया गया था।
शिक्षा विभाग नीति से बाहर होगा
नई नीति से शिक्षा विभाग बाहर रहेगा। इसके कुछ प्रावधानों के साथ स्कूल शिक्षा व उच्च शिक्षा विभाग अपनी अलग नीति जारी कर सकते हैं।
पुरानी नीति के 6 प्रावधान शामिल
1. जिले में तृतीय, चतुर्थ श्रेणी के तबादले मंत्री के अनुमोदन के बाद कलेक्टर के आदेश से होंगे। 2. राज्य स्तर पर तबादले सामान्य प्रक्रिया के तहत होंगे। प्रथम व द्वितीय श्रेणी के तबादले अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव या विभागीय अध्यक्ष के स्तर से विभागीय मंत्री करेंगे। 3. तृतीय श्रेणी के इंटर डिस्ट्रिक्ट तबादले विभागाध्यक्ष के प्रस्ताव पर विभागीय मंत्री करेंगे। 4. राज्य प्रशासनिक सेवा की पदस्थापना जीएडी करेगा। जिले में डिप्टी कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर के ट्रांसफर के प्रस्ताव प्रभारी मंत्री से चर्चा के बाद कलेक्टर करेंगे। यही व्यवस्था तहसीलदार व नायाब तहसीलदार के लिए भी होगी। 5. किसी भी विभाग में 200 के कैडर तक 20%, 201 से 2000 तक 10% और 2001 से अधिक का कैडर है तो 5% तबादले होंगे। 6. अनूसूचित क्षेत्रों के रिक्त पदों को पहले भरा जाएगा।