भोपाल। मप्र की शिव सरकार खजाने की खस्ता हालत के बाद भी कर्मचारियों के अंशदायी पेंशन निधि (सीपीएफ) में 4 फीसदी हिस्सा बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इससे कर्मचारियों को हर माह 2400 रुपए तक का फायदा होना तय है। इसके पहले प्रदेश में सरकार द्वारा अखिल भारतीय सेवा के अफसरों की अंशदायी पेंशन निधि (सीपीएफ) में 4 फीसदी हिस्सा का लाभ दिया जा चुका है।
अब यह लाभ राज्य के 3 लाख 36 हजार से अधिक कर्मचारियों को देने की तैयारी शुरू कर दी गई है। हालांकि अभी इस पर अंतिम निर्णय किया जाना है। सरकार द्वारा दिए जाने वाले इस लाभ से हर माह खजाने पर 53 करोड़ 76 लाख रु. का अतिरिक्त खर्च बढ़ जाएगा। इस हिसाब से सरकार को हर साल 645 करोड़ रुपए का खर्च उठाना होगा। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए नए वित्त वर्ष में बजट प्रावधान किया जाएगा, जिससे कर्मचारियों को नए वित्तीय वर्ष यानी 1 अप्रैल के बाद से इसका फायदा दिया जा सके। उल्लेखनीय है कि अभी प्रदेश में 2005 के बाद सरकारी नौकरी में आने वाले कर्मचारियों के वेतन से हर महीने सीपीएफ में 10 फीसदी की राशि काटी जाती है, इतनी ही राशि राज्य सरकार भी अपने हिस्से के रुप में देती है। जिसकी वजह से हर माह अंशदायी पेंशन के रुप में हर माह 20 फीसदी राशि जमा होती है। राज्य सरकार पहले ही अखिल भारतीय सेवा के तहत आने वाले आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों को 4 फीसदी का फायदा दे चुकी है। जिसकी वजह से उनके सीपीएफ खातों में जमा की जाने वाली राशि 10 से बढाकर 14 फीसदी हो चुकी है। अब इस लाभ को राज्य के कर्मचारियों को देने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
ऐसे होगी कटौती
यदि कर्मचारी का वेतन हर महीने 40 हजार रुपए है तो अभी तक वेतन से 10 फीसदी राशि सीपीएफ में कर्मचारी के वेतन से काटी जाती है जो 4 हजार रुपए होती है। इतनी ही राशि सरकार मिलाती है तो यह कटौती 20 फीसदी यानी हर महीने 8 हजार रुपए हो जाती है। नए प्रावधान के लागू होने पर कर्मचारी के वेतन से तो दस फीसदी की ही कटौती की जाएगी, जबकि उसमें सरकार 10 की जगह 14 फीसदी राशि देगी। यानि कि अब तक 4000 रु. सरकार अपनी हिस्सेदारी के मिला रही थी तो अब 5600 रु. मिलाएगी। यानी कर्मचारी के सीपीएफ खाते में 9600 रु. जमा होंगे। इसमें कर्मचारी कि हिस्सा 4000 रुपए होगा और सरकार का 5600 रुपए।
इन कर्मचारियों की जाती है सीपीएफ में कटौती
मप्र में 2005 के बाद 1 लाख कर्मचारी शासकीय सेवा में पदस्थ किए गए है, इनका सीपीएफ काटा जाता है। इसके दायरे में अध्यापक संवर्ग के 2.36 लाख अध्यापक भी शामिल हैं। इस तरह 3.36 लाख कर्मचारी इसमें शामिल हैं। इसकी वजह से इन सभी को चार फीसदी की वृद्धि का फायदा मिलेगा।
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