विकाश शुक्ला उमरिया। जिले में किसानों ने खेत में धान की खड़ी फसल की कटाई के बाद नरवाई जलाना शुरू कर दिया है। तश्वीर चंदिया क्षेत्र के बायपास से सबंधित है, जहां आग लगाकर नरवाई जलाया गया, इससे किसान अपने ही खेत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जानकारों की माने तो नरवाई जलाने से न केवल खेत के पोषक तत्व जलकर नष्ट हो रहे हैं बल्कि कीट, पतंगों, पशु पक्षियों को भी नुकसान पहुंचने का खतरा बना हुआ है। पर्यावरण सुरक्षा को देखते हुए नरवाई जलाने पर एनजीटी ने रोक लगा रखी है, लिहाजा कृषि विभाग भी नरवाई जलाने को लेकर मनाही करता है।
संसाधन की कमी, ज्यादा ख़र्च :
बीते दिन उमरिया कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने भी जिले के किसानों से अपील कि है, फसलों की कटाई के बाद खेतों में बचे फसलों के अवशेष को न जलाएं। बावजूद इसके नाम न बताने की शर्त पर एक किसान ने कहा है, की बड़े रकवे के नरवाई को उखाड़ने के लिए कड़ी मसक्कत के साथ ही ज़्यादा ख़र्च आता है, जिस वजह से किसानों द्वारा नरवाई जलाते हैं। उनका मानना है कि संसाधनों की कमी और ज्यादा पैसे खर्च होने की वजह से खेतों में आग लगा दी जाती है, यदि इसका कोई बेहतर विकल्प मिले तो वह ज्यादा असरकारी रहेगा।
जानकारी का अभाव बड़ी वजह :
एक ओर कलेक्टर के प्रयास हैं, की जिले में नरवाई जलाने को लेकर किसानों को समझाईस दी जाए, ताकि वे पर्यावरण सहित कृषि भूमि को इससे होने वाले नुकसान से रोका जा सके, किन्तु दूसरी ओर अधिकारियों की उदासीनता इन सब पर पानी फेरने में जुटी है। मसलन नरवाई जलाने पर होने वाले नुकसान को लेकर जिला कृषि विज्ञान में पदस्थ के पी तिवारी से संपर्क के लिए फोन किया गया, तो उनके द्वारा फ़ोन नहीं उठाया गया। अलबत्ता अधिकारियों की उदासीनता भी किसानों को नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान को लेकर जागरूक करने में फिसड्डी साबित हो रही है।