रामबिहारी पांडे वरिष्ठ पत्रकार सीधी
सीधी:
गांव छोडकर शहर तक पहुंच चुके आवारा पशुओं से आम जनता को निजात दिलाने के लिये गौषालाएं कारगर सावित नही हो पा रही है ।आवारा पशु गौषालाओं मे नही सड़कों खेतों मे जीवन गुजारने को मजबूर है ।प्रषासन के नुमांइंदे और गौषालाओं के संचालक केवल सरकारी बजट को हजम करने तक ही सक्रिय रहते है।
जिसके कारण जिले मे शासन के रिकार्ड के अनुसार दस हजार पशु आवारा घूम रहे है।बता दें कि गौवंश की रक्षा करने सभी सुविधायें देने के लिहाज से राज्य सरकार ने गॉव गॉव मे गौशालायें संचालित करने पशु शेड बनाने के लिये अरबो रूपए खर्च कर रही है ।लेकिन पशुओं को ठहरने का कोई ठिकाना नहीं रहता है। शहर के ही सड़को मे दिन रात आवारा पशुओं का डेरा बना रहता है ,इनके इंतजाम के लिये नगर पालिका को भी भारी भरकम बजट सरकार ने मुहैया कराया था, लेकिन आवारा पशुओ की कोई व्यवस्था नहीं बनाई गयी है ,जबकि आवारा पशुओं को पकडने के लिये बीते वर्ष टेन्डर भी हुआ था कुछ दिनों तक धर पकड़ अभियान चलाया भी गया ,लेकिन आवारा पशुओं से नगर की सड़को को मुक्त नहीं कराया गया।
मवेशियों की धमाचैकड़ी से परेशान हो रहें लोग –
वर्तमान समय मे आलम यह हो चला है कि नये बस स्टैंड से लेकर पुराने बस स्टैंड, गोपालदास मार्ग, कालेज स्टेडियम रोड़, कलेक्ट्रेट रोड़, अस्पताल चैराहा से लेकर गांधी चौक तक कि सड़को मे आवारा पशुओं का डेरा जमा रहता है, जिसके कारण दुर्घटनायें भी होती रहती हैं।
इतना ही नहीं भारतीय जनता पार्टी के जिला कार्यालय के सामने की सड़को पर पशुओं का डेरा दिन मे ही रहता है, जबकि भाजपा के नेता पशुओं के इंतजाम के लिये सरकार द्वारा बनाई गयी व्यवस्था का गुणगान गाने से नहीं हिचकते।
सोमवार को आयोजित भाजपा सरकार के एक साल के कार्यकाल की उपलब्धियॉ गिनाने के दौरान इस बात का भी जिक्र किया गया, कि गौवंश की रक्षा के लिये भाजपा सरकार ना केवल कृत संकल्पित है बल्कि जिले मे दर्जनो गौशालाओं का निर्माण किया गया है, सभी मे सौ से ज्यादा पशुओ को रखा गया है।
शहर की कांजी हाऊस भी जीर्ण शीर्ण –
नगर पालिका भी इसी पशोपेश मे बनी हुई है कि इन पशुओं को कहां रखा जाये। शहर की कांजी हाऊस भी जीर्ण शीर्ण अवस्था मे पड़ी हुई हैं। वहीं शहर के पशु पालक दूध निकालने के बाद अपने पशुओं को खुला छोड़ देते हैं, जिस पर रोक लगाने के लिये गत वर्ष नगर पालिका ने एक निर्देश जारी किया था, कि जिन पशु पालकों के पशु आवारा घूमते हुए मिलेगें उनके विरूद्ध अर्थ दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी । लेकिन आज दिनांक तक ना तो आवारा घूमने वाले पशुओं के मालिको का पता लगाया जा सका है ना ही उन पर कोई दण्डात्मक कार्यवाही की गयी । जिसके चलते पशु पालक निश्चिंत होकर दूध निकालने के बाद पशुओं को बाजार क्षेत्र मे धमाचैकड़ी मचाने के लिये खुला छोड़ देते हैं।
आवारा मवेशी फसलें कर रहें चौपट –
आवारा पशुओ की समस्या अकेले शहर मात्र मे ही नहीं है गॉव कस्बा, गली मोहल्ला हर जगह बनी हुई है। शहर की सड़को मे जहॉ पशुओ का डेरा जमा रहता है वहीं गॉव मे झुण्ड के झुण्ड पशु पहुॅच कर किसानों की बोई गयी फसलों को चट कर जाते हैं। किसानों को खेत छोड़ कर कुछ घंटो के लिये घर जाना फसल को चौपट कराना साबित हो रहा है। जिले मे ऐसा कोई गॉव अब नहीं बचा है जहॉ आवारा पशुओं ने अपना आशियाना ना बना रखा हो, और शाम होते ही खेतो मे पहुॅच कर फसल को चैपट ना कर रहे हों।
जिले के बाहर से आ रहे आवारा पशु –
शहर व गॉव मे खुले आम घूम रहे आवारा पशुओं कि संख्याओं को देख कर यह अनुमान लगाना कठिन हो जाता है कि आखिर इतने पशु आ कहॉ से रहे हैं। जितने पशु दिखाई देते हैं उतने तो पशु पालक भी नहीं है, गॉव के लोगों मे हो रही चर्चाओ की माने तो किसान पशु पालना भी कम कर दिये हैं। फसल को बचाने के लिये अपने अपने पशुओं को या तो विक्री कर दिये हैं या फिर गॉव से दूर जंगलो मे छोड़ आये हैं ,वहीं सैकड़ो की तादात मे आने वाले पशुओं के संबध मे यह कहा जाता है कि समीपी जिले के लोग सीधी जिले की सीमा मे पशु लाकर छोड़ जाते हैं।
प्रशासन की नजर मे साढ़े छ हजार पशु विचरण को मजबूर –
हो रही चर्चाओ के अनुसार मध्य प्रदेश शासन पशुपालन विभाग के रिकार्ड के अनुसार जिले मे लगभग 6.30 लाख मवेशी वर्तमान मे हैं जो कि प्रतिवर्ष की गणना मे आंशिक परिर्वतन होना भी बताया जा रहा है वहीं 7472 कुल आवारा मवेशी इधर उधर भटक रहे हैं। जिनके पास ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है और मजबूरी मे ये गली मोहल्ले एवं सड़को मे भटकने के लिये मजबूर हैं। आवारा मवेशियों के लिये लगभग 69 गौशाला होने का दावा किया जा रहा है जबकि वास्तविकता के धरातल पर 15 गौशालायें संचालित थीं एवं कतिपय कारणों से वर्तमान मे केवल 13 गौशालायें संचालित हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि एक गौशाला मे लगभग एक सैकड़ा पशुओ के रख रखाव की छमता होती है तो उस ढंग से कुल 13 सौ पशुओ को रखने की व्यवस्था है। जबकि शासकीय अभिलेखों मे आवारा पशुओं की संख्या 7472 बताई जा रही है। कुल मिलाकर ऐसा कहा जा सकता है कि 6172 आवारा पशुओं के रख रखाव की जिले मे कोई उचित व्यवस्था ही नहीं है और ऐसे मे सड़को पर आवारा पशुओ का विचरण करना एक सामान्य सी बात मानी जा रही है, जबकि इन आवारा पशुओं के चलते मुशाफिर आये दिन चोंटिल हो रहे हैं।
इनका कहना है –
नगर मे घूम रहे आवारा पशुओं का इंतजाम करने के लिये अधिकारियों का निर्देश आवश्य प्राप्त हुआ था लेकिन शहर मे बनी कांजी हाऊस जीर्ण अवस्था मे होने के कारण उन्हे ठहाराया नहीं जा पा रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों से मार्गदर्शन प्राप्त कर व्यवस्था बनाने के प्रयास किये जायेगें। रही बात गौशालाओं की तो संबधित विभाग से जानकारी चाही गयी थी किन्तु आज दिनांक तक उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है।
सुश्री कमला कोल, मुख्य नगर पालिका अधिकारी सीधी।
इनका कहना है
पूर्व गणना के अनुसार जिले मे लगभग 6.30 लाख मवेशी हैं, जिनमे लगभग 7472 आवारा पशु शामिल हैं।
डॉ.एम.पी.गौतम, उप संचालक पशु चिकित्सा सेवा सीधी।