सीधी
सीधी जिले में भी देखा देखी एक बार फिर 10 दिनों का तालाबंदी किया गया है ,जहाँ पिछले एक वर्ष से 1से 12 तक कि पढ़ाई चौपट है वही छोटे स्तर के व्यापारी, अधिवक्ता और उन परिवहन सलाहकारों की जो रोजाना के काम पर ही आश्रित रहे ऐसे ही कामगारों पर भारी मार पड़ने के आसार दिख रहे हैं।किराना व्यापारी और सब्जी विक्रेता तो फिर भी व्यापार कर पाएंगे, लेकिन अधिवक्ता जो अन्य व्यापार में नही हैं सिर्फ विधि व्यवसाय में हैं ,!! ऐसे ही परिवहन सलाहकार जो जनता के सपोर्ट से ही कार्य कर रहे थे ,हर उस छोटे मझोले व्यवसायी को इसका खामियाजा भुगतना होगा । इसका कारण भी जनता ही है जिसने यह मान लिया था कि अब सब ठीक है ।
ऐसे कई लोगो का रोजगार एकबार फिर ठफ़ होने वाला है इसमें हम उन रोड़ लाइट ,संगीत माध्यमों (म्यूजिक सिस्टम) आदि लोग जो दैनिन्दिन आधार पर आय अर्जित करते हैं उनकी दैनिक आमदनी में फर्क पड़ेगा ।
सरकार का क्या ? चुनाव क्षेत्र में सैम्पलिंग कम कर दिखाया जाता है कि यहां दिक्कत नही आखिर क्यों?
दमोह में ग्रामवासियों ने इसी आधार पर सिर्फ इसलिए चुनाव में वोटिंग नही की क्योंकि सरकार मनमाना तरीके से कार्य कर रही, इसलिए स्वयं से लोक डाउन कर चुनाव का बहिष्कार किया ।
सीधी में हालात बेकाबू नही होते अगर माननीय सूझबूझ से काम लेते। विगत 3-4महीनों से साहब ने खुली छूट दी ।
जनता भी तो भेड़ चाल चलती है ,जनता में यह प्रचारित हो गया कि अब सब सही है वैक्सीन आगयी ,लेकिन किसने कहा था कि यह वैक्सीन एक मात्र उपाय है ,क्यों नही माननीय ने कड़ाई दिखाई अब जब एक बार फिर जनजीवन सामान्य हो रहा था तब फिर से लहर आयी ,!!
अभी तक सीधी के सत्तातंत्र अध्यक्ष यहां वहां न जाने कहाँ कहाँ कार्यक्रम में कार्यक्रम किये जा रहे थे तब क्यों नही रोक लगाई गई ,
रीवा ने लगाया तो सीधी में भी लगाना है ?????
आखिर क्यों ? न्यूज़ लेते लेते एक पत्रकार की मौत हो जाने का इन्तजार था क्या???
प्रशाशन की घोर लापरवाही का खामियाजा जनता क्यों भुगते, इसका जवाब किसी के पास नही ।
सरकार को देना ही है जवाब, तो एक बार mlaऔर mp के वेतन और तमाम भत्ते , बंद कर सारी भरपाई करने का अस्वाशन अगर जनता को दिया जाता है, तो लगे रहने दीजिए साल भर ताला बन्दी,जब तक कोरोना न भाग जाए तब तक ताला बंदी,।।।।।
शायद जनता इस से ही जागृत हो जाय !!! आईएएस,आईपीएस तो शासकीय कर्मचारी हैं इन्हें अपनी सेवाएं तो देनी ही हैं हर हाल में, इनका दोष भी नही हाथ जो बांध रखे हैं संविधान ने ,जिनको मुफ्त में फरमान जारी करने की खुली छूट है उन्हें ही अगर दिए जाने वाले सरकारी पैसा को रोक दिया जाय, फिर देखिए कोरोना कैसे दूर होता है सारी दवाइयां सारे उपचार जमीनी स्तर पे दिखेंगे।
यह रोष मात्र है जनता का, जिसे हमने व्यक्त किया ,हम सरकार के हर फैसले के साथ हैं लेकिन रोष तो रोष है उसे भी व्यक्त करना ही हमारी जिम्मेदारी है ।