आनंद अकेला की घटनास्थल से विशेष रिपोर्ट
सीधी। मंगलवार की सुबह सीधी जिले के लोगों के अमंगलकारी साबित हुई। मौत के तांडव में अब तक 51 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि चार लोग अभी भी लापता है। देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत सभी ने घटना के प्रति शोक संवेदना जताई।
बसंत पंचमी की सुबह सीधी के लोगों विशेषतौर से छात्रों के लिए काल का संदेश लेकर आई। बस चालक की लापरवाही ने 51 लोगों को असमय काल का ग्रास बना दिया। सीधी के रामपुर तहसील के सरदा गांव में नहर में बस नहर में समा गई। 32 सीटर परमिट वाली बस में ड्राइवर समेत 62 लोग खचाखच भरे हुए थे। पहले से ही ओवरलोड बस ड्राइवर की हठधर्मिता के कारण पचास ले ज्यादा लोगों का जीवन छीन ली।
बस ड्राइवर की गलती ज्यादा
सीधी से सतना के लिए जबलनाथ परिहार ट्रैवल्स की मिनी बस सुबह पांच बजे रवाना हुई। सतना में नर्सिंग और रेलवे के पेपर होने के कारण आम दिनों के मुकाबले बस में भीड़ ज्यादा थी। शुरुआत में बस धीमी गति से बघवार का सफर तय किया। हालांकि चालक परिचालक को इस बात का पता चल चुका था कि गोविंदगढ़ स्थित छुहिया की घाटी में जाम लगा हुआ, इसलिए दोनों ने बस को दूसरे रास्ते से नहर के किनारे बाया जिगना सतना के लिए रवाना हुए। पहले से देर हो चुके ड्राइवर ने बघवार के बाद बस की स्पीड काफी तेज कर दी। इस पर यात्रियों ने उसे टोका भी। पर जल्दी पहुंचने के फेर में उसने यात्रियों की आवाज अनसुनी कर दी। सरदा गांव के पास पटना पुल के करीब डाइवर एक बोलेरो कार को पास देने के बाद बस से नियंत्रित नहीं कर पाया। इस दौरान 22 फिट गहराई की पानी से लबालब बह रही नहर में बस अनियंत्रित होकर गिर गई। यह घटनाक्रम इतनी तेजी से हुआ कि किसी को संभलने का मौका तक नहीं मिला। हालांकि ड्राइवर गेट खोलकर नहर में कूदकर अपनी जान बचा लिया। वहीं बस में बीच में बैठे अनिल तिवारी ने हाथ से सीसा तोड़कर न केवल अपनी जान बचाई बल्कि बगल में बैठे सुरेश गुप्ता को भी निकाल लिया। जबकि बस में सबसे आगे बैठे ज्ञानेश्वर चतुर्वेदी ने पैर से सामने का सीसा तोड़कर अपनी जान बचाई। बस में पीछे बैठी दो युवतियां वीरा प्रजापति और अर्चना जायसवाल पीछे का गेट खुलने के कारण बस से बाहर निकल आई। नहर के तेज बहाव में वो बहने लगी। तभी सरदा गांव की शिवारानी लोनिया ने अपने भाई की मदद से रस्सी के सहारे दोनों लड़कियों को बाहर निकाल उनकी जान बचाई। बचाव के दौरा पास के गावँ करियाझर के सतेन्द्र शर्मा जो मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन में एरोनॉटिकल इंजीनियर है एवं छुट्टी में गावँ आये हैं उन्होंने भी 3 लोगों की नहर में छलांग लगाकर जान बचाई। सतेंद्र ने बाद में पूरे बचाव दल के साथ रात तक कार्य किया एवं उनके बचाव कार्य के अनुभव के कारण तेज बहाव में भी मृत हुए लोगों को निकालना संभव हुआ।
एनडीआरएफ की टीम और प्रशासन ने संभाला मोर्चा
सीधी में पिछले दिन ही एनडीआरएफ की टीम विशेष प्रशिक्षण के लिए बनारस से आई थी। जैसे ही उन्हें घटना के बारे में जानकारी मिली पूरी टीम घटनास्थल में पहुंचकर जिला प्रशासन के मिलकर रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया। समय पर रेस्क्यू अभियान चलने के लिए मृतकों के शव नहर में ज्यादा दूर तक नहीं जा पाए। हालांकि बस को नहर से निकालने के लिए एनडीआऱएफ की टीम को दो क्रेनों से मदद से कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री ने जताया शोक संवेदना
सीधी में हुए भीषड़ बस दुर्घटना को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह समेत देशभर के वरिष्ठ लोगों ने अपनी शोक मृतकों के प्रति शोक संवेदना जताया। हादसे में मरने वालों के परिजनों के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने 5-5 लाख रुपए मुआवजे की घोषणा की है। इसमें से 10-10 हजार रुपए तत्काल दिए जाएंगे। वहीं, मोदी ने प्रधानमंत्री राहत कोष से परिजनों के लिए 2 लाख और गंभीर रूप से घायलों के लिए 50 हजार रुपए देने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री ने भेजे दो मंत्री
बस हादसे की सूचना मिलने के पश्चात् मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तुरंत आज के सभी कार्यक्रम रद कर दो मंत्रियों तुलसी सिलावट और रामखेलावन पटेल को विशेष विमान से सीधी भेजा। इस दौरान वो सीधी कलेक्टर रवींद्र चौधरी से घटना व राहत एवं बचाव कार्य के बारे में जानकारी लेते रहे। दोपहर करीब दो बजे दोनो मंत्री घटनास्थल पर पहुंचे। इस दौरान वो मृतकों के परिवारों से मिलकर उन्हें ढांढस बंधाया। उनके साथ सीधी संसदीय क्षेत्र की सांसद रीति पाठक, स्थानीय विधायक शरदेंदु तिवारी, भाजपा जिलाध्यक्ष इंद्रशरण सिंह भी मौजूद रहे। वहीं दूसरी ओर पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल और पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने घटना में मारे गए लोगों के प्रति शोक संवेदना जताया।
देरशाम तक सघन अभियान में जुटा रहा प्रशासन
घटनास्थल पर देरशाम तक प्रशासन द्वारा रेस्क्यू आपरेशन जारी रहा। घटनास्थल पर मौजूद जिला कलेक्टर रवींद्र चौधरी द्वारा रेस्क्यू आपरेशन को निर्देशित किया जाता रहा बल्कि वो स्वयं मृतकों के परिजनों को ढांढस बधाते नजर आए। कई बार तो वो स्वयं स्ट्रेचर को नीचे से ऊपर लाने में मदद करते नजर आए।
डूब गई 16 परिवारों के भविष्य की उम्मीदें
बाणसागर नहर से निकाले गए शवों में से 51 की पहचान कर ली गई है। इसमें से ज्यादातर युवा हैं, जो रेलवे और बीएससी नर्सिंग की परीक्षा देने के लिए रीवा और सतना जा रहे थे। जिन 51 शवों की पहचान की गई है, उनमें से 16 यात्रियों की उम्र 20 से 25 साल के बीच थी। दो साल के बच्चे की भी हादसे में मौत हुई है।
1. विमला द्विवेदी, 50 साल
2. प्रिया तिवारी, 20 साल
3. निमेश तिवारी, 38 साल
4. जगमोहन साकेत, 30 साल
5. श्यामलाल साकेत, 40 साल
6. हीरालाल शर्मा, 60 साल
7. लक्ष्मी, 22 साल
8. अमर ज्योति साकेत, 22 साल
9. राजेंद्र द्विवेदी, 40 साल
10. रामसुख साकेत, 50 साल
11. सुशीला प्रजापति, 27 साल
12. पिंकी गुप्ता, 25 साल
13. रीना तिवारी, 25 साल
14. सुमित्रा कोल, 35 साल
15. जगदीश, 65 साल
16. अशोक कुमार तिवारी, 48 साल
17. अनिल त्रिपाठी, 40 साल
18. कल्याण सिंह यादव, 22 साल
19. कविता यादव, 25 साल
20. अनिल कुमार पटेल, 24 साल
21. अर्चना गुप्ता, 2 साल
22. तपस्या पनिका, 26
23. अवधेश प्रजापित, 35 साल
24. विमला प्रजापति, 26 साल
25. राजकुमार प्रजापति, 24 साल
26. यशोदा विश्वकर्मा, 30 साल
27. कोमल सिंह, 25 साल
28. अनिल पटेल, 23 साल
29. राघवेंद्र तिवारी, 20 साल
30. रामवती सिंह, 20 साल
31. प्रियंका सिंह, 20 साल
32. मनमोहन बैगा, 35 साल
33. अयोध्या पाल, 40 साल
34. शिवभान पाल, 30 साल
35. प्रदीप कुमार
36. दिग्विजय सिंह चंदेल, 2
37. अंकिता तिवारी, 21 साल
38. सुषमा सिंह
39. अजय कुमार, 30 साल
40. रामकली यादव, 28 साल
41. विश्वनाथ यादव, 30 साल
42. पुष्पराज प्रजापति, 32 साल
43. सोमबाई सिंह
44. आशा सिंह
46. सविता बैगा, 25
47. राजकली
48. नम्रता यादव
49. सुरेखा कोल
50. राजवती सिंह
51. त्रिमेश तिवारी
ये चार लोग लापता
1. खुशबू सिंह पटेल 2. अरविंद विश्वकर्मा 3. दीपू प्रजापति 4. अजय पनिका