आनंद अकेला की विशेष रिपोर्ट
भोपाल। मध्यप्रदेश के कोरोना माडल की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका विस्तृत प्रारूप मांगा है। कोरोना संक्रमण पर काबू पाने में काफी हद तक सफल होने वाले इस माडल को अब देश के कई अन्य प्रदेशों में भी लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
मप्र में पिछले पखवाड़े तक बेकाबू रहे कोरोना संक्रमण पर अब धीरे-धीरे नियंत्रण मिल रहा है। प्रदेश में बेकाबू हो चुके इस संक्रमण को रोकने में मप्र की शिवराज सरकार द्वारा त्वरित गति से रणनीति बनाकर काम किया गया। प्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा इसके लिए पांच बिंदुओं पर एकसाथ काम किया गया। प्रदेश में यह रणनीति के लागू होने के साथ ही कई सकारात्मक परिणाम सामने आने शुरू हो गए। जिसका परिणाम है कि आज प्रदेश के कई जिलों में पाजीटिव मरीजों की संख्या में तेजी से कमी दर्ज की जा रही है। इसके अलावा इन जिलों में संक्रमण के नए मामले भी कम आ रहे हैं। वहीं ठीक होने वाले मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। जिसके कारण प्रदेश न तो आईसीयू बेड की कमी सामने आ रही है और न ही वेंटीलेटर के लिए मारामारी की स्थिति बन रही है।
कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण पाने के लिए मप्र की शिवराज सरकार द्वारा तैयार की गई रणनीति के पांच प्रमुख सूत्र में टेस्ट, पहचान, आइसोलेट, वैक्सीनेट और उपचार शामिल है। इन सूत्रों पर अमल के लिए अब प्रदेश में किल कोरोना अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान प्रदेश के शहरी और ग्रामीण इलाकों दोनों में ही चलाया जा रहा है। यही वजह है कि अब मप्र के इन कारगर साबित होने वाले उपायों की केन्द्रीय स्तर पर सराहना हो रही है। इस पर स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस मामले में मप्र मॉडल की मांग की गई है। इसे केन्द्र द्वारा दूसरे राज्यों को भेजकर उस पर अमल करने को कहा जाएगा, जिससे कि कोरोना महामारी पर जल्द काबू पाया जा सके। इस काम को मप्र में बेहतर अंजाम देने के लिए बकायदा सरकार द्वारा अपने मंत्रियों को जिलों की जिम्मेदारी देकर उन्हें मॉनिटरिंग का काम भी दिया गया है। गरीबों को बेहतर इलाज मिल सके इसके लिए राज्य सरकारों द्वारा आयुष्मान भारत के तहत अस्पतालों को विशेष पैकेज दिया गया है। इसकी वजह से इस योजना के तहत कोरोना के इलाज का भी रास्ता खुला। इस मामले में उनके द्वारा प्रदेश के केंद्रीय मंत्रियों से भी चर्चा की जा रही है। इन मंत्रियों द्वारा मप्र सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की सराहना की गई है। खास बात यह है कि इस दौरान उनके द्वारा केन्द्र सरकार से भी लगातार संपर्क रखकर इलाज के लिए जरुरी ऑक्सीजन, ऑक्सीजन कंसट्रेटर, रेमेडेसिविर इंजेक्शन और वेंटिलेटर्स की उपलब्धता के भी प्रयास किए जाते रहे। यही वजह है कि अन्य प्रदेशों की तरह मप्र में कुछ दिन छोड़ दिए जाएं तो आक्सीजन के लिए मारा मारी की स्थिति नहीं रही।
गौर करने वाली बात है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ने पर टेस्ट भी बढ़ाए गए हैं, जिसकी वजह से हर दिन औसतन करीब 65 हजार लोगों के टेस्ट किए जा रहे हैं। इसके साथ ही प्रदेश में केन्द्र के सहयोग से 96 आक्सीजन के नए प्लांट भी स्थापित किए जा रहे हैं। इस बीच सरकार द्वारा दवाओं की कालाबाजारी रोकने के लिए कई तरह के कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। इनमें प्रमुख तौर पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वालों पर रासुका की कार्रवाई निरंतर की जा रही है।