विकाश शुक्ला/उमरिया।जिले का शासकीय चिकित्सालय अनियमितताओं का गढ़ बना हुआ है। जहां मरीजों के जीवन से लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है। शासकीय चिकित्सक अपने शासकीय बंगले पर मरीजों का तांता लगाए सेवा दे रहे हैं, और जिले के साईनाथ पैरामेडिकल कालेज के छात्र-छात्राओं की बड़ी फौज इन दिनों पूरे अस्पताल में सेवाएं दे रही है। वहीं इन कारनामों की भनक जिम्मेदार स्वास्थ्य अधिकारी को नहीं है। खबर है कि पैरामेडिकल छात्रों द्वारा वो सारे कार्य किए जा रहे हैं, जो स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत कर्मचारी अपनी डिग्री के अनुसार करता है किन्तु साईनाथ पैरामेडिकल कालेज के छात्र जो प्रशिक्षण लेने आए हैं उनसेे स्वास्थ्य महकमे के डिग्रीधारियों कि कुर्सी पर बैठाकर पीडित मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं दिलाई जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मदारों के नाक के नीचे स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर मरीजों के जान से खिलवाड़ किया जा रहा और जिम्मेदारों को इसकी भनक तक नहीं है।
संवेदनशील जगह पर आसीन साईनाथ के छात्र:
जिला अस्पताल के विभिन्न विभागों में पैरामेडिकल के इन छात्र छात्राओं ने अपना कब्जा जमाया हुआ है, जिसमें संवेदनशील जगह जैसे एक्स रे रूम, इंजेक्शन रूम, पैथालॉजी के साथ-साथ संक्रमित क्षेत्रों पर भी ये छात्र बिना किसी सुरक्षा के पूरा कार्य करते लोगो की जिंदगी से खेल खेल रहे हैं। वहीं इन जगहों के गैर जिम्मेदार अस्पताल के कर्मचारी भी अपनी-अपनी कुर्सियों को इन पैरामेडिकल छात्रों के हाथों सौंप कर इर्द-गिर्द घूमते हुए पूरा वेतन उठा रहे हैं।
पैरामेडिकल से निकल रहे मुन्ना भाई!
खबर है कि अस्पताल के विभिन्न वार्डो में सेवाएं दे रहे साईनाथ पैरामेडिकल कालेज के छात्र छात्राओं को बिना द्रोणाचार्य के ही ज्ञान अर्जित कर एकलव्य बनना पड़ रहा हैं। यही नहीं लोगों का कहना है कि यह वही साईनाथ पैरामेडिकल कालेज है जहा बीते वर्ष पहले एकलव्य नहीं बन पाए छात्रो को मुन्ना भाई बनाकर डिग्री दिलवाने का कार्य किया जा रहा था। जिसमें मुन्ना भाईयों की एक फोज पकड़ी गई थी, शायद इसीलिए उक्त कालेज में अध्यनरत छात्र खुद एकलव्य बन शिक्षा हासिल करने में लगे हुए हैं।
प्रशिक्षक रहते हैं नदारद:
पैरामेडिकल काॅलेज के छात्रों को कालेज की तरफ से एक ट्रेनर को अस्पताल में आकर छात्रों को ट्रेनिंग देना होता है और विषयवस्तु की जानकारी के साथ ही सिखाना होता है, लेकिन कालेज के जिम्मेदार ट्रेनर अस्पताल नहीं आते तो ऐसे में छात्र खुद ही वार्डो में जा कर पूरा काम करते हैं। चर्चाएं हैं कि यदि समय रहते प्रशासन नहीं जागा तो भविष्य में मरीजों के साथ बडी घटना हो सकती है।
जिम्मेदारों पर उठे प्रश्नचिन्ह:
पैरामेडिकल छात्रों की कार्यप्रणाली सम्पूर्ण स्वास्थ्य विभाग पर प्रश्न चिन्ह लगा ही रही है। शासकीय चिकित्सालय में चल रहे खेल की भनक शायद ही न सिविल सर्जन बृजेश प्रजापति को है और न ही जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी राजेश श्रीवास्तव को। जिससे इनके उपर भी प्रष्नचिन्ह उठ रहे हैं कि जिम्मेदार अधिकारियों के नाक के नीचे पैरामेडिकल काॅलेज के छात्र कार्य कर रहे हैं और उक्त अधिकारीयों से जानकारी लेने के बाद उनकी ओर से चल रहे कारनामे की जानकारी न होने का प्रतियुत्तर दिया जा रहा है। य यह कहते हुए पलड़ा झाड़ लिया जा रहा है कि कोई कार्य नहीं करता मैंने मना कर रखा है।
अलबत्ता अधिकारी भले ही मामले से पलड़ा झाड़ रहे हों लेकिन सत्य तश्वीरें बयां कर रही है, कि शासकीय चिकित्सालय उमरिया में मरीजों का जीवन किसके भरोसे संचालित हो रहा है।
इनका कहना है –
कोई काम नहीं करता है, मैने मना कर रखा है। ऐसा कोई वीडियो हमारे पास नहीं है। हमारे पास पर्याप्त चिकित्सकीय स्टाॅफ है।
बृजेश प्रजापति, सिविल सर्जन, जिला चिकित्सालय उमरिया
सिविल सर्जन से पूंछा था, ऐसा कुछ नहीं है बाकी जानकारी आप सिविल सर्जन से ले लीजिए।
राजेश श्रीवास्तव, सीएमएचओ, जिला चिकित्सालय उमरिया