नगर पालिका के टिकट बंटवारे में ब्राह्मण और अन्य वर्ग की उपेक्षा करके केवल क्षत्रिय वर्ग को तरजीह दी गई उससे आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा लाभ मिल सकता है। यही कारण है कि बीजेपी के दिग्गज नेता ने कहा कि कुछ बड़ा पाने के लिए छोटी कुर्बानी देनी पड़ती है।
कुलदीप तिवारी की विशेष रिपोर्ट
सीधी। विगत दिनों हुए नगर पालिका चुनाव के परिणाम आने से कांग्रेसी खेमे में जहां जश्न का माहौल है, वहीं दूसरी तरफ भाजपा खेमे ने गुणा गणित बैठना शुरू कर दिया है। हार की समीक्षा के पहले अपने छह पार्षदों के साथ तीन निर्दलीय और कई कांग्रेसी पार्षदों से सम्पर्क किया जा रहा है।चूंकि नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव पार्षद दल को करना है इसलिए बीजेपी के दिग्गज आंकड़ों को अपने हिसाब बैठाने का गुणा भाग कर रहे है।
हार को जीत में बदलने में माहिर भाजपा देश भर में अपने सियासी दांव पेंच के लिए विख्यात है। जहाँ एक तरफ कांग्रेसी कार्यकर्ता और दिग्गज नेताओं का यह मानना है, कि विंध्य में एक बार फिर कांग्रेस मजबूत हो रही है वहीं दूसरी तरफ भाजपा के चाणक्यों ने अपनी सियासी तिकड़मों को भिड़ाना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि बीजेपी अब अपने से नाराज वर्ग को मनाने की तैयारी में जुट गई है।
विंध्य में रहा है बीजेपी का दबदबा
विंध्य में पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस को एक दम निचले पायदान में लाकर खड़ा कर दिया था, यही नहीं विंध्य में कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली दो सीटों में से एक सीट जिसमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष की सीट थी वह भी हार गयी थी। जिले में सिहावल विधानसभा ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने से बचा लिया था। इस नगरीय निकाय के चुनाव परिणाम ने कांग्रेस को एक नयी ऊर्जा तो दी है किन्तु यह ऊर्जा कितनी प्रतिफल में बदल पाएगी। यह आने वाला समय ही तय करेगा।
सीधी नगर पालिका में भाजपा की हार के कई मायने हैं। संगठन और विधायक का तालमेल न होना सबसे बड़ा कारण है, किन्तु कई जानकर इसे अलग नजरिये से देख रहे हैं। जिसका सीधा नुकसान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को होगा।
सीधी नगर पालिका चुनाव में करारी शिकस्त पाने के बाद भी बीजेपी के सियासी पंडित इसे आने वाले बड़े लाभ के रूप में देख रहे हैं। इसका प्रमुख कारण कांग्रेस की अपनी रणनीति है।
सीधी नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस द्वारा टिकटों के बंटवारे में ब्राह्मण वर्ग को जिस तरह से दरकिनार किया गया उससे इस वर्ग में जमकर नाराजगी है।
कांग्रेस ने वार्ड नम्बर दो को छोड़कर शेष कई सामान्य सीट पर केवल क्षत्रिय वर्ग को तरजीह दी उससे कहीं न कहीं ब्राह्मण वर्ग में खासी नाराजगी है। गौर करने वाली बात है कि वार्ड नम्बर दो में कांग्रेस के पास विनोद मिश्रा का कोई विकल्प नहीं था। विनोद मिश्रा वो चेहरा थे, जिनका जीतना लगभग तय था। ऐसे में वार्ड नम्बर दो से ब्राह्मण को टिकट देना पार्टी की मजबूरी भी थी।
इसके अलावा अन्य वार्डों से जो सामान्य थी वहा केवल क्षत्रिय वर्ग को ही टिकट दिया गया। वहीं दूसरी ओर भले बीजेपी की करारी शिकस्त हुई हो पर उसने ब्राह्मण और सामान्य वर्ग के लोगों को खासा तरजीह दी। जिससे इस वर्ग ने एक बार फिर बीजेपी को अपने हितैषी के रूप में देखना शुरू कर दिया है।
गौर करने वाली बात यह है कि सीधी विधानसभा सीट में सामान्य और ब्राह्मण वर्ग के वोटरों का खासा दबदबा है। यहीं कारण है कि लंबे समय से केदारनाथ शुक्ला यहां से जीतते आ रहे हैं। अब ऐसे में कांग्रेस की ओर से उपेक्षा मिलने पर यह वर्ग विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी के पाले में खिसक सकता है। यही कारण है कि सीधी बीजेपी के दिग्गज नेता इस हार को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं है।
इस बारे में जब नेशनल फ्रंटियर ने बीजेपी के दिग्गज नेता से बात की तो उन्होंने कहा कि कभी कभी बड़े लक्ष्य को साधने के लिए छोटी मोटी कुर्बानी देनी पड़ती है। मौजूदा हालात को देखते हुए यही लग रहा है कि बीजेपी के सियासी जाल में कांग्रेस बुरी तरह से उलझ गई है।