नेशनल फ्रंटियर/उमरिया। जिला का शासकीय चिकित्सालय पहले ही अपने पुराने कारनामों को लेकर सुर्खियां बटोर रहा है जिसके बाद चिकित्सालय में पदस्थ जिम्मेदारों के एक से बढकर एक कारनामे सामने आ रहे हैं। भ्रष्टाचार की वेदी में सवार जिला चिकित्सालय में फर्जी भुगतान कर अधिकारी कर्मचारी अपनी जेबें भरने में लगे हैं। ऐसा ही एक मामला जिला कलेक्टर को बदनाम कर उन्हें अपना नजदीकी बताकर ऐपिडिमियोलाॅजिस्ट के पद पर पदस्थ संविदाकर्मी का प्रकाश में आया है। यही नहीं ऐपिडिमियोलाॅजिस्ट द्वारा कलेक्टर के नाम का सहारा लेकर स्टोर कीपर को धमकाते हुए फर्जी बिल भुगतान करने की जुगत में स्टोर कीपर से स्टाॅक में समग्री को दर्ज कराने का दबाव भी बनाया जा रहा हैं। खबर है कि ऐपिडिमियोलाॅजिस्ट के कारनामों की लंबी फेहरिस्त है, जिसे लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी भलीभांति जानकारी है।
यह है मामला :
दरअसल जिले के शासकीय चिकित्सालय में पदस्थ आईडीएसपी संविदा कर्मी ऐपिडिमियोलाॅजिस्ट अनिल सिंह द्वारा स्टोर कीपर को पत्र लिखा गया, जिसमें लेख किया गया कि राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत जिले के प्रशिक्षण गतिविधियों की गई है, जिसमें लंच व प्रशिक्षण सामग्री आदि पर जो व्यय हुआ है उसके उपरांत फर्मों को भुगतान देयक के पहले स्टाॅक संधारण के लिए भेजा गया था, जिस पर स्टोर कीपर द्वारा संधारित नहीं किया गया बजाय इसके कि स्टोर कीपर के अनुसार जिन फर्मों को भुगतान करने के लिए स्टाॅक संधारण के लिए दबाव बनाया जा रहा था उनकी सामग्री जिला औषधी भण्डार में आई ही नहीं है।
स्टोर कीपर ने लगाए आरोप :
जिले के शासकीय चिकित्सालय में किस तरह से शासन के राशियों बंदरबांट किया जा रहा है इसका अंदेषा दो कर्मीयों के बीच भुगतान संबंधी स्टाॅक पंजी संधारित को लेकर किए गए पत्राचार से लगाया जा सकता है। प्रभारी स्टोर कीपर ने ऐपिडिमियोलाॅजिस्ट के उपर आरोप लगाते हुए कहा है कि जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम के देयक के अलावा भी अन्य फर्जी बिल भेजे जाते हैं जिसका समान प्राप्त नहीं होता। वहीं इंट्री न करने पर अनिल सिंह द्वारा कलेक्टर का करीबी बताकर स्टोर कीपर को निलंबित कराने की धमकी दी गई है, जिसकी जानकारी प्रभारी स्टोर कीपर द्वारा सीएमएचओ से लेकर संभागायुक्त तक को दी गई है।
भ्रष्टाचार का गढ चिकित्सालय :
हमेशा सुर्खियों में रहने वाला जिला चिकित्सालय उमरिया में मरीजों को बेहतर सुविधा भले न मिल सके, लेकिन उनके नाम पर आने वाली समाग्रीयों के लिए फर्मों से सांठगांठ कर फर्जी बिल भुगतान कर जिम्मेदार अपनी जेबें भरने में पीछे नहीं रहते हैं। इससे पहले भी करोडों के भ्रष्टाचार की परते खुल चुकी हैं। जिसके बाद भी यहां घोटालों के कई जिन्न बंद है। आलम यह है कि जिस तरह से प्रभारी स्टोर कीपर द्वारा ऐपिडिमियोलाॅजिस्ट के उपर गंभीर आरोप लगाए गए हैं इससे जिले के मुखिया को भी बदनाम करने का प्रयास किया गया है जिसे लेकर ऐपिडिमियोलाॅजिस्ट के उपर लगे आरोपों की जांच की जाए तो इनके कारनामों की कई परतें खुल सकती हैं।
इनका कहना है :-
1. हाँ पत्र तो मैंने ही लिखा था, दबाव बनाया जाता है।
जयदीप, प्रभारी स्टोर कीपर, चिकित्सालय उमरिया
2.आरोप बेबुनियाद लगाए जा रहे हैं, मेरे पत्र को पढ लीजिये, मैंने भी पत्र लिखा है।
अनिल सिंह, आईडीएसपी संविदाकर्मी, चिकित्सालय उमरिया
3. मामला मेरे संज्ञान में है, मामले को दिखवाया नहीं है, दिखवाता हूं।
राजेश श्रीवास्तव, सीएमएचओ, चिकित्सालय उमरिया