नेशनल फ्रंटियर, उमरिया
जिले के पंचायतों में जिस तरह से सरपंच अपने चंगुल में पंचायत और पंचायत के करिंदों को रखकर बगैर सप्लाई के ही फर्जी बिल लगाकर पंचायत में लूट मचाए हुए हैं उसमें नजर रखने वाले उच्चाधिकारीयों द्वारा भी मौन सहमती की खबरें सूत्रों से मिल रही हैं। दरअसल मामला मानपुर जनपद अंतर्गत आने वाले दमोय पंचायत का है, जहां के रसूखदार सरपंच कामता प्रसाद पटेल द्वारा पंचायत नियमों को ताक में रखकर स्वयं ठेकेदार बन बैठे हुए हैं, और पंचायत में बालू से लेकर हर तरह के काॅस्ट्रक्शन सामाग्री का सप्लाई बिल लगाकर पंचायत राशि का आहरण किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो मुखिया ने किसी तरह की कोई सामाग्री पंचायत में नहीं पहुंचाई और अपने पद का लाभ उठाते हुए अपने फर्म का बिल लगाकर लाखों का वायरा न्यारा कर दिया है। यही नहीं सरपंच के प्रभाव में सचिव और रोजगार सहायकों द्वारा मिली भगत कर सरकारी खजाने में लूट मचाई गई है, उससे जिले के जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
यह हुआ खेल
दमोय ग्राम पंचायत के सरपंच कामता प्रसाद पटेल द्वारा ईंट, रेत, भाडा से लेकर अन्य काॅस्ट्रक्शन सामाग्री अपने निजी खाते में विक्रेता आईडी 62891 के टिन नंबर (टिन नंबर 23739121802) का बिल लगाकर स्वयं के नाम पर भुगतान किया गया। यही नहीं पंचायत में इसी तरह के कई छोटे से छोटे और बडे बडे राशियों के बिल लगाकर पंचायत के सरपंच ने मलाई छानी। सूत्रों की माने तो फर्जी बिल भुगतान किया गया साथ ही बगैर परिवहन और सप्लाई का बिल लगाकर फर्जी भुगतान कर पंचायत राशि मे बंदरबांट किया गया। खास बात यह है कि रसूखदार पँचायत सरपंच ने राष्ट्रीय पर्व के नाम पर आठ हजार रुपये के प्रसाद और व्यवस्था के नाम पर पैसों का आहरण स्वयं के खाते में आहरित करने के लिए स्वयं से अनुशंसा कर दी। जबकि पँचायत अधिनियम को देखा जाए तो जिम्मेदार पद पर आसीन व्यक्ति न तो लाभ ले सकता है और न ही अपने सगे सबन्धियों को लाभान्वित कर सकता है।
किसके संरक्षण में हुआ कारनामा
जिस तरह से बिल पँचायत में सरपंच ने खुद के नाम पर लगाकर सरकारी धन और लूट मचाई है, उन बिलों को देखकर आंखें चौंधिया जाएंगी। लेकिन जिम्मेदार तो जिम्मेदार उनके ऊपर बैठे अधिकारियों को भी पँचायत के करिंदों और मुखिया के कारनामे नहीं दिखाई दिए। जहां पँचायत राज अधिनियम की जमकर धज्जियां उड़ाई गई हैं। इससे सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिरकार सरपंच को किन रसूखदारों का संरक्षण प्राप्त है।
जांच की मांग
दमोय पंचायत में जिस तरह से शासकीय राशि की होली खेली गई है, उससे जन नागरिकों की मांग है कि सचिव व रोजगार सहायक के द्वारा कराए गए भुगतानों की निष्पक्षता से जांच कराई जाए तो भ्रष्टाचार की पर्तों से पर्दा उठ जाएगा। वहीं पंचायत में बंद भ्रष्टाचार का विकास भी बाहर निकलकर पंचायत में हुए काले कारनामों का राज उगलेगा। आलम यह है कि जिस तरह से आपसी मिली भगत कर सरकारी पैसों से मलाई छानी है, उसमें अन्य ऐसे फर्जी भुगतानों के राज से पर्दा उठ जाएगा जिसके कार्यों का धरातल में कोई पदचिन्ह नहीं है। मामले को लेकर पंचायत सरपंच औैर सचिव से जानने की कोशिश की गई तो उनके फोन काॅल का कोई जवाब नहीं मिला।
आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है, मैंने जांच के लिए निर्देशित किया है।
बी.डी. शुक्ला, सीईओ, मानपुर