राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का निर्माण 1925 में नागपुर में हुआ था ।कई झाझावातो को झेलते हुए संघ आज 95 वर्ष का होने चला है ।संघ के विषय मे कई प्रकार के संशय आम जन मानस में रहते ही हैं ।विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन के बारे में जिज्ञासा होना भी आम है ।
कालांतर में कई राजनीतिक कारणों से संघ पर प्रतिबंध भी लगे लेकिन उन सभी प्रतिरोधों का सामना करते हुए संघ आज के समय मे विश्व व्यापी हो चला है और विश्व के कई देशों में इसकी उपस्थित भी है ।संघ कीशक्ति उसके कार्यकर्ता हैं ।जो प्रतिदिन की एक घंटे की शाखा से तराश कर निकले कार्यकर्ता बनते हैं ।
संघ का ऐसा ही एक कार्यक्रम सीधी शहर में विगत दो दिनों से चल रहा था जिसे संघ के कार्यकर्ता शीत शिविर के नाम से जानते हैं ।इस शिविर का आज समापन समारोह प्रकट कार्यक्रम के रूप में छत्रसाल स्टेडियम में सम्पन्न हुआ ।
इस प्रकट कार्यक्रम के मुख्यवक्ता अखिल भारतीय अधिकारी ।जगदीश जी रहे जिन्होंने संघ के प्रारंभ काल से लेकर वर्तमान परिदृश्य में संघ की भूमिका पर प्रकाश डाला और सीधी की हजारों की संख्या में उपस्थित मातृ शक्ति और समाज के अन्य वर्गों से आह्वान किया कि सभी किसी न किसी रूप में हिन्दू समाज के संगठन संघ या सनातन धर्म के लिए समय निकालें और नजदीक से आकर संघ को जानें।
आज के इस कार्यक्रम के मुख्यातिथि श्री राम मिलन साहू वरिष्ठ उद्योगपति सीधी रहे जिन्होंने प्रथम बार संघ के किसी कार्यक्रम को इतने नजदीक से देखा और मुख्यवक्ता की बातों से प्रभावित होते हुए अपने आशीर्वचन संघ कार्यकर्ताओं को दिए।
आज के कार्यक्रम में सहभाग लेने के लिए जिले भर के कार्यकर्ता सम्मिलित हुए थे ।सम्मिलित कार्यकर्ताओं ने शाखा में सिखाये जाने वाले कुछ कार्यक्रम का प्रदर्शन भी किया जिसमें दण्ड का प्रदर्शन योगेश जी ने नियुद्ध का प्रदर्शन रमा शंकर जी रामपुर नैकिन ,समता का प्रदर्शन शिवेंद्र जी जिला प्रचारक ,और योगा सन का प्रदर्शन ,योगेश जी ने किया जिसमें बड़ी संख्या में जिले भर से आये हुए कार्यकर्ता सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम में प्रान्तीय पदाधिकारी भी उपस्थितरहे जिसमे सर्व प्रथम ब्रिजकांत जी सह प्रान्त प्रचारक, सह प्रान्त कार्यवाह, प्रान्त बौद्धिक प्रमुख श्री उमेश जी प्रमुख रूप से रहे ।जिले से पूर्व जिला कार्यवाह श्री रमाकांत तिवारी अधिवक्ता, विभाग कार्यवाह अंजनी जी ,वर्तमान जिला कार्यवाह अरविंद जी ,विभाग संघ चालक पुष्पराज सिंह परिहार, माननीय जिला संघ चालक उदय शंकर श्रीवास्तव जी मंचासीन रहे।।
हजारों की संख्या में मातृ शक्ति विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता और राजनैतिक क्षेत्र के कार्यकर्ता की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का विस्तार वर्णन
स्थानीय सीधी नगर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा शारीरिक प्रधान कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें कई प्रकार की शारीरिक क्रियाओं का प्रदर्शन किया गया। सर्वप्रथम पथ संचलन का कार्य संपन्न हुआ यह संचलन स्थानीय छत्रसाल स्टेडियम से हॉस्पिटल चौक होते हुए पुनः छत्रसाल स्टेडियम में समाप्त हुआ। इस अवसर पर स्वयंसेवकों द्वारा स्थानीय छत्रसाल स्टेडियम में कई शारीरिक क्रियाएं आमजन के समक्ष प्रदर्शित की गई। जिसमें प्रमुख रुप से निःयुद्ध, योग, व्यायाम, एवं दंड शक्ति का प्रदर्शन किया गया। तत्पश्चात् कार्यक्रम की अंतिम कड़ी में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखिल भारतीय सह-शारीरिक शिक्षण प्रमुख जगदीश जी का उद्बोधन प्राप्त हुआ ।
जिसमें उन्होनें संघ की स्थापना के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 1925 को विजयदशमी के शुभ अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना डॉ॰ केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गयी थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहली शाखा में सिर्फ 5 लोग शामिल हुए थे। आज देशभर में 50 हजार से अधिक शाखाएं और उनसे जुड़े लाखों स्वयंसेवक हैं। उस समय में लोगों ने हेडगेवार जी का मजाक उड़ाया था कि बच्चों को लेकर क्रांति करने आए हैं लेकिन अब संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी और हिंदू संगठन है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पत्रिकाएं देश में लाखों लोग पढ़ते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छोटे बड़े लगभग 55 अनुसांगिक संगठन हैं। जैसे सेवा भारती, सेवा भारती, विद्या भारती, संस्कार भारती, मजदूर संघ, बजरंग दल और राष्ट्रीय सिख संगत जैसे बड़े संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ही घटक हैं।
महात्मा गाँधी ने 1934 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिविर की यात्रा के दौरान वहाँ पूर्ण अनुशासन देखा और छुआछूत की अनुपस्थिति पायी। इससे प्रभावित होकर उन्होंने संघ की मुक्त कंठ से प्रशंसा किया था। भौगोलिक दृष्टि से 16,101 सेवा कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में, 4,266 वनवासी क्षेत्रों में, 3,412 सेवा बस्तियों में और शेष स्थानों पर 1,249 सेवा कार्य चल रहे हैं।
“स्वयंसेवक”’ इस शब्द का अर्थ होता है- स्वेच्छा से काम करने वाला। संघ के विचारों को मानने वाले और नियमित तौर पर शाखा में जाने वाले लोगों को संघ का स्वंयसेवक कहा जाता है।
संघ शक्ति का उदाहरण देते हुए उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया की अमरनाथ साइन बोर्ड की जमीन वापस हुई, रामसेतु को तोड़ने की साजिश नाकाम हुई और अब भगवान श्री राम का भव्य मंदिर भी बनने जा रहा है। अमेरिका भी वर्तमान में पुनर्जन्म में विश्वास करने लगा है इत्यादि उदाहरण हिंदू समाज के जगने के कारण है। इसके साथ ही उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि संघ पर तीन प्रतिबंध लगे लेकिन फिर भी ईश्वरी कार्य नहीं रुका 1978 के बाद संघ में अनुकूलता का दौर जारी हुआ। इसके पूर्व का समय संघर्षशील था। आज संघ समाज में सहभागिता की ओर बढ़ रहा है और बड़े हिंदू समाज का प्रतिनिधित्व कर रहा है। तत्पश्चात अंत में ध्वज प्रणाम के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।