जिले में कोरोना का कहर अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तो बढ़ती ही जा रही है वहीं कोरोना से ग्रसित कई लोग जान भी गवां रहे हैं।
लगातार संक्रमण के कारण विसंगतियां बन रही हैं, यही वजह है कि लोग खुद सचेत रहे अन्यथा विसंगतियां लगातार निर्मित होने से दिक्कतें हो सकती हैं।
मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। एक साथ इतनी मौतें होने से कहीं न कहीं लोगों के लिए जहां यह बेहद दुखदायी है वहीं जिले के ऐसे आम लोग जो इस दौरान भी लापरवाही बरतने में कमी नहीं करते उनके लिए भी यह एक गंभीर संदेश है कि वह कोरोना को गंभीरता से लेना चाहिए।
कोरोना पीड़ित सक्रिय की संख्या दोहरे शतक पार कर चुकी
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा जानकारी दी गई कि मंगलवार रात्रि 12 बजे तक कुल 618 नमूने जांच के लिए भेजे गए और 682 नमूनों की जांच विवरण प्राप्त हुई है जिसमे से 231 लोगो की विवरण प्राप्त हुई है। सी.एम.एच.ओ. ने बताया कि कोरोना संक्रमण से 57 व्यक्तियो को स्वस्थ होने के बाद मंगलवार को छुटटी दी गई है। सभी को अपने घर पर अभी एक सप्ताह एहतियात बरतने हुए प्रदान की गई दवाओं का सेवन करने की सलाह दी गई, साथ ही सामाजिक दूरी, मास्क का उपयोग, बार बार हाथ धोते रहने जैसी सावधानियां रखने की समझाइश दी गई है।
अब जिले में कुल 3516 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। 2513 व्यक्तियों को स्वस्थ होने के बाद छुटटी किया जा चुका है, और अब जिले में कुल 984 सक्रिय हो गए हैं।
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से गई शिक्षक की जान
जिला चिकित्सालय में लापरवाही का आलम यह है कि मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
पूर्व में भी एक हफ्ते पहले मिश्रा परिवार के यहां के एक परिजन की लापरवाही के चलते जान चली गई थी। परिजनों ने जमकर हंगामा किया था, वहीं मारपीट करने तक की नौबत आ गई थी।
कल बुधवार को एक शिक्षक को फिर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा अपनी जान देकर चुकाना पड़ा है। जिनकी महज 53 साल की उम्र में मौत हो गई है।
ये है पूरा मामला
सीधी शहर निवासी जीतेन्द्र प्रसाद सेन जिन्हें कोरोना का पहला टीका पिछले हफ्ते ही लगाया गया था और वो 2 दिन से बीमार चल रहे थे, पीड़ित के परिजनों ने बताया कि इसके पूर्व में डॉक्टर खरे के बंगले में उपचार करवाने हेतु लेकर गए थे , लेकिन उन्होंने जिला चिकित्सालय में उपचार करवाने की सलाह दी ।जिसके बाद से आनन-फानन में जिला चिकित्सालय में लाकर भर्ती कराया गया।
उपचार करने से नर्स ने किया इनकार
ड्यूटी में तैनात नर्स से पीड़ित के परिजन मिन्नतें करते रहे कि उपचार शुरू कर दें , लेकिन नर्स ने लापरवाही पूर्वक जवाब देते हुए कहा कि हमारी ड्यूटी खत्म हो गई है जबकि ड्यूटी में तैनात नर्स की ड्यूटी 8 बजे खत्म होती है। ये पूरा मामला 8 बजे से पहले का है। परिजनों ने कहा कि नर्स जा रही थी उसके पीछे पीछे जाकर मिन्नते कर रहे थे कि उपचार शुरू कर दीजिए ।लेकिन नर्स का दिल नहीं पसीजा और उपचार करने से इनकार कर दिया।
पर्चे में दवाईयां तो लिखी गयी लेकिन मरीज को दी नही गयी
परिजन द्वारा बताया गया कि पीड़ित शिक्षक को 7:14 पर पर्ची काट के भर्ती करने हेतु बुलाया गया है जहां डॉक्टर के द्वारा इमरजेंसी पीरियड में इंजेक्शन और बाटल लगाने के लिए लिखा था, लेकिन नर्स ने कोई भी उपचार नहीं किया। परिजन ने बताया कि 7:49 तक परिजन उपचार शुरू करने के लिए नर्स के पीछे पीछे भागते रहे, तब तक में पीड़ित की मौत हो चुकी थी। इसी दरमियान 8:12 पर डॉ. रुपेश वर्मा का आगमन हुआ और उन्होंने पेशेंट की मौत का पुष्टि कर दी।
इसके पूर्व में भी जिला चिकित्सालय की लापरवाही के कई मामले सामने आये है लेकिन आज तक कार्रवाई नहीं हुई है जिसका नतीजा है कि आए दिन स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा ऐसी लापरवाही की जाती है।
आलम यह है कि अस्पताल में शव ले जाने हेतु वाहन की उपलब्धता भी सही समय पर नही मिलती।
इस परिस्थिति में सीधी जिला प्रशासन पर जनता किस प्रकार विश्वास कर पायेगी।
एक ओर ताला बंदी भी की हुई है दूसरी तरफ बाजार में भीड़ का आलम भी है ।बाजार के समस्त दुकाने बंद भी हैं तो दूसरी तरफ सिविल लाइन में अंडे आदि की दुकान अधिकारियों की नाक के नीचे सजी हुई हैं।कलेक्टर साहब और पुलिस अधीक्षक के निवास से लगी हुई सड़क पर शाम ढलते ही इस प्रकार की दुकानें संचालित हो रही है ।
इसलिए
अपना ख्याल रखें !! सुरक्षित रहे !!
सकारात्मक सोचे !! सकारात्मक रहे।