(नेशनल फ्रंटियर) उमरिया। जिले के सीमा में स्थित ग्रामीणांचलों में जिस तरह से अनाज की कालाबजारी का खेल किया जा रहा है, उससे मुख्यालय में बैठे खाद्यान विभाग के जिम्मेदारों पर भी प्रश्नचिन्ह उठ रहे हैं। सरकार की सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान योजना जिसमें गरीबों को दो वक्त का अनाज सस्ते दामों में उपलब्ध कराने की मंशा है, उसको सरकारी कर्मचारी ही पलीता लगाने में तुले हुए हैं। जानकारों की माने तो शासकीय नियमों के अनुसार एक ही परिवार को एक से ज्यादा उचित मूल्य की दुकान संचालन के लिए नही दी जा सकती, लेकिन बिरसिंहपुर पाली में खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। दरअसल जिले की जनपद पंचायत बिरसिंहपुर पाली के ग्राम तिमनी और घुनघुटी की शासकीय उचित मूल्य का संचालन तो हो रहा है, लेकिन यहां खुलेआम भ्रष्टाचार किया जा रहा है। कोटेदार की मिली भगत से रिश्तेदारों के कार्ड बनवाकर खाद्यान्न भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। खास बात तो यह है, कि गरीबों के लाईन में लगने के बाद भी राशन में खुलेआम कटौती कथित कोटेदार द्वारा की जा रही। यही नहीं खुलेआम कालाबाजारी के खेल में जनपद पंचायत अंतर्गत घुनघुटी, बरहाई और तिमनी में कथित कोटेदार द्वारा खुलेआम गरीबों के राशन की कालाबाजारी की जा रही है, कोटेदार के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं, कि अब वह किराना दुकानों पर भी शासकीय उचित मूल्य की दुकान से सप्लाई करने से नहीं चूक रहा है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी जनपद में बैठे जिम्मेदारों को नहीं है, लेकिन चंद चांदी के सिक्कों के आगे विभाग के जिम्मेदारों ने कोटेदार के आगे घुटने टेक दिये हैं। जानकारों का कहना है कि जब खाद्यान्न आता है, उसके 2-3 दिन बाद अगर उक्त उचित मूल्य की दुकानों की जांच की जाये या कार्डो से मिलान करवाया जाये, तो कथित नटवरलाल के कारनामें खुल कर सामने आ सकते हैं। मामले में कितनी सत्यता है, यह तो जांच के बाद ही खुलासा हो सकता है।